बनारस में स्वर्वेद मंदिर में लगेगी सदाफल देव की 113 फीट ऊंची प्रतिमा, दीवारों पर वेद-उपनिषद
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. हिमालय की गुफाओं में तप साधना के जरिए अनुभूत ज्ञान को स्वर्वेद के रूप में अभिव्यक्त करने वाले महर्षि सदाफलदेव महाराज उमरहा में निर्माणाधीन स्वर्वेद महामंदिर में रचनारत नजर आएंगे। गाजीपुर रोड पर आकार ले रहे दिव्य धाम में उनकी 113 फीट ऊंची दिव्य प्रतिमा लगाई जाएगी। इसमें प्लेटफार्म 32 फीट का तो प्रतिमा की ऊंचाई 81 फीट होगी। इसे भरतपुर (राजस्थान) के सवा लाख घन फीट गुलाबी पत्थरों से आकार दिया जाएगा। इसके लिए स्थान का चयन की प्रक्रिया चल रही है। इस पर सहमति बनने के साथ ही प्रतिमा निर्माण शुरू कर दिया जाएगा जो मंदिरों की नगरी काशी ही नहीं उत्तर प्रदेश के लिए भी खास होगा।
वास्तव में सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान की ओर से उमरहा में महर्षि की कृति स्वर्वेद के नाम पर सात मंजिला महामंदिर का 68,000 वर्गफीट में निर्माण किया जा रहा है। इस 180 फीट ऊंचे और 268 पिलरों पर खड़े सात मंजिला भवन में हर तल पर भी महर्षि सदाफल देव के दर्शन कर पाएंगे। सभी तलों पर उनकी साधना मुद्रा में प्रतिमा लगाई जाएगी।
दीवारों पर पढि़ए वेद-उपनिषद
78,800 वर्ग फीट में विस्तारित परिसर में बन रहे महामंदिर की बाहरी दीवारों पर गज समूह, ऋषिकाएं व साधक होंगे तो पांच तलों पर भीतरी दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे उकेरे जाएंगे। इस लिहाज से भीतरी दीवारों को श्वेत मकराना मार्बल पर उकेरा जाएगा। इसके अलावा दो तलों पर वेद की ऋचाएं, उपनिषद, गीता के ब्रह्मï विद्यापरक श्लोक और मानस की चौपाइयां और कबीर की वाणी भी होगी। मंदिर के शीर्ष पर 125- 125 पंखुडिृयों वाले कमल भी होंगे। जीआरसी तकनीक से बनी पंखुडिय़ों को गुजरात के नौसारी से मंगाया गया है।
चित्रमय झांकी देगी संदेश
दुनिया के अनूठे मंदिर में 150 चित्रमय झांकियों के जरिए पुरातन भारतीय संस्कृति का दर्शन कराया जाएगा। सैैंड स्टोन पर आत्मा-परमात्मा, ऋषि संस्कृति, विश्व को भारत की देन योग, आयुर्वेद, शून्य समेत विभिन्न झांकियां होंगी। हर झलकी को छह गुणित चार वर्ग फीट में बनाया जाएगा।
20 हजार लोग एक साथ करेंगे साधना
ब्रह्म विद्या विहंगम योग की साधना स्थली में एक साथ 20 हजार लोग साधना कर सकेंगे। छठें तल पर दो आडिटोरियम भी होंगे। हर एक में 238 लोग बैठ सकेंगे। मंदिर निर्माण में तीन लाख घन फीट सफेद मार्बल और इतने ही सैैंड स्टोन का उपयोग किया जा रहा है।
इस बारे में संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने किया महर्षि सदाफल देव महाराज को समर्पित स्वर्वेद महामंदिर संतों-ऋषियों से विरासत में मिली भारतीय संस्कृति और ज्ञान को सहेजने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है। यह स्थापत्य व संरचना की दृष्टि से भी अनूठा होगा।