ट्रेनों में यात्रियों को कब से मिलेंगे कंबल, चादरें और तकिया? जानें ताजा अपडेट
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. वातानुकूलित कोचों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए राहत भरी खबर है। उन्हें जल्द ही बेडरोल (चादर, कंबल, तौलिया और तकिया आदि) की सुविधा भी मिलने लगेगी। संबंधित अधिकारी बेडरोल की व्यवस्था फिर से शुरू करने की तैयारी में जुट गए हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने मुख्यालय व तीनों मंडल से पूछा, कितने हैं कंबल, चादर, तकिया और तौलिया
जानकारों के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने मुख्यालय गोरखपुर सहित लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल से उपयोग लायक कंबल, चादर, तकिया और तौलिया आदि की संख्या पूछी है। ताकि, कम पड़ने पर यथाशीघ्र टेंडर की प्रक्रिया के तहत पर्याप्त बेडरोल की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
दरअसल, रेलवे बोर्ड ने पूर्वोत्तर रेलवे सहित सभी जोन मुख्यालय से बेडरोल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित कर दिया है। कभी भी यात्रियों को बेडरोल उपलबध कराने का फरमान जारी हो सकता है। ऐसे में रेलवे प्रशासन ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। फिलहाल, गोरखपुर मुख्यालय में बेडरोल के स्टाक की गड़ना शुरू हो गई है। देखा जा रहा है कि बेडरोल उपयोग लायक है या नहीं। अधिकतर बेडरोल उपयोग लायक नहीं है। ऐसे में उपयोग लायक बेडरोल की धुलाई भी शुरू हो गई है।
कंडम हो रहे हैं करोड़ों के बेडरोल
भारतीय रेलवे में करोड़ों के बेडरोल कंडम हो रहे हैं। 23 मार्च 2020 से लाकडाउन के साथ ही उनका उपयोग नहीं हो रहा है। जानकारों के अनुसार गोरखपुर स्थित मैकेनाइज्ड लाउंड्री में ही लगभग 55 हजार चादरों की उम्र पूरी हो चुकी है। करीब 15 हजार कंबल के अलावा तौलिया और तकिये भी पड़े हैं। उनकी क्वालिटी परखी जा रही है। कंबल का प्रयोग चार और चादर का अधिकतम दो साल तक किया जा सकता है।
बोगियों से हटा लिए गए हैं बेडरोल और पर्दे
लाकडाउन के बाद एक जून 2020 से स्पेशल के रूप में ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया। लेकिन रेलवे बोर्ड ने कोविड प्रोटोकाल का हवाला देते हुए वातानुकूलित बोगियों से बेडरोल और पर्दों को हटा लिया। अब स्थिति सामान्य होने के बाद सभी ट्रेनें चलने लगी हैं। ट्रेनों में वातानुकूलित कोच भी बढ़ने लगे हैं। ठंड ने भी दस्तक दे दी है। लेकिन बेडरोल नहीं मिल रहा। ऐसे में यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है।