ये घोड़ा है सुल्तान, डांस करता गजब, घोड़ी पद्मिनी की चाल बनी आकर्षण
गाजीपुर न्यूज़ टीम, आगरा. बटेश्वर पशु मेले में ऊंट व घोड़ी मेले में 'सुल्तान' और 'पद्मिनी' आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। पांच लाख का सुल्तान नृत्य कर मनोरंजन कर रहा है तो पद्मिनी की चाल खरीदारों को आकर्षित कर रही है। पशु मेले में आए व्यापारी सोमवार को (आज) होने वाले हार्स शो के बाद घर वापसी करेंगे।
बरेली निवासी नूर मुहम्मद सुल्तान घोड़े के मालिक हैं। वे कहते हैं कि बटेश्वर का पशु मेला अब पहले जैसा बात नहीं रहा। कोरोना के बाद मंदी इस कदर है कि खरीदार ही नहीं आ रहे। सुल्तान का आकर्षण तो खरीदारों में है लेकिन उचित कीमत नहीं मिल रही, जबकि सुल्तान की डायट पर वह खासा ध्यान देते हैं। वे कहते हैं कि सुल्तान इशारों पर नाचता है। अपरिचित की मौजूदगी होते ही हिनहिनाकर उन्हें सतर्क कर देता है। वहीं जरार निवासी ठाकुर राजेंद्र सिंह के घर चार पीढिय़ों से घोडिय़ों के शौकीन रहे हैं। उनकी सफेद रंग की पद्मिनी की चाल मेले में आए खरीदारों को आकर्षित कर रही है। राजेंद्र सिंह ने कहा कि अब वह पद्मिनी समेत अन्य घोडिय़ों को अगले साल मेले में लाएंगे।
पंच कल्याणी नस्ल के हीरा को नहीं मिल रहे खरीदार
बटेश्वर पशु मेले के खच्चर बाजार में खरीदारों का टोटा व्यापारियों को परेशान कर रहा है। चार दिन गुजर जाने के बाद भी खच्चरों के खरीदार नहीं पहुंच रहे। पंच कल्याणी नस्ल के हीरा की कीमत दो लाख रुपये है। कन्नौज निवासी 83 वर्षीय पौसद अली बटेश्वर मेले में 35 खच्चर लेकर आए हैं। कहते हैं कि चार दिन गुजरने के बाद भी व्यापारी उनके पशुओं की खरीद नहीं कर सके हैं। वह कहते है, पिछले 30 साल से मेले में आ रहे हैं लेकिन इस साल जैसी मंदी नहीं देखी।
उनके पास कानवाज, हिसार, बडीराश, पंचकल्याणी, डबबा और देशी खच्चर हैं। इनमें पंच कल्याणी हीरा की सबसे बेहतर नस्ल है। व्यापारी उसकी कीमत भी अदा नहीं कर पा रहे। कहते हैं, कम कीमत का खच्चर चाहिए। कानवाज नस्ल के एक दर्जन खच्चर मेले में आए हैं। उनकी कीमत 40 हजार से एक लाख तक है। इस नस्ल का खच्चर काफी ताकतवर होता है। सेना में पहाड़ों पर काम करने वाले खच्चर इसी नस्ल के होते हैं। तेज धमाके की आवाज पर वह आगे नहीं बढ़ता और उसी जगह बैठ जाता है।
लगने लगे साधु संतों के तंबू
लोक मेले में इस साल भी तीन शाही स्नान होंगे। इसके अलावा भागवत कथा, धार्मिक आयोजन व भंडारों का आयोजन साधु संतों के आश्रमों में होगा। रविवार शाम संत हरिशरण दास अपनी टोली के साथ मेले में पहुंच गए। उन्होंने बताया नौ से 24 नवंबर तक धार्मिक आयोजन के साथ भंडारे का आयोजन प्रतिदिन होगा।