Ganga Express Way: रास्ते बंद होने से डरे हैं ग्रामीण, इसीलिए नहीं दी जमीन, पढ़ें ये खास रिपोर्ट
गाजीपुर न्यूज़ टीम, मेरठ. Ganga Express Way गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए मेरठ जनपद के आठ गांवों के कुछ किसानों ने अपनी जमीन इसीलिए नहीं दी क्योंकि एक्सप्रेस-वे बनने से उनके गांव को आने वाले तमाम लिंक मार्ग बंद हो जाएंगे। खेत तक जाने का रास्ता नहीं बचेगा। बड़ी संख्या में किसान बाजार मूल्य के बराबर जमीन का दाम न मिलने से भी नाराज हैं। खेतों में पानी की नाली और बिजौली गांव का गंदा नाला बंद होने से गांव में जलभराव की आशंका भी ग्रामीणों को है।
अफसरों के सामने रखी अपनी बात
ये सभी समस्याएं गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण से प्रभावित होने वाले मेरठ जनपद के आठ गांवों के ग्रामीणों ने 21 अक्टूबर को हुई लोकसुनवाई के दौरान अफसरों के सामने रखी थी। लोकसुनवाई भूमि अधिग्रहण से पहले प्रभावित गांवों में सरकार द्वारा कराए गए सामाजिक प्रभाव के अध्ययन की कार्यवाही के दौरान की गई थी। जिसमें संबंधित गांवों के लोगों ने खुलकर अपने मन की बातें रखी। सामाजिक अध्ययन करने वाली एजेंसी एसआर एशिया द्वारा शासन को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में प्रत्येक किसान द्वारा रखी गई समस्या का उल्लेख करते हुए उसके समाधान की संस्तुति भी की गई है।
रिपोर्ट में दर्ज किसानों की समस्याएं
गांव : बधौली
- खेत तक जाने का रास्ता बंद हो जाएगा। सर्विस रोड और अंडरपास बनाया जाए।
- गांव बिजौली के बराबर दर से भूमि का प्रतिकर दिया जाए।
गांव : खडख़ड़ी
- गांव के अधिकांश मार्ग बाधित हो जाएंगे। इसके समाधान के लिए अंडरपास बनाया जाए।
गांव : गोविंदपुर
गांव : बिजौली
- गांव के 8-9 संपर्क मार्ग बंद हो जाएंगे।
- मंदिर, शहीद स्थल और गांव का मुख्य द्वार भी प्रभावित हो रहा है।
- सिंचाई की नाली भी बंद हो रही है। उसकी व्यवस्था की जाए।
- चावंड मार्ग का गंदा नाला बंद हो जाएगा। जिससे गांव में जलभराव होगा। नया नाला बनाया जाए।
मेरठ में एक्सप्रेस-वे की जमीन का गणित
09 गांवों की जमीन से गुजरेगा एक्सप्रेस-वे
181.3740 हेक्टेयर भूमि की जरूरत
14.0420 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की
141.8102 हेक्टेयर भूमि किसानों से सीधे खरीदी
25.5218 हेक्टेयर भूमि का होगा अधिग्रहण
इनका कहना है
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत सबसे पहले सामाजिक प्रभाव का अध्ययन कराया जाता है। अब विभिन्न क्षेत्रों के सात विशेषज्ञों की समिति इस अध्ययन रिपोर्ट का आकलन करेगी। भू-स्वामियों की समस्याओं पर अपनी संस्तुति देगी। उसके बाद भूमि अधिग्रहण का कार्य किया जाएगा।- सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, एडीएम भूमि अध्याप्ति; रिपोर्ट- अनुज शर्मा