Ghazipur News : कृषि कानून वापस लेने की घोषणा का गाजीपुर के किसानों ने किया स्वागत, बोले ये कानून लाना चाहिए
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को तीन कृषि कानून वापस लेने से जिले के किसानों ने खुशी व्यक्त की है। कहा कि यह कदम दर्शाता है कि किसानों की मांग जायज है। इसे किसी की हार-जीत के बजाय व्यापक परिपेक्ष्य में देखना चाहिए। कहा कि इस पर बैठक कर सोच-विचार से निकले मंथन को साकार रूप देने की जरूरत है। कुछ किसानों ने सरकार को नसीहत दी कि उसे अब एमएससी गारंटी का भी कानून लाना चाहिए ताकि किसानों का भला हो सके।
नया कृषि कानून अच्छा था लेकिन उसमें सुधार की काफी गुंजाइस थी। कृषि कानून को वापस ले जाना स्वागत योग्य कदम है, लेकिन सुधारों के साथ इसे पुनः लागू किया जाना चाहिए, जिसमें किसानों का अधिकतम हित समाहित हो।- पंकज राय, किसान करीमुद्दीनपुर।
इस बिल में किसानों को कम पूंजीपतियों को काफी लाभ था। जमीनी स्तर पर किसानों को इस बिल से लाभ नहीं हो रहा था। बिल की वापसी एक सराहनीय कदम है। अगर भविष्य में कोई ऐसा कानून बने उसमे किसानों को जरूर शामिल किया जाय।- विनोद राय, लौवाडीह।
प्रधानमंत्री द्वारा कृषि बिल वापस लेने किसानों के लिए खुशी की बात है। सरकार को यह कदम बहुत पहले उठा लेना चाहिए था। किसान जब इस बिल का विरोध कर रहे थे तभी सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए था। सरकार को अब एमएससी गारंटी का भी कानून लाना चाहिए ताकि किसानों का भला हो सके।-राजेश यादव, शहाबुद्दीनपुर कासिमाबाद।
प्रधानमंत्री द्वारा कृषि बिल वापस लेना किसानों के संघर्ष की जीत है। प्रधानमंत्री को यह निर्णय बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था। किसानों के हित में लिया गया निर्णय स्वागत योग्य है। सरकार को किसानों किए मुकदमे भी बहुत जल्द वापस ले लेना चाहिए।- अशोक मिश्र, किसान नेता कासिमाबाद।
पीएम मोदी के कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करने से हम लोग बेहद खुश हैं। केंद्र सरकार ने देर से ही सही इन कानूनों को वापस लेकर देव दीपावली के दिन अन्नदाताओं की भावनाओं का सम्मान किया है। सरकार समय से इन कृषि कानूनों को वापस लेकर अच्छा कदम उठाया है।- चंद्रिका यादव, सिधौना
दुनिया के सबसे समृद्धशाली नेता नरेंद्र मोदी ने लचीलापन दिखाते हुए किसानों के मांग को मान लिया। कृषि नीति के कानूनों को वापस लेने का फैसला उनके किसानों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।-ओमप्रकाश पांडेय, बभनौली।
इनपुट मीडिया एवं सूत्र