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प्रियंका की मायावती, अखिलेश और जयंत से मुलाकात से चढ़ा सियासी पारा, निकाले जा रहे ये मायने!

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक गठजोड़ और सियासी समीकरण भी बदलता नजर आ रहा है. इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बीते रविवार को अचानक दिल्ली में बसपा सुप्रीमो मायावती की मां रामरती को श्रद्धांजलि देने पहुंच गईं. ऐसे में प्रियंका-मायावती की मुलाकात के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या यूपी में गठबंधन का समीकरण बदलेगा? वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हाल फिलहाल के दिनों में दो बड़े नेताओं के साथ अचानक एयरपोर्ट पर मिलना, मिलकर मुस्कुरा देना और बात करने की खास तौर से चर्चा हो रही है. इससे पहले भी अखिलेश यादव के साथ एक ही फ्लाइट में दिल्ली से लखनऊ लौटते समय उनकी एक फोटो खूब वायरल हुई थी.


हालांकि ऐसा पहला मौका नहीं है जब प्रियंका गांधी की किसी बड़े विपक्षी नेता के साथ मुलाकात हुई हो. बता दें कि 31 अक्टूबर को जयंत चौधरी लखनऊ में अपना कार्यक्रम खत्म कर दिल्ली लौट रहे थे और प्रियंका गांधी गोरखपुर में अपनी प्रतिज्ञा यात्रा के समापन के बाद लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं. दोनों नेताओं की मुलाकात लखनऊ एयरपोर्ट पर हो गई. VVIP लाउंज में दोनों नेता काफी देर तक बैठ कर बातचीत करते दिखे थे.

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदेश में कांग्रेस को किसी भी तरह एक सम्मानजनक संख्या मे सीटें दिलाना चाहती हैं. इसके लिए उनका अन्य गैर भाजपा दलों से कोई परोक्ष या प्रत्यक्ष समझौता होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश पिछले 32 साल से गैर कांग्रेसी सरकारों में सभी दलों को देख चुका है. प्रदेश में जो आर्थिक विकास दर 1989 में 13 फीसदी थी, वह घटकर आधे से भी नीचे चली गई और उसका परिणाम यह हुआ कि प्रदेश में रोजगार खत्म हो गए.

क्या आंतरिक गठबंधन के संकेत?

उन्होंने कहा कि सिर्फ जाति और धर्म की राजनीति करके प्रदेश को लूटते रहे और 2022 में उत्तर प्रदेश की जनता कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका देने जा रही है, क्योंकि भाजपा या सपा- बसपा के पास प्रदेश के लिए नीति और नियत नहीं है. इससे पहले बीते रविवार को बुलंदशहर में प्रियंका गांधी ने कहा कि कांग्रेस यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी और अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगी, लेकिन प्रियंका का छोटे दलों के बड़े नेताओं के मिलना क्या आंतरिक समझौते के संकेत हैं.

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