जेल में बंद बर्खास्त DSP अमरेश सिंह बघेल की जमानत अर्जी निरस्त, कोर्ट से राहत नहीं मिली
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. दुष्कर्म की शिकार युवती और उसके गवाह को आत्महत्या के लिए बाध्य करने के मामले में जेल में बंद बर्खास्त पुलिस उपाधीक्षक अमरेश सिंह बघेल को अदालत से राहत नहीं मिली। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपित की जमानत अर्जी निरस्त कर दी। आरोपित की जमानत का विरोध जिला शासकीय अधिवक्ता आलोक चंद्र शुक्ला ने किया।
अभियोजन के अनुसार लंका थाना प्रभारी महेश पांडेय ने 30 सितंबर 2021 को अमरेश सिंह बघेल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। एक युवती ने मऊ के सांसद अतुल राय के खिलाफ दुष्कर्म की एफआइआर दर्ज कराई थी। मामले के तुल पकडऩे पर इसकी जांच भेलूपुर के तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी अमरेश सिंह बघेल को सौंपी गई।
जांच में अमरेश सिंह बघेल द्वारा आरोपित के खिलाफ लगे आरोप को गलत करार दिए जाने पर पुलिस विभाग ने उनकी रिपोर्ट की पुन: जांच कराई। जांच में अतुल राय को बचाने के आशय से अमरेश सिंह बघेल द्वारा अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में अपूर्ण व निराधार अभिलेखों की रचना करना पाया गया। अमरेश सिंह बघेल ने आरोपित को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए गलत रिपोर्ट तैयार कर पुन: जांच कराए जाने की आख्या प्रेषित की गई।
साथ ही जांच आख्या को गोपनीय न रखकर उसे आरोपितों को प्राप्त करा दिया। अमरेश सिंह बघेल के उपरोक्त कृत्यों से क्षुब्ध होकर पीडि़त युवती और मुकदमे के गवाह ने नई दिल्ली में आत्महत्या कर ली। दोनों ने इसके लिए अमरेश सिंह बघेल को दोषी करार देते हुए इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो जारी किया था। अभियोजन पक्ष ने युवती और सत्यम राय के मृत्युकालिक कथन पर बल देते हुए अमरेश सिंह बघेल की जमानत अर्जी निरस्त करने की अपील की।
वहीं बचाव पक्ष द्वारा दलील दी गई कि अमरेश सिंह बघेल द्वारा अतुल राय को अपराध से बचाने के आशय से अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में कोई अपूर्ण व निराधार अभिलेखों की रचना नहीं की गई और न ही कोई विधिक भूल की गई। मिथ्या साक्ष्यों के आधार पर लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से विधिक एवं तथ्यात्मक रुप से त्रुटिपूर्ण आख्या तैयार नहीं की गई। वह मृतका और मृतक द्वारा आत्महत्या करने में कतई दोषी नहीं है। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने और पत्रावलियों के अवलोकन के पश्चात अमरेश सिंह बघेल की जमानत अर्जी निरस्त कर दी।