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रफ्तार के नाम पर महंगा टोल तो वसूलेगा NHAI, लेकिन दुर्घटना से खुद बचें, ये कैसा एक्सप्रेस-वे?

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मेरठ. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर वे वाहन हादसे के कारण बन रहे हैं जिन पर एनएचएआइ ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। अभी निश्शुल्क आवागमन भले ही चल रहा है लेकिन जब से टोल वसूली शुरू होगी तब भी इस पर वाहन जाएंगे। मेरठ से दिल्ली जाने के लिए एक तरफ का ही करीब 140 रुपये टोल पर खर्च होगा। 

कोई भी इतनी राशि सिर्फ टोल पर इसलिए खर्च करना चाहेगा कि उसे सुरक्षित व रफ्तार से चलने के लिए एक्सप्रेसवे मिल रहा है। मगर एनएचएआइ यहां पर टोल तो लेगा लेकिन रफ्तार को चुनौती देते हुए प्रतिबंधित वाहन कब मौत के मुंह में पहुंचा दें, इसकी परवाह उसे नहीं है। एनएचएआइ की ओर से दो पहिया व तिपहिया वाहनों पर प्रतिबंध के बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली गई है। अब बाकी जिम्मेदारी जागरूकता की है। जिम्मेदारी पुलिस की है।

टोल बूथ के बैरियर से क्यों नहीं रोके जाते प्रतिबंधित वाहन

एक्सप्रेस-वे के टोल बूथों पर बैरियर लगे हुए हैं। इनकी मदद से ऐसे वाहनों को रोका जा सकता है, लेकिन ऐसे प्रयास नहीं किए गए। एक्सप्रेसवे के परियोजना निदेशक अरविंद कुमार का कहना है कि प्रतिबंधित वाहनों को रोकने के लिए मार्शल लगाए गए थे, लेकिन उनसे लोग मारपीट करने लगे थे। कई बार अभियान चलाया गया लेकिन किनारे से या बैरियर उठने पर बड़े वाहनों के साथ लोग बाइक निकाल ले जाते हैं। पुलिस की कार्रवाई से ही ऐसे वाहनों को रोका जा सकता है।

रफ्तार पर ब्रेक और सामने मौत, फिर कैसा एक्सप्रेस-वे

एक्सप्रेस-वे का मतलब है कि उसके गति में कोई अवरोध न आए। मगर इस एक्सप्रेस-वे पर खुद वाहन ही गति अवरोधक बन रहे हैं। तेज रफ्तार से चल रहे वाहन के सामने कब कोई टेंपो या बाइक आ जाए कहा नहीं जा सकता। ऐसे वाहन कभी भी किसी भी लेन में घुस जाते हैं। कहीं भी ब्रेक लगाकर खड़े हो जाते हैं। ये धड़ल्ले से चल रहे हैं। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। इससे तेज गति से चल रहे वाहनों का नियंत्रण बिगड़ता है, जिससे हादसे होते हैं।

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