ये हैं आज की 'सावित्री', रोजाना पति के पैर धोकर पीती हैं चरणामृत
गाजीपुर न्यूज़ टीम, आगरा/लखनऊ. सावित्री और सत्यवान की कहानी तो सभी ने सुन रखी है। आज के दौर में ये कितनी प्रासंगिक है, इस पर सवाल उठने लगे हैं। समय के साथ संस्कार बदले हैं। करवाचौथी भी उसके साथ हाईटेक हो चली लेकिन आगरा में एक महिला आज भी ऐसी है, जिसकी पतिवृता धर्म की पुलिस ने भी सराहना की। आगरा के कालिंदी विहार में रहने वाली ये महिला कई सालों से अपने पति के सीधे पैर का अंगूठा धोकर उसे भगवान का चरणामृत समझकर पीती हैं। उसके बाद अन्न और जल ग्रहण करती हैं। नए दौर में ये सुनने में अजीब भी लगता है लेकिन ये सच्चाई भी है।
करवा चौथ पर पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रहती हैं। साल में एक दिन यह व्रत बिना अन्न जल ग्रहण कर रखा जाता है। कालिंदी विहार निवासी राधिका की शादी 12 साल पूर्व हुई थी। शादी के सात फेरे लेने के साथ ही उन्होंने अपना जीवन पति परमेश्वर को समर्पित कर दिया। करीब छह साल से सुबह उठकर सबसे पहले पति के पैर का सीधा अंगूठा धोकर उसी पानी को पीने का सिलसिला आज भी चालू है। उनका मानना है कि भगवान जिस प्रकार सुख दुख में हम सभी की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार शादी के बाद हमारा पति भी भगवान का ही रूप लेता है। सुख दुख में अब वही हमारा भगवान बनकर हमारे कष्ट को हरता है। जब पति हमारी परेशानियों को खुद सहन करके लाज बचाता है तो हमारा कर्तव्य है कि सावित्री की तरह हमको भी पति की रक्षा के लिए यमराज से लड़ना पड़ता है। इसीलिए वह लगातार छह साल से पति के पैर के अंगूठे को धोकर पीती हैं।
पुलिस कस्टडी में भी पत्नी का नहीं टूटने दिया अटल विश्वास
पति भूरा तोमर की एलुमिनियम की दुकान है। दुकान पर कारीगर सुशील की 17 नवम्बर को बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके बाद पूछताछ के लिए भूरा को 14 दिन तक थाना एत्माद्दौला पर रोका गया था। पहले दिन जब भूरा ने पत्नी के द्वारा नियमित रूप से पूजा के लिए जाने की जिद की तो थाना पुलिस ने उपहास उड़ाया लेकिन पत्नी के इस अटूट विश्वास व प्यार को थाना पुलिस भी न रोक सकी। भारतीय संस्कृति को जिन्दा रखने वाले दो दिलों की कहानी सुनकर पुलिस की निगरानी में उसे हर दिन पत्नी का व्रत खुलवाने के लिए घर भेजा गया था।
रिश्तेदार से मिली थी यह प्रेरणा
बातचीत में राधिका ने बताया कि उनके पति की बुआ सुशीला चौहान चावली थाना एत्मादपुर क्षेत्र में रहती हैं। वह भी करीब 20 साल से अपने पति के अंगूठे को धोकर पी रही हैं। उन्हीं से उनको यह प्रेरणा मिली थी। उसके बाद उन्होंने भी अपने पति के सीधे पैर को धोकर पानी पीने की परम्परा शुरू कर दी।
छह साल में एक भी दिन नहीं छोड़ा अपना व्रत
राधिका ने बताया कि यह पूजा करते हुए उन्हें करीब छह वर्ष हो चुके हैं। कभी पति जब बाहर जाते हैं तो वह उनके पैरों को धोकर गंगाजल से धोकर एक बोतल में भर लेती हैं। जब तक वह वापस नहीं आते हैं, तब तक सुबह उठते ही उसी पानी को पीकर अपना व्रत खोलती हैं। गंगाजल इसलिए उपयोग इसलिए करती हैं क्योंकि वह अधिक समय तक रखा रहता है और खराब नहीं होता।