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बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे से हटा यूपीडा, NHAI कराएगा निर्माण, 24.200KM लंबी परियोजना स्वीकृत

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. बलिया जिले को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की कोशिश में एक और कदम बढ़ा है। बलिया लिंक एक्सप्रेस वे को अब यूपीडा नहीं, बल्कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) बनाएगा। दो दिन पहले एनएचएआइ और यूपीडा की संयुक्त बैठक में सहमति बन गई है। 

निर्माण की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। कुल 24.200 किलोमीटर लंबी परियोजना स्वीकृत हुई है। इसकी चौड़ाई 120 मीटर प्रस्तावित है। शासन ने पहले यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज डेवलेपमेंट अथारिटी) को कार्यदायी एजेंसी नामित किया था, इसके लिए उसे 50 करोड़ रुपये भी आवंटित हुए थे। लेकिन अब बजट एनएचएआइ को हस्तानांरित किया जाएगा। 

एक्सप्रेस वे का 10.200 किमी हिस्सा बलिया जबकि 14 किमी गाजीपुर में है, जो गाजीपुर के हरदिया से बलिया के तीखा गांव (फेफना) से सीधे जोड़ा जाना प्रस्तावित है। निर्माण पूरा होने के बाद लखनऊ से कनेक्टिविटी हो जाएगी। जबकि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिए दिल्ली की राह भी आसान होगी। 12 घंटे में बलिया से दिल्ली तक का सफर तय किया जा सकेगा।

ब्लू प्रिंट में मिली थी खामियां

यह लिंक एक्सप्रेस वे पहले यूपीडा को बनाना था। अगस्त में इसका प्रस्तावित रूट मिला था, लेकिन रूट निर्धारण में अनियमितता मिली। नेशनल हाईवे-31 के रूट पर ही लिंक एक्सप्रेस वे का ब्लू प्रिंट तैयार कर दिया गया। अब नए सिरे से रूट तय हो रहा है। इसके लिए करीब 125 हेक्टेयर भूखंड की जरूरत पड़ेगी। सदर तहसील क्षेत्र के सुल्तानपुर, कोटवारी, बढ़वलिया, अगवलिया, शाहपुर, मौजा लकड़ा, एकौनी, बंकापुर, हरहरपुर व बसारतपुर समेत कुल 13 गांवों से गुजारा जाना प्रस्तावित है।

बलिया लिंक एक्सप्रेस वे

  • 24.200 किलोमीटर लंबी परियोजना
  • 120 मीटर होगी हाईवे की चौड़ाई
  • 50 करोड़ रुपये आवंटित
  • 125 हेक्टेयर भूखंड हाईवे के दायरे में
  • 800 से अधिक किसान होंगे प्रभावित

बलिया लिंक एक्सप्रेस वे को एनएचएआइ ही बनाएगा

बलिया लिंक एक्सप्रेस वे को एनएचएआइ ही बनाएगा। एक्सप्रेस वे कई स्थानों पर एनएच-31 से सट रहा है। गाजीपुर से मांझी घाट तक 118 किमी में ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे को एनएचएआइ ही बना रहा है।

अब वह दिन दूर नहीं जब विंध्य क्षेत्र के किसान मौसम के विपरीत सब्जी का खेती कर आय दोगुनी करेंगे।- योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनएचएआइ, आजमगढ़

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