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मनीष मर्डर केस : गोरखपुर पुलिस ने फिर कराई देशभर में उत्तर प्रदेश की बदनामी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. होटल में पुलिस की पिटाई से मौत के मामले में गोरखपुर में तैनात चंद पुलिसवालों की वजह से यूपी पुलिस की देश भर में बदनामी हो रही है। हालांकि अभी कुछ दिन पहले एक लड़की के अपहरण के मामले में कार्रवाई को लेकर गोखपुर पुलिस की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट तक को टिप्पणी करनी पड़ी थी। 

जिस लड़की को गोरखपुर पुलिस महीनों से नहीं बरामद कर पा रही थी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने चौबीस घंटे में बरामद किया था। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद दरोगा को सस्पेंड किया गया था पर उस घटना के बाद उम्मीद थी कि पुलिस अपनी कार्यशैली में सुधार करेगी। किसी भी बदनामी से दूर रहेगी। पर इन चंद पुलिसवालों की वजह से यह छवि और ज्यादा ही बिगड़ गई।

सीएम योगी गोरखपुर में लगातार विकास का कार्य कर रहे हैं। मच्छर और माफिया की वजह से बदनाम गोरखपुर को उन्होंने अपने कार्यकाल में पूरी तरह से बदल दिया। माफिया या तो जेल में हैं या फिर उन्होंने जिला छोड़कर दूसरे प्रदेश में चले गए। इसी छवि की जानकारी के बाद मनीष गुप्ता अपने दोस्त हरदीप और प्रदीप के साथ चंदन के बुलाने पर गोरखपुर आया था। 

लेकिन माफिया तो भाग गए पर पुलिस ने छवि खराब कर दी। यही नहीं, इससे पहले भी गोरखपुर में लगातार पुलिस ही अब छवि खराब करने में जुटी है। चाहे वह लूट करके हो या फिर काम के बदले पीड़ित से पैसा वसूल कर या फिर रंगदारी लेकर। हर मामले में पुलिस की भूमिका गोरखपुर में बदनामी की बड़ी वजह बन जा रही है। कई घटनाएं गवाही भी दे रहीं हैं।

मामला-1, 22 मई 2019 : वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. रामशरण दास से रंगदारी वसूलने के मामले में ट्रांसपोर्टनगर चौकी इंचार्ज रहे शिव प्रकाश सिंह और कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी पर एफआईआर दर्ज की गई थी। मगर यह केस पुलिस ने नहीं दर्ज किया था। ना ही तब डॉक्टर को पुलिस पर भरोसा था। दो लाख रुपये देने के बाद डॉक्टर ने सीधे मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर शिकायत की थी। केस दर्ज करने के साथ ही दोषी की गिरफ्तारी भी हुई।

मामला-2, 18 दिसंबर 2017 : उरुवा थाने में तैनात रहे ट्रेनी दरोगा अभिजीत कुमार और रघुनंदन त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि बिहार के गोपालगंज के छात्र एहसान आलम को धोखे से उसका दोस्त अफजल गोरखपुर लाया था फिर परिचित दोनों दरोगा की मदद से तीन लाख रुपये की फिरौती मांगी गई थी। मामला संज्ञान में आने पर तत्कालीन एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने दोनों पर केस दर्ज कराकर गिरफ्तारी कराया था।

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