वर्गीकृत कृत्रिम गर्भाधान विधि से होगी गोरक्षा, 90 फीसद बछिया होने की बढ़ जाती है संभावना
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. सरकार की गोवंश बचाने की मंशा के अनुरूप पशुपालन विभाग ने वर्गीकृत कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से गोरक्षा की तैयारी शुरू की है। इसके तहत गोपालक को अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु सेवा केंद्र पर जाकर वर्गीकृत कृत्रिम गर्भाधान कराना होगा । इसके कराने से 90 फीसद बछिया होने की संभावना होगी। अगले महीने से पशुपालन विभाग की ओर से लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के हर पशु चिकित्सा केंद्रों पर इसको लेकर कर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक नियोजन डा वीके सिंह ने बताया इस विधि से बछड़ों की बढ़ती संख्या पर जहां विराम लगेगी वहीं दूसरी ओर दुधारऊ गोवंश की संख्या में भी इजाफा होगा। इस नई तकनीक से बछड़ा होने की संभावना न्यूनतम होगी। सड़कों पर खतरे का कारण बने सांड़ों की संख्या में भी कमी आएगी।
पूर्व कृत्रिम गर्भाधान से अलग है यह विधि: पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा.मनोज कुमार ने बताया कि इसमें वर्गीकृत कृत्रिम गर्भाधान से बछड़े का कारण बने वाई शुक्राणुओं को वर्गीकृत करके हटा दिया जाता है। गर्भाधान के दौरान केवल एक्स शुक्राणुओं का प्रयोग होता है जिससे बछिया ही होती है।
मिलेगा अनुदान: गोपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से अनुदान दिया जाता है।
कृत्रिम गर्भाधान कराने वाले पशुपालकों को अनुदान भी दिया जाएगा। 1200 रुपए के इस कृत्रिम गर्भाधान के एवज में पशुपालकों को मात्र 300 रुपये देने पड़ेंगे । हालांकि पहले से चल रही कृत्रिम गर्भाधान का शुल्क 30 रुपये प्रति गाय है। ऐसे में छोटे गोपालकों को अधिक पैसा देना पड़ेगा। हालांकि पहले से चल रही कृत्रिम गर्भाधान से 50 फीसद बछिया होने की संभावना रहती है। 90 फीसद बछिया की संभावना से गोपालकों को अधिक लाभ मिलेगा।
सूबे के पशु चिकित्सालयों पर एक नजर
- पशु चिकित्सालय- 2202
- पशु औषधालय- 268
- पशु सेवा केंद्र-2575
- देसी गाय 1.28 करोड़
- विदेशी गाय-61.23 लाख
पशुपालन विभाग के निदेशक डा.एसके मलिक ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान की वर्गीकृत प्रणाली गोपालकों के लिए फायदे का सौदा साबित होगी। गोपाल इस विधि का इस्तेमाल करके गोवंश से अपनी माली हालत सुधार सकते हैं। इससे सरकार की मंशा के सापेक्ष गोवंश की रक्षा भी हो सकेगी।