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अभिनेत्री बेगम फर्रुख जाफर का निधन: लखनऊ में ली अंतिम सांस, आज किया जाएगा सुपुर्द-ए-खाक

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. फिल्म गुलाबो सिताबो की फत्तो बेगम फर्रुख जाफर नहीं रहीं। फर्रुख जाफर को फिल्म गुलाबो सिताबो में उनके इस जबरदस्त किरदार के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला था। वह 89 वर्ष की थीं। पिछले कुछ समय से उन्हें सीने में जकड़न की शिकायत थी। बेटी मेहरू जाफर ने बताया कि चार अक्टूबर को उन्हें सहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सीने में जकड़न की शिकायत बढ़ती गई। उन्हें बाद में निमोनिया भी हो गया। बेटी मेहरू जाफर ने बताया कि शनिवार को ऐशबाग के मल्लिकाजहान कब्रिस्तान में उन्हें सुबह दस बजे अंतिम विदाई दी जाएगी।

फर्रुख जफर जौनपुर में पैदा हुई थीं, पर वह लखनऊ में ऐसी रची-बसी कि यहीं की होकर रह गईं। यहां आकाशवाणी में उन्हें उद्घोषक की नौकरी भी मिली और वह देश की पहली महिला आरजे बन गई थीं। एक्टिंग का शौक शुरू से ही था। वह मिमिक्री किया करती थीं। इसी शौक ने उन्हें फिल्मों में काम के लिए प्रेरित किया। बेटी मेहरू के अनुसार अम्मी लखनऊ की लाडली थीं। वह लखनऊ से बेपनाह इश्क करती थीं। जब उन्हें फिल्म फेयर मिला तो लखनऊ में जश्न मनाया गया। मुबारकबाद के लिए कतार लग गई। हर किसी को ऐसा लगा जैसे उसे ही सम्मान मिला हो। यह अम्मी के साथ-साथ लखनऊ के हर कलाकार का सम्मान था। उमराव जान के जरिए फिल्मों में अभिनय की शुरुआत करने वाली फर्रुख जाफर की पीपली लाइव की अम्मा की भूमिका लोकप्रिय हुई थी।

उन्होंने बॉलीवुड के तीनों खान के साथ काम किया है। स्वदेश में शाहरुख खान के साथ काम किया, पीपली लाइव में आमिर खान के साथ और सुल्तान में सलमान खान के साथ भूमिका निभाई। तमाम किरदारों के बाद भी फिल्म गुलाबो सिताबो में उनके काम को सबसे ज्यादा पसंद किया गया। उनके निधन पर उनके साथ काम करने वालों ने स्मृतियां साझा करते हुए उन्हें याद किया।

अभिनेता संदीप यादव ने उनको याद करते हुए कहा कि फ़िल्म 'पीपली लाइव' के दौरान पहली बार उनसे मिलना हुआ वो उस फिल्म में नत्था की अम्मा का किरदार निभा रहीं थीं पूरी यूनिट उन्हें अम्मा ही कहती थी तब से लेकर जब जब मेरा उनसे मिलना हुआ मैंने उन्हें अम्मा कहकर ही पुकारा। भाषा, मुहावरे, देशज शब्दों , कहावतों पर उन्हें बहुत अच्छी पकड़ थी। उनके द्वारा निभाये गये प्रत्येक किरदार में आप उनकी भाषाई पकड़ साफ़ देख सकते हैं। बहुत ही सहज अभिनय करती थीं। पीपली लाइव के दौरान प्रत्येक सीन पर बहुत देर तक सह कलाकारों के साथ डिस्कस करती थीं, प्रॉपर रिहर्सल के बाद ही सीन करती थीं। उनका जाना न सिर्फ़ अवध के लिए, बल्कि अदब और संस्कृति के क्षेत्र के अलावा फ़िल्म जगत की भी बहुत बड़ी क्षति है। इस उम्र में भी उनकी आवाज़ ऊर्जा से भरी रहती थीं। उन्हें मेरा शत शत नमन प्रणाम।

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