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स‍िर्फ किताबी ज्ञान नहीं अब पढ़ाई के साथ जीवन कौशल भी सीखेंगे बच्‍चे, बेसिक शिक्षा परिषद ने द‍िया न‍िर्देश

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को कक्षावार तय पाठ्यक्रम के साथ ही जीवन कौशल भी सिखाया जाएगा। सार्थक व सकारात्मक रूप से जीने की कला ही जीवन कौशल है और इसका हर आयु व वर्ग के लिए महत्व है। कोरोना संक्रमण के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दस जीवन कौशल सुझाए और शुरुआती शिक्षा के साथ यह सिखाने का निर्देश दिया है। नई शिक्षा नीति में भी इस पर जोर दिया गया है। उसी के तहत संदर्भदाताओं को प्रशिक्षित किया गया है।

परिषदीय स्कूलों में बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं उन्हें अच्छा नागरिक बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है। एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक प्रशिक्षण अजय कुमार सि‍ंह कहते हैं कि जीवन कौशल सभी में होते हैं, जो नहीं होते वे विकसित किए जा सकते हैं। साथ ही उनमें सुधार भी हो सकता है। यही प्रयास राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) लखनऊ कर रहा है। 

बच्चों को ये बातें सिखाने के लिए उन्हीं के पाठ्यक्रम को ही आधार बनाया गया है। अलग-अलग पाठों में इन कौशलों का दूसरे रूप में जिक्र है, शिक्षकों को पढ़ाते समय संबंधित विषय के साथ अब यह भी बताना होगा कि इससे उनके जीवन में यह फायदा भी होगा, ताकि वे समाज में अच्छे नागरिक बनें। इसके लिए विद्यालयों में सहयोगी अभ्यास भी कराए जाएंगे।

शोध प्राध्यापक वत्सला पवार ने बताया कि संस्थान में 75 जिलों के 297 प्रतिभागियों ने पहुंचकर फिर से प्रशिक्षण प्राप्त किया है, इसमें यह देखा गया कि प्रशिक्षण के बाद उनकी क्षमताओं में क्या वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि पहले यह प्रशिक्षण आफलाइन दिया गया था, अब इसका आनलाइन माड्यूल भी तैयार किया गया है, ताकि बच्चों का पढ़ाई में कौशल विकास से मदद मिले। संदर्भदाता जिलों में शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की आयु को देखते हुए पाठ्यक्रम को ही ये सीख का आधार बनाया गया है। इसके अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है।

ये दस जीवन कौशल

  • स्वजागरूकता
  • पारस्परिक संबंध कौशल
  • संप्रेषण
  • भावना प्रबंधन
  • समानुभूति
  • तनाव प्रबंधन
  • समस्या समाधान
  • निर्णय लेना
  • सृजनात्मक चि‍ंतन
  • समालोचनात्मक चि‍ंतन

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