पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आने से राज्य सरकार नहीं घटा सकेगी डीजल और पेट्रोल का दाम
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को अभी गुड्स सर्विस टैक्स (टैक्स) के दायरे से बाहर रखा है। राज्य इन पर मूल्य संवर्धित टैक्स यानी वैट की वसूली करते हैं। काउंसिल की शुक्रवार को होने वाली बैठक में पेट्रोलियम उत्पादों खासकर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा सकता है। पेट्रोल व डीजल जीएसटी के दायरे में आने के बाद राज्य न तो इसकी दरें घटा सकेंगे और न ही इसमें किसी तरह की वृद्धि कर पाएंगे। राज्यों के लिए वैट पर मिलने वाला टैक्स काफी मददगार होता है।
यूपी में पेट्रोल पर 26.80 फीसदी या 17.14 रुपये जो भी प्रति लीटर से अधिक हो उसके हिसाब से वैट लिया जाता है। डीजल पर 17.48 प्रतिशत या 10.41 रुपये प्रति लीटर जो भी अधिक हो उसके हिसाब से वैट लिया जा रहा है। यूपी में आखिरी बार वर्ष 2019 में वैट की दरों में वृद्धि की गई थी। उस समय तर्क दिया गया था कि राज्य सरकार को हर साल 3000 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। इस घाटे की भरपाई के लिए वैट की दरों में वृद्धि गई है।
मौजूदा समय पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की योजना पर काम चल रहा है। वाणिज्य कर विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक राज्य सरकार को वैट से अच्छी-खासी कमाई होती है। इस वर्ष अगस्त माह में 1920 करोड़ रुपये की कमाई वैट से हुई है। अमूमन हर माह 1800 से 1900 से कमाई वैट से होती है। जीएसटी के दायरे में आने के बाद कमाई तो कम नहीं होगी, लेकिन राज्य सरकार जरूरत के आधार पर न तो वैट की दरें घटा पाएगी और न ही इसे बढ़ा पाएगी। इसीलिए अधिकतर राज्य इसका विरोध कर रहे हैं।