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दुष्कर्म में असफल होने पर 13 वर्ष की किशोरी को जिंदा जलाने वाले को 'फांसी', कोर्ट ने ढाई वर्ष पुराने केस में सुनाया फैसला

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में करीब ढाई वर्ष पहले 13 वर्ष की किशोरी के साथ दुष्कर्म करने में असफल होने के बाद जिंदा जलाकर क्रूर तरीके से हत्या के मामले में कोर्ट ने गुरुवार को आरोपित को फांसी की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम प्रतिभा सक्सेना ने अभियुक्त पर एक लाख 65 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

यह जघन्य वारदात सिकंदराराऊ कोतवाली क्षेत्र के एक गांव की है। पीड़िता के पिता ने इसका मुकदमा 16 अप्रैल 2019 को दर्ज कराया था। इसमें आरोप था कि 15 अप्रैल को वह और पत्नी बाहर गए थे। घर पर उसकी 13 वर्षीय बेटी और सास (पीड़िता की नानी) अकेले थे। रात करीब 10 बजे आरोपित मोनू ठाकुर घर में घुस आया। उसने किशोरी के साथ छेड़छाड़ की। विरोध करने पर उसे मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। पीड़िता को गंभीर हालत में अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया।

तहरीर के आधार पर पुलिस ने मोनू ठाकुर के खिलाफ धारा 354, 354ए, 452, 326ए के तहत मुकदमा दर्ज किया। 17 दिन बाद किशोरी की मौत हो गई थी। पुलिस ने किशोरी के मृत्यु पूर्व बयानों के आधार पर मुकदमे में दुष्कर्म का प्रयास और हत्या की धाराएं बढ़ाईं। चार्जशीट दाखिल होने के बाद एडीजे/विशेष न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम प्रतिभा सक्सेना के न्यायालय में सुनवाई शुरू हुई। अभियाेजन पक्ष से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता राजपाल सिंह दिसवार ने पैरवी की। कोर्ट ने अधिवक्ताओं को सुनने के बाद फैसला सुनाया है।

कोर्ट ने अभियुक्त मोनू ठाकुर को धारा 302 में फांसी की सजा, 50 हजार रुपये जुर्माना, धारा 326ए में सश्रम आजीवन कारावास, 50 हजार रुपये जुर्माना, धारा 376 व 5/6 पाक्सो अधिनियम में सश्रम आजीवन कारावास, 50 हजार रुपये जुर्माना, धारा 354 व 7/8 पाक्सो अधिनियम पांच वर्ष कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड, धारा 452 में सात वर्ष कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा नहीं करने पर आरोपित को अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

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