पान के पत्ते से निकलेगा तेल और किसान की भरेगा जेब, पान उत्पादन प्रोत्साहन योजना को मिलेगा बल
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. मृतप्राय हो चुकी पान की खेती को जीवंतता मिलने वाली है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले कुछ महीने में बनारस समेत पूर्वांचल के पान उत्पादक जिलों के किसानों से पान के पत्ते की मांग की जाएगी। इसकी तैयारी यहां नहीं बल्कि बिहार के नालंदा जिले के इस्लामपुर में मगही पान अनुसंधान केंद्र कर रहा है। यहां साल के अंत तक पान तेल संयंत्र इकाई स्थापित की जाएगी, जहां पर पान के पत्ते से तेल बनाया जाएगा। इसकी मांग बाराबंकी व लखनऊ से तो हुई ही है, इसे बाहर भेजने के लिए निर्यातकों से बातचीत भी शुरू हो गई है।
बनारस में पान की खेती और भविष्य : काशी विद्यापीठ ब्लाक के बच्छावा गांव में अभी छह-सात किसान एक से दो बीघे में पान की खेती कर रहे हैं। किसान मनीष बताते हैं कि पहले 50-50 बीघे में पान की खेती होती थी। बीते सालों में कई कारणों के चलते इस खेती से किसानों का मोह भंग हो गया। बहरहाल, पान के पत्ते का उचित मूल्य किसानों को मिले तो इसकी खेती का दायरा बढ़ेगा। जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि तेल के लिए पान के पत्ते की मांग बढ़ती है और उचित मूल्य मिलता है खेती का दायरा बढ़ेगा। अभी पान उत्पादन को प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत किसानों के परीक्षण का कार्य चल रहा है। बनारस ही क्यों इससे दायरा भी बढ़ेगा।
कहां बन रही इकाई व कैसे करेगा काम : पांच लाख लागत की पान तेल संयंत्र इकाई बिहार के नालंदा जिले के इस्लामपुर स्थित मगही पान अनुसंधान केंद्र में स्थापित हो रही है। इकाई कोरोना काल में पान किसानों के हुए नुकसान को देखते हुए बेहतर भविष्य की तैयारी के तहत प्रोजेक्ट तैयार किया गया। मशीन लखनऊ से आएगी जिसकी क्षमता एक क्विंटल प्रति घंटा तेल उत्पादन की है। यह आसवन विधि से तेल निकलेगा। एक किलो पान के पत्ते से 10 मिग्रा तेल निकलता है।
पान के तेल की उपयोगिता, बढ़ेगा बाजार : महोबा निवासी वैज्ञानिक आरएस चौरसिया बताते हैं कि इशेंशियल आयल मतलब सगंध तेल। सेंट की तरह पान के पत्ते से तेल बनेगा। पान के तेल यानी सगंधीय (ऐयरोमेटिक) तेल की मांग सबसे अधिक खाद्य पदार्थों में होगी। यह औषधीय भी है, जिसे माउथ फ्रेसनर, ऑक्सिटोसिन में (गोली में पान का तत्व चेविकोल रहता है)। इसके अतिरिक्त पान में 13 प्रकार के आयुर्वेद गुण पाए जाते हैं। जो वात, पित्त, कफ, मुख शोधक, कीटाणु नाशक, स्फूर्तिवर्धक, पाचन व आहारनाल, गैस समेत कई और शारीरिक दिक्कतों को दूर करेगा। पत्ते में अमिनोएसिड, एंटीऑक्सीडेंट के गुण हैं। ये कैंसर रोधी भी है।
आर्थिक विश्लेषण जल्द, निर्यात की तैयारी : नालंदा स्थित केंद्र में किसानों की बेहतरी के लिए इकाई के चलने के साथ आर्थिक विश्लेषण शुरू करेगा। इससे जानकारी ली जाएगा कि किसान खाने का पत्ता बेचने के अतिरिक्त तेल से कमाई कैसे अधिक करेगा। मूल्यवर्द्धित उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं निर्यातकों से बात की जा रही है। निर्यात के लिए जरूरी भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय अंतर्गत अपेडा में सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया भी शुरू करने की तैयारी है।
बोले अधिकारी : मगही पान अनुसंधान केंद्र प्रभारी डा. एसएन दास बताते हैं कि इससे पान के किसान को लाभ होगा। सबसे बड़ी बात है कि इस प्रयास में सरकार रुचि ले रही है। ऐसे में भविष्य सुनहरा होने की उम्मीद है। हमारी पूरी कोशिश है कि तेल की अधिक अधिक खपत हो। जौनपुर और प्रयागराज के भी पान किसान इस्लामपुर जा चुके हैं। किसानों में काफी उत्साह है।