दुष्कर्म के आरोपी सांसद और हिस्ट्रीशीटर अतुल राय के करीबियों पर मेहरबान रही पुलिस, कई और पुलिस अधिकारियों पर कसेगा शिकंजा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. नैनी जेल में बंद मऊ के घोषी सांसद अतुल राय पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता और गवाह की मौत के बाद वाराणसी के तत्कालीन अफसरों की लापरवाही भी उजागर हो रही है। दुष्कर्म पीड़िता के आत्मदाह प्रकरण में एसआईटी की रिपोर्ट में तत्कालीन एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी और एडीसीपी वरुणा विनय कुमार सिंह पर पीड़िता की शिकायत की जांच को गंभीरता से नहीं लेने और मामले की निगरानी में लापरवाही बरतने का आरोप है। दो अफसरों के जांच के दायरे में आने के बाद महकमे में और भी लोगों पर शिकंजा कसने की आशंका है।
दरअसल, घोषी सांसद पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराने वाली पीड़िता लगातार पुलिस से गुहार लगाती रही कि सांसद के गुर्गे उसे धमकी दे रहे हैं। विकास चंद त्रिपाठी वाराणसी में पहले एसपी सिटी और कमिश्नरेट लागू होने के बाद एडीसीपी काशी जोन थे। विनय कुमार सिंह कमिश्नरेट में एडीसीपी वरुणा रहे और वर्तमान में एडीसीपी प्रोटोकाल हैं। इन दोनों अफसरों से भी पीड़िता और गवाह ने कई बार सांसद के गुर्गों के कारस्तानी की शिकायत की थी, मगर दोनों ने गंभीरता नहीं दिखाई थी।
दुष्कर्म मामले के गवाह को मिली थी धमकी
दो दिसंबर 2020 को दुष्कर्म मामले के गवाह ने वाराणसी के शिवपुर निवासी शोभित सिंह और शुभम पर जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया था। उसका आरोप था कि अतुल राय के खिलाफ गवाही देने पर उसे धमकाया जा रहा है। इस मामले में गवाह ने आरोपियों के खिलाफ पुलिस को पुख्ता सबूत भी सौंपा था।
अफसरों के चक्कर काटती रही पीड़िता
चार दिसंबर 2020 को पीड़िता ने सांसद अतुल राय और सुधीर कुमार के खिलाफ सोशल मीडिया पर चरित्रहीन टिप्पणी करने का मुकदमा दर्ज कराया था। इन मामलों में पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है। कारण, पुलिस ने जांच के नाम पर कागजी खानापूर्ति की और नामजद किसी आरोपी पर कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में पीड़िता लगातार अपनी सुरक्षा को लेकर सशंकित थी और कार्रवाई के लिए अफसरों के चक्कर काटती रही।
पीड़िता और गवाह के आत्मदाह के बाद कार्रवाई
बता दें कि 16 अगस्त को पीड़िता और गवाह के आत्मदाह के बाद गाजियाबाद में तैनात रहे वाराणसी के तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक को पुलिस मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया था। उधर, कैंट थाने में पीड़िता और गवाह के खिलाफ दर्ज मुकदमे में पुलिस की लापरवाही पर इंस्पेक्टर राकेश सिंह और विवेचक गिरजा शंकर यादव को निलंबित कर दिया गया था।
गलत टिप्पणी पर सीओ किए गए थे निलंबित
आरोपी सांसद अतुल राय मामले में सबसे पहली गाज भेलूपुर के तत्कालीन सीओ अमरेश सिंह बघेल पर गिरी थी। सीओ ने अपनी जांच रिपोर्ट में सांसद को क्लीन चिट देने का प्रयास किया था और बाद में पीड़िता पर टिप्पणी भी की थी। इसके बाद शासन ने सीओ अमरेश सिंह बघेल को निलंबित कर दिया था और इस मामले की जांच आईजी रेंज प्रयागराज को सौंपी है।
पीड़िता के शिकायती पत्रों की हुई अनदेखी
पीड़िता ने 10 नवंबर 2020 को तत्कालीन एसएसपी वाराणसी को आरोपी सांसद और उनके लोगों की ओर से दी जा रही मानसिक व शारीरिक यातनाएं दिए जाने की शिकायत की थी। अतुल राय के लोग केस कमजोर करने और साक्ष्य मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। उसने यह भी शिकायत की थी कि मेरे गवाह के नाम को किसी अपराधी के साथ जोड़कर दिखाया जा रहा है। इससे व्यथित मेरे गवाह ने आत्मदाह करने की बात कही है।
मंडुवाडीह थाने का हिस्ट्रीशीटर है आरोपी सांसद
आरोपी सांसद अतुल राय मंडुवाडीह थाने का हिस्ट्रीशीटर है और लंबे समय तक मऊ सदर विधायक माफिया मुख्तार अंसारी की शार्गिदगी में अवैध कारोबार संभालने का भी आरोप है। वाराणसी में अतुल राय की लंबी-चौड़ी टीम है। पीड़िता लगातार इन्हीं लोगों के खिलाफ धमकी देने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाती थी। मगर, पुलिस ने सांसद के गुर्गों की पहचान तक नहीं की थी।