बीजेपी-सपा और बसपा की निगाहें अब पूर्वांचल में बड़ा उलटफेर की ताकत वाले राजभर वोटरों पर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. विधानसभा चुनाव 2022 में पूर्वांचल में वोट की बड़ी ताकत वाली प्रमुख जातियों की गोलबंदी बड़ा मायने रखेगी। इनमें से दो जातियां कुर्मी और निषाद (मझवारा) जाति की राजनीति करने वाले नेता भाजपा के साथ गठबंधन में हैं। तीसरी राजभर बिरादरी जो कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी थी इस बार भाजपा से छिटकी नजर आ रही है। पूर्वांचल में राजभरों की ताकत सभी दल जानते हैं। जिसे देखते हुए भाजपा ने कई राजभर नेताओं को पार्टी में आगे बढ़ाया है, सपा भी स्थापित राजभर बिरादरी के नेताओं को जोड़ रही है।
सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर इस वोट बैंक पर सबसे बड़ी दावेदारी जता रहे हैं। राजभर ने भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाकर अन्य जातियों को जोड़ने का काम भी किया है। पिछला चुनाव भाजपा संग लड़ने वाले ओम प्रकाश राजभर इस बिरादरी में अपना असर बनाए रखने की चुनौती होगी। क्योंकि भाजपा ही नहीं बसपा व सपा भी इस पर दावेदारी जता रहे हैं।
पूर्वांचल व अवध की 90 सीटों पर राजभरों की अच्छी तादाद
पूर्वांचल से अवध तक 90 सीटों पर राजभर बिरादरी की अच्छी संख्या है। बताया जाता है कि इन सीटों पर राजभर मतदाताओं की तादद 25 से लेकर 90 हजार तक है। वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, जौनपुर, देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, महाराजगंज, अंबेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, मिर्जापुर, चंदौली जिले की कई सीटों पर राजभर जातियां बहुत मजबूत हैं। पूरे प्रदेश में राजभर बिरादरी की कुल संख्या 4.5 फीसदी है जबकि पूर्वांचल के तमाम जिलों में इस बिरादरी की संख्या 18 फीसदी तक है।
2017 में भाजपा के साथ रहते हुए राजभर ने जीती थी चार सीटें
पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में ओम प्रकाश राजभर का गठबंधन भाजपा के साथ था। गठबंधन के तहत राजभर को आठ सीटें मिली थी, जिनमें से वह चार जीतने में सफल हुए थे। तीन सीटों पर उनके प्रत्याशी रनर रहें एक सीट पर इनका प्रत्याशी तीसरे स्थान पर था। जिन सीटों पर भाजपा 2012 में पांच से दस हजार वोट पाई थी उन सीटों पर भी 2017 में 70 से 90 हजार तक वोट मिले थे। इसमें बड़ा योगदान राजभर जातियों का था।
सपा-बसपा भी राजभर बिरादरी में पैठ बनाने की कोशिश में
बसपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे सुखदेव राजभर के बेटे ने सपा ज्वाइन कर लिया है। मंत्री रहे राम अचल राजभर भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ संपर्क में हैं। राम अचल राजभर भी सपा के साथ जाने की तैयारी में हैं। उधर बसपा ने भी बब्बन राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बना कर उन्हें लुभाने की कोशिश पहले से शुरू कर दी है।
भाजपा ने अनिल राजभर को आगे बढ़़ाया
ओम प्रकाश राजभर के गठबंधन से बाहर होने के बाद भाजपा ने अनिल राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया। उन्हें पूरे प्रदेश में राजभरों के बीच स्थापित करने की कोशिश की। वहीं बलिया के रहने वाले सकलदीप राजभर को राज्यसभा सांसद बनाकर राजभर मतदाताओं को बड़ा संदेश देने का काम किया है।