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Ghazipur: हत्या के मामले में पांच को आजीवन कारावास और अर्थदंड से किया दंडित

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले के सैदपुर थाना क्षेत्र के हिरानंदपुर के ग्राम प्रधान विशुन यादव के 13 वर्ष पहले हत्या के मामले में विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर कोर्ट विष्णु चंद्र वैश्य की अदालत ने बुधवार को पांच लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही साथ प्रत्येक को 32-32 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।

अभियोजन के अनुसार 21 दिसंबर 2008 को हिरानंदपुर के तत्कालीन ग्राम प्रधान विशुन यादव गडरान टोला में हो रहे नाली के निर्माण को देखने गए थे। जब वापस आ रहे थे तभी रास्ते में ही गांव के अनिल यादव, लालता यादव, सुधीर यादव उर्फ मिटू यादव, तहसीलदार यादव उर्फ मेघु यादव, मुलायम यादव व रामजन्म यादव एक राय होकर तमंचा से गोली मार दिए। उन पर चाकू से भी हमला किए और फरार हो गए। 

इससे विशुन यादव की मौके पर ही मौत हो गई। इसकी सूचना मृतक के भाई नंदलाल यादव ने थाना सैदपुर में तहरीर दी। इसके आधार पर आरोपितों के विरुद्ध पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तारी कर न्यायालय पेश किया। जहां से आरोपितों को जेल भेज दिया गया। 

विवेचना उपरांत पुलिस ने सभी आरोपितों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित किया। दौरान विचारण आरोपित रामजन्म यादव की मृत्यु हो गई। न्यायालय में विचारण के दौरान अभियोजन की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने कुल 10 गवाहों को पेश किया। न्यायालय ने दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद उपरोक्त फैसला सुनाया।

हत्या में पिता-पुत्र को सात व पत्नी को तीन वर्ष की सजा

गाजीपुर फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय दुर्गेश की अदालत ने बुधवार को हत्या के मामले में पिता व पुत्रों को सात व पत्नी लालती देवी को तीन साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई है। वहीं प्रत्येक को एक लाख 61 हजार पांच सौ रुपये से अर्थदंड से दंडित किया है।

अभियोजन के अनुसार थाना भुड़कुड़ा गांव एमावंशी की संगीता ने थाने में तहरीर दी थी कि सात जून 2007 को मेरे चाचा विरेंद्र के दरवाजे पर हैडपंप लगा था, जो एक महीने से खराब हो गया था। इसे चाचा बनाने का प्रयास कर रहे थे। उसी बीच राजेंद्र राम, उनका लड़का अश्वनी व दुष्यंत व उनकी पत्नी लालती देवी लाठी डंडा से लैश होकर वीरेंद्र राम पर टूट पड़े। 

वीरेंद्र की पत्नी शारदा व संगीता के पिता सुरेंद्र राम बचाने गए तो उन्हें भी मारपीट कर लहूलुहान कर दिया। इलाज के लिए लोग अस्पताल ले गए, जहां पर चिकित्सकों ने वाराणसी के लिए रेफर कर दिया। वहां इलाज के दौरान चार दिन बाद सुरेंद्र राम की मौत हो गई। तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना उपरांत आरोपितों के विरुद्ध पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया। दौरान विचारण अभियोजन की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता अखिलेश सिंह ने कुल 10 गवाहों को पेश किया। दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने उपरोक्त फैसला सुनाया।

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