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अदालत का हैरत अंगेज फरमान: 24 वर्ष पहले हो चुकी मौत, अब हत्या के मामले में 'मृतक' को हाजिर होने का समन

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. कभी-कभी अदालत द्वारा ऐसे भी हैरत अंगेज फरमान जारी हो जाते है कि परिवारीजन दुविधा में पड़ जाते हैं। ताजा मामला फूलपुर के पूर्व प्रधान आशा प्रसाद का है, जिनकी अक्टूबर 1997 में बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मुत्यु के 24 वर्ष बाद पूर्व ग्राम प्रधान के घर उसके नाम से पुलिस द्वारा न्यायालय का समन पहुंचने से परिवार के लोग सकते में आ गए।

बताते हैं कि फूलपुर के ग्राम प्रधान रहे आशा प्रसाद जायसवाल की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वह अपने कपड़े की दुकान पर बैठे थे। मृत ग्राम प्रधान को एक हत्या के मामले में साक्षी बनाया गया था। उक्त मुकदमे की सुनवाई के तहत अंतिम अवसर देते हुए 16 सितंबर तक उपस्थित होने का न्यायालय ने आदेश दिया है। फूलपुर पुलिस के सिपाही शुक्रवार को समन लेकर मृत पूर्व ग्राम प्रधान के घर पहुंचे तो उनके पुत्र जितेंद्र जायसवाल ने 24 वर्ष पूर्व पिता की मौत का हवाला देते हुए समन लेने से इनकार कर दिया, लेकिन पुलिसकर्मी जबरन समन थमा कर चलते बने।

इस संदर्भ में स्व. आशा प्रसाद की पत्नी उर्मिला देवी ने बताया कि कौन अशोक सिंह हैं और किस थाने का मुकदमा है, उन्हें कोई जानकारी नहीं है। पति की हत्या के समय उनके बच्चे नाबालिग रहे और पति की हत्या के बाद भी कभी इस तरह का नोटिस नहीं आया था। उनकी मौत के 24 वर्ष बाद पहली बार समन आया, जिसमें न्यायालय में उपस्थित होने का आखिरी मौका दिया गया है। समन को लेकर परिजन परेशान हैं।

अदालत का समन जबरन पुलिस द्वारा थमा देने के बाद अब परिजन असमंजस में हैं कि कहां से मृतक को अब खोजकर लाएं और अदालत में पेश करें। इस बाबत परिजनों के लाख मिन्‍नत करने के बाद भी पुलिस का दिल नहीं पसीजा। अब परिजन वकील के माध्‍यम से मृत को मृत साबित करने की जिच में जूझते नजर आ रहे हैं.

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