यूपी के एडेड माध्यमिक कालेजों में लिपिकों के चयन का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने जताई है नाराजगी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक कालेजों में लिपिकों के पद बड़ी संख्या में खाली हैं। निदेशक ने उनमें से 26 कालेजों में चयन करने का आदेश दिया था और 2019 में गड़बड़ियों की शिकायतें मिलने पर चयन प्रक्रिया रोक दी गई। हाई कोर्ट ने चयन प्रक्रिया में गुणदोष का परीक्षण किए बिना रोकने पर नाराजगी जताई और अधीनस्थ अफसरों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इस आदेश से भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।
उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) विद्यालयों में शिक्षणेतर कर्मचारियों (लिपिक संवर्ग) के पदों को सीधी भर्ती से भरे जाने की तैयारी थी। इसमें यह नियम बना कि नियुक्ति प्राधिकारी निरीक्षक के पूर्व अनुमोदन सिवा एडेड कालेजों में भर्ती नहीं होगी। जिला विद्यालय निरीक्षक सभी रिक्त पदों की संख्या शिक्षा निदेशक माध्यमिक को उपलब्ध कराएगा, साथ ही संस्था में छात्र संख्या बताते हुए उसका औचित्य भी समझाएगा। अनुमति मिलने पर पद भरे जाएंगे।
निदेशालय स्तर से कालेजों को कनिष्ठ सहायक के पद सीधी भर्ती से भरने की अनुमति दी गई थी। उसी बीच चयन प्रक्रिया में अनियमितता की शिकायतें मिलने पर 30 जून 2019 को सभी जेडी व डीआइओएस को पत्र भेजकर चयन प्रक्रिया रोक दी गई थी। इसके बाद 30 अक्टूबर 2019 को शिक्षा निदेशक माध्यमिक ने 26 कालेजों में शिक्षणेतर कर्मियों के चयन की अनुमति दी थी। कुछ दिन बाद इस प्रक्रिया को रोककर पारदर्शी चयन करने के लिए नियमावली बनाई जाए, ये अब तक विभाग में विचाराधीन है। चयन प्रक्रिया रोके जाने से खफा कालेज संचालकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद सैकड़ों याचिकाएं कोर्ट में दाखिल हुईं।
विभाग ने इन मामलों में का परीक्षण कराया तो सामने आया कि मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों व जिला विद्यालय निरीक्षकों ने गुणदोष देखे बिना प्रकरण को समान पाते हुए चयन प्रक्रिया रोकी गई है। कोर्ट ने भी इसे सही नहीं माना है। शासन के निर्देश पर शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने उन अधीनस्थ अधिकारियों के विरुद्ध नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया है, जिन्होंने बिना गुणदोष देखे 26 कालेजों की चयन प्रक्रिया स्थगित कर दी है। इस आदेश से लिपिकों की चयन प्रक्रिया शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है।