चन्द्रकांता की नगरी चंदौली को ईको टूरिज्म की मंजूरी, जल प्रपात होंगे केंद्र
गाजीपुर न्यूज़ टीम, चंदौली. चंद्रकांता की नगरी को ईको टूरिज्म बनाने की मंजूरी मिल गई है। सांस्कृतिक व ऐतिहासिक नगरी में वाराणसी, सोनभद्र, मीरजापुर के प्राकृतिक पर्यटन को जोड़ने की कवायद प्रारंभ हो गई है। सब कुछ ठीक रहा तो आगामी वर्ष जनवरी माह में ईको टूरिज्म बनाने का शुभारंभ हो जाएगा। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण राजदरी, देवदरी जलप्रपात ईको टूरिज्म का केंद्र बिंदु होगा। ईको टूरिज्म बनाने की कवायद के क्रम में वन विभाग तथा वन निगम को पूर्वाभ्यास की अनुमति मिल चुकी है। विकास की संभावनाएं तलाशने का अभियान तेज हो गया है।
वाराणसी में प्रत्येक वर्ष लाखों देश विदेश के पर्यटक आते है। मंशा है कि इन पर्यटकों को वन क्षेत्र की विविधताओं व विशेषताओं से जोड़ा जाय, ताकि क्षेत्र में रोजगार पैदा करने के साथ ही प्रदेश सरकार की आय में वृद्धि की जा सके। इस कवायद के तहत पिछले दिनों राजदरी जलप्रपात के प्रेक्षागृह में प्रधान प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) पीके शर्मा ने उत्तर प्रदेश पर्यटन निगम, टूरिज्म गिल्ड तथा पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ गहन मंथन किया। जनपद के वन क्षेत्र में अनेक पौराणिक, सांस्कृतिक धरोहर पर चर्चा करते हुए राजदरी, देवदरी जलप्रपात को केंद्र बिंदु मानते हुए ईको टूरिज्म के लिए मुफीद पर्यटन स्थल माना।
चंद्रकांता की नगरी में कौमी एकता के प्रतीक ऐतिहासिक बाबा लतीफशाह, बाबा जागेश्वरनाथ, कोईलरवा हनुमान जी, अमरा भगवती एवं विशालकाय जलाशय मूसाखाड़, चन्द्रप्रभा, नौगढ़ पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण राजदरी, देवदरी, औरवाटाड़, छानपातर, लतीफशाह बीयर, मुजफ्फरपुर बीयर समेत दर्जनों प्राकृतिक स्थल मौजूद हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरे पड़े हैं। इनको परिपथ के साथ जोड़कर पर्यटकों को पर्यटन की दृष्टि से आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करके ईको टूरिज्म की सम्भावनाएं तलाशने का कार्य तेजी से शुरू हो गया है।
वन कानूनों का पालन करते हुए ईको टूरिज्म के विकास का प्रयास होगा
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण राजदरी, देवदरी जलप्रपात को केंद्र बिंदु बनाकर ईको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशने का अभियान जारी है। वन कानूनों का पालन करते हुए ईको टूरिज्म के विकास का प्रयास होगा।दिनेश सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी, काशी वन्यजीव प्रभाग