गंगा की लहरों से उड़ान भरेगा सी प्लेन, सात सदस्यीय टीम की मंजूरी के बाद शासन को भेजी रिपोर्ट
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. काशी नमामि गंगे से अर्थ गंगा की राह पर निकल पड़ी है। गंगा में मालवाहक, जलयान, रो पैक्स पहले से संचालित हैं, तो वहीं नावें सीएनजी से संचालित हो रही हैं। अब सी प्लेन के उड़ान भरने की तैयारी है। जिलाधिकारी वाराणसी की ओर से गठित सात सदस्यीय टीम ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसे शासन को भेज दिया गया है। इसमें कहा गया है कि बनारस से सी प्लेन संचालन को लेकर कोई तकनीकी बाधा नहीं है।
पर्यटन की राह होगी आसान
सी प्लेन से बनारस में पर्यटन की राह सुगम होगी। यह मथुरा, अयोध्या व प्रयागराज तक उड़ान भरेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नवंबर या दिसंबर में इसका उद्घाटन कर सकते हैं।
400 किलोमीटर की दूरी एक घंटे में
सी प्लेन पानी और जमीन दोनों जगह से उड़ान भर सकता और लैैंड कर सकता है। यह 400 किलोमीटर की दूरी एक घंटे में तय करता है। इसमें 10 से 15 लोग बैठ सकते हैैं। इसे उड़ाने के लिए एक किमी जगह बिना बाधा के चाहिए। बनारस में खिड़किया घाट, राजघाट और सामने घाट के बीच और सामने घाट से विश्वसुंदरी पुल के बीच इतना स्थान उपलब्ध है। पानी से उड़ान भरने के लिए फ्लोटिंग जेट्टी की जरूरत होती है। यह काफी हल्का होता है और इस कारण कम ईंधन खर्च होता है। यात्रियों को किनारे आने के लिए फ्लोटिंग जेट्टी की जरूरत होती है।
देश की पहली सी प्लेन सेवा गुजरात में
देश में पहली सी प्लेन सेवा गुजरात में अक्टूबर 2020 में अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट से केवडिय़ा के बीच शुरू हुई थी और उसका उद्घाटन पीएम नरेन्द्र मोदी ने किया था। केवडिय़ा में सरदार बल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू आफ यूनिटी है। 200 किलोमीटर की इस दूरी को सी प्लेन 30 मिनट में तय करता है। पहले इसमें चार से पांच घंटे लग जाते थे। एक व्यक्ति का एक तरफ का किराया 1500 रुपये है। बनारस में भी यही किराया संभावित है।
सी प्लेन संचालन के लिए सात सदस्यीय कमेटी गठित की गई
सी प्लेन संचालन के लिए सात सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। इसमें गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, पीडब्ल्यूडी, प्रभागीय वनाधिकारी, बंधी प्रखंड, संभागीय परिवहन अधिकारी, पर्यटन व वीडीए के अधिकारियों को शामिल किया गया था। टीम की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है।- कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी