BHU के प्रोफेसर अशोक सिंह बने संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के कुलपति
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. वाराणसी स्तिथ बीएचयू में हिंदी के सेवानिवृत्त आचार्य और कला संकाय के पूर्व प्रमुख रहे प्रो. अशोक सिंह को छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया है। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल के सचिव की ओर से सोमवार को एक अधिसूचना जारी की गई, जिसके बाद दोपहर तक उन्होंने विश्वविद्यालय पहुंचकर उन्होेंने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया।
पद ग्रहण करते ही प्रो. सिंह ने जागरण संवाददाता से कहा कि विवि की शैक्षणिक गतिविधियों को बरकरार रखने के लिए वह महामना के दिखाए ज्ञान के पथ का पालन करेंगे। बीएचयू की ही तरह से संत गहिरा गुरु विवि को भी देश का बेहतर संस्थान बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब वह एक माह तक लगातार विवि में शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारु करने का कार्य करेंगे।
सोमवार को कुलसचिव विनोद एक्का सहित अन्य अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने कार्यभार ग्रहण करने के बाद अधिकारियों-कर्मचारियों की परिचयात्मक बैठक ली। इसके साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं, संसाधनों की जानकारी लेने के साथ यहां शैक्षणिक गतिविधियों पर भी चर्चा की। संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर स्थाई नियुक्ति का मामला अटका हुआ था। पिछले दो साल से सरगुजा कमिश्नर को कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। नियमित कुलपति की पदस्थापना नहीं होने के कारण विश्वविद्यालय का कामकाज भी प्रभावित हो रहा था।
45 साल का बीएचयू से रहा जुड़ाव
प्रो. अशाेक सिंह 45 साल से अधिक समय तक बीएचयू से जुड़े रहे। उनके पिता प्रो. विजयपाल सिंह तिरुपति के वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर थे तो इस समय तक उनकी समस्त प्रारंभिक शिक्षा तिरुपति में ही हुई। इसके बाद पिता प्रो. विजयपाल सिंह बीएचयू में हिंदी के प्रोफेसर बने और आगे चलकर कला संकाय में डीन भी बने, जहां पर बाद आगे चलकर उनके बेटे भी डीन बने।
प्रो. सिंह की पत्नि प्रो. अनीता सिंह बीएचयू में ही अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं और दो बच्चे अमेरिका और कनाडा में पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करते हैं। प्रो. सिंह ने बीएचयू से हिंदी में स्नातक, पत्रकारिता में पीजी और पीएचडी आचार्य रामचंद्र शुक्ल के गद्य साहित्य विषय पर किया है। इस दौरान वह बीएचयू में गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे है। वर्ष 1982 में बीएचयू में वह बीएचयू में लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुए और 1998 में प्रोफेसर बन गए। प्रो. सिंह ने अमेरिका में आठवां विश्व हिंदी और मारीशस में भोजपुरी कांफ्रेंस में ही हिस्सा लिया है।