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अयोध्या के पीठाधीश्वर परमहंस ने दी चेतावनी- '2 अक्टूबर तक भारत हिंदू राष्ट्र घोषित न हुआ तो लेंगे जल-समाधि'

गाजीपुर न्यूज़ टीम, अयोध्या. उत्तर प्रदेश के अयोध्या के तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस आचार्य ने पीएम से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की। कहा कि अगर दो अक्टूबर गांधी जयंती तक भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया तो वह सरयू में जल समाधि ले लेंगे। आचार्य मंगलवार को प्रेस क्लब में आयोजित ब्राह्ण संरक्षण सेवा फाउंडेशन द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे।

उन्होंने समाज की एकता, सुरक्षा और सेवा के लिए फाउंडेशन की सराहना की। संगठन अध्यक्ष बिंदुसार पांडेय ने सरकार से परमहंस आचार्य की मांग को गंभीरता से चिंतन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निर्दोष ब्राहणों की हत्याएं हो रही हैं। समाज अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा है। ब्राहणों के साथ भाजपा सरकार असंवैधानिक कार्य कर रही है। खुशी दुबे की रिहाई की मांग करते हुए उन्होंने भाजपा सरकार पर अयोध्या में हो रहे श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण का श्रेय लूटने का आरोप लगाया। 

इस मौके पर उन्होंने हरदोई के संडीला में भगवान परशुराम के भव्य मंदिर निर्माण का एलान किया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक उमेश शुक्ला मौजूद रहे। इसमें सभी पार्टियों से गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने, जातिगत आरक्षण खत्म किए जाने, निर्दोष ब्राहणों की हत्या की जांच सीबीआई से और भूमिहीन ब्राहाणों को जमीन दान में दिए जाने की मांग फाउंडेशन की ओर से रखी। इसमें प्रभारी श्रीराम मिश्रा, उपाध्यक्ष विनोद पांडेय, वीरेंद्र मणि तिवारी, योगेंद्र त्रिपाठी, विनोद शुक्ला आदि लोग मौजूद रहे।

मंदिर निर्माण की बेला में खूब याद आए परमहंस: सरयू के संत तुलसीदास घाट स्थित मंदिर आंदोलन के पर्याय रहे रामचंद्रदास परमहंस की समाधि पर पुण्य तिथि की पूर्व बेला से ही अनुराग छलका। समाधि का जीर्णोद्धार कराने वाले उनके शिष्य एवं श्रीमहंत रामचंद्रदास परमहंस सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य नारायण मिश्र के संयोजन में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

 कोरोना संकट के चलते पूर्व की तरह दिग्गज संत के प्रशंसक तो नहीं उमड़े, पर जो थे, उनका उल्लास कई गुना अधिक था। नारायण मिश्र ने कहा, मंदिर निर्माण का चिर स्वप्न साकार होने की बेला में उनके प्रति आदर-अनुराग का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है। मंदिर आंदोलन के मोर्चे पर परमहंस के निकट सहयोगी रहे पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती ने मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष की स्मृति अक्षुण्ण रखने की मांग की।

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