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माफिया डॉन मुख्तार अंसारी ने कोर्ट में फ‍िर जताया जान को खतरा, बांदा जेल से की वीडियो कांफ्रेंसिंग

गाजीपुर न्यूज़ टीम, बाराबंकी. विशेष अपर सत्र न्यायाधीश केके श्रीवास्तव ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एंबुलेंस मामले की सुनवाई की।इस दौरान व‍िधायक मुख्तार अंसारी का डर एक बार फ‍िर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया। 

जज ने मुख्तार अंसारी से जेल से वकालत नामा भेजकर अपना विधिक वकील नियुक्त करने को कहा। साथ ही यह भी सवाल किया कि ऐसा न करने पर क्यों न व्यक्तिगत रूप से बांदा जेल से बाराबंकी तलब क‍िया जाए। इस पर मुख्तार अंसारी ने कहा कि यदि उन्हें व्यक्तिगत रूप से तलब किया गया तो उनकी जान का खतरा है। 

मुख्तार ने अदालत से बांदा जेल के आगंतुक रजिस्टर व सीसीटीवी फुटेज मंगाकर जांच कराने की मांग भी की। अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि नौ सितंबर निर्धारित की है। मुख्तार की तरफ से उनके वकील रणधीर सिंह सुमन पैरवी के लिए मौजूद रहे।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी मुख्तार अंसारी ने बांदा जेल में अपनी हत्या की साजिश की बात कही थी। इस दौरान मुख्तार अंसारी ने कहा कि बांदा जेल में उसे जान का खतरा है। जेल के सीसी कैमरों को मोड़कर लोग आते-जाते हैं, ज‍िससे मेरी हत्या की साजिश प्रतीत होती है। मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता ने बांदा जेल में उसकी सुरक्षा को खतरा बताते हुए किसी दूसरी जेल में रखे जाने के संबंध में प्रार्थना पत्र भी दिया था।  

क्या है मामला : मुख्तार अंसारी को पंजाब की जेल से पेशी पर लाने व ले जाने के लिए एक एंबुलेंस खरीदी गई थी। इसका पंजीकरण श्याम संजीवनी हास्पिटल के नाम पर बाराबंकी के फर्जी पते पर कराया गया, जबकि हास्पिटल मऊ जिले में है। इस मामले की जांच पुलिस ने की तो हास्पिटल की डा. अलका राय सहित छह लोगों को नामजद किया था। किसी की भी जमानत नहीं हुई है। छह से अधिक लोगों की गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस न तो बाराबंकी में पंजीकरण की वजह तलाश सकी है और न ही यहां के लोकल नेटवर्क तक ही पहुंच सकी है।

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