17 दिन से बेटे का शव डीप फ्रीजर में रख न्याय की गुहार लगा रहा पिता, जानें क्या है मामला
गाजीपुर न्यूज़ टीम, सुलतानपुर, संवाद सूत्र। दिल्ली और सुलतानपुर पुलिस से न्याय की आस लगाए एक पिता पिछले 17 दिनों से दरवाजे पर डीप फ्रीजर में बेटे के शव को रखे बैठा है। दिल्ली में बीते एक अगस्त को बेटे की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद दोबारा पोस्टमार्टम कराने के लिए पिता रिटायर्ड सूबेदार शिव प्रसाद पाठक न्यायालय से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पर फरियाद कर रहा है। प्रशासन भी मामले में मौन साधे बैठा है।
कूरेभार के सूबेदार पाठक का पुरवा के रहने वाले शिवांक पाठक ने दिल्ली के बेगमपुरा इलाके में एक युवक के साथ पार्टनरशिप में एक काल सेंटर कंपनी खोली थी। कंपनी में एचआर मैनेजर पद पर तैनात युवती से उसको प्यार हो गया। 2013 में दोनों ने शादी कर ली। कारोबार बढ़ा तो पत्नी के तेवर भी बदलने लगे।
उसकी जबरदस्ती पर शिवांक ने उसके नाम पर दो फ्लैट, 85 लाख की एक कार व गहने आदि करवा लिए। शिवांक भी मायके वालों की भी हर ख्वाहिश पूरी करता रहा। बेटे के शव के पास बैठे शिव प्रसाद रोते हुए बताते हैं कि पत्नी मायके वालों को कंपनी का पार्टनर बनाने का दबाव बना रही थी। उसका पार्टनर भी उसे उकसाया करता था। उनका बेटा अपनी पत्नी व उसके मायके वालों की प्रताड़ना से तंग आ गया था।
बावजूद इसके सब कुछ सही हो जाने की उम्मीद में चुप होकर परिस्थितियों का सामना कर रहा था। पिछले महीने 19 जुलाई को शिवांक ने अपने छोटे भाई इशांक को फोन कर आपबीती बताई थी और एक अगस्त को उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पिता ने पत्नी और उसके दोस्त पर हत्या करने का आरोप लगाया है।
दिल्ली पुलिस ने नहीं मिला न्याय: दिल्ली पुलिस से न्याय नहीं मिला तो स्वजन बेटे के शव को लेकर घर चले आए। जिलाधिकारी तक मामले की शिकायत की गई, लेकिन न्याय नहीं मिला। शिव प्रसाद कहना है कि बेटे के शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी। थाना प्रभारी श्रीराम पांडेय ने बताया कि सिपाही को भेजकर दिल्ली से पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगाई गई है। मामला न्यायालय में है, सोमवार को केस पर बहस भी हुई है। आदेश मिलने के बाद ही दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाएगा।
गम और इंतजार में बीत रहा पल: बेटे की असमय मौत के बाद घर पर मातम छा गया है। परिवार के सभी सदस्य न्याय मिलने का इंतजार कर रहे है। इस बीच बेटे का अंतिम संस्कार न होने पर भी स्वजन दुखी हैं।