बलिया जेल में बंदियों ने डिप्टी जेलर का दबाया गला, 19 नामजद समेत सैकड़ों पर FIR दर्ज
गाजीपुर न्यूज़ टीम, बलिया. बलिया जिला कारागार में माहौल शांत होने के बजाय बिगड़ता जा रहा है। गुरुवार की सुबह बंदियों ने जेल कर्मियों पर हमला बोल दिया। काफी संख्या में बंदियों ने डिप्टी जेलर, कुछ कर्मचारियों व सिपाहियों को दौड़ा लिया, इससे भगदड़ मच गई। बंदियों ने डिप्टी जेलर जितेंद्र कश्यप को धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया। उनका गला दबाकर मारने की कोशिश की गई। इसमें दो जेल वार्डर भी घायल हो गए। इस बीच बाहर से दौड़ कर पहुंचे अन्य कर्मचारियों व पुलिस के जवानों ने किसी तरह स्थिति पर काबू पाया।
डिप्टी जेलर व अन्य का मेडिकल कराया गया। उनकी तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने 19 नामजद सहित सैकड़ों बंदियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। घटना की जानकारी होने पर अधिकारियों संग तीन थानों की फोर्स भी जेल में पहुंची। किसी तरह स्थिति को नियंत्रित किया गया। रोज की भांति सुबह साढ़े छह बजे जेल खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई। जेलर अंजनी गुप्ता के छुट्टी पर होने के कारण प्रभार डिप्टी जेलर के पास है। पूरी प्रक्रिया उनकी देखरेख में हो रही थी। बैरकों के खुलने के बाद अचानक बंदियों ने हंगामा शुरू कर दिया।
उन लोगों ने डिप्टी जेलर व कर्मचारियों को दौड़ा लिया। सब इधर-उधर भागने लगे। इस दौरान बंदियों ने डिप्टी जेलर को धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया। उनका गला दबाने की कोशिश की गई। काफी देर तक अफरा-तफरी मची रही। तभी साथियों व पीएसी के जवानों ने उन्हें किसी तरह खींचकर बाहर निकाला। इस दौरान वार्डर शशिभूषण सिंह व अमरनाथ यादव को भी चोटें आईं।
बंदियों की भूख हड़ताल जारी
जेल में मोबाइल के इस्तेमाल को लेकर शुरू हुई रार बढ़ती जा रही है। कारागार प्रशासन अनुशासन के लिए सख्ती बरतने पर बंदियों के प्रदर्शन की बात कह रहा है। वहीं बंदी खाने की गुणवत्ता व अन्य मांगों को लेकर लगातार हंगामा कर रहे हैं। बुधवार को तीन कुख्यात बंदियों को दूसरे जनपदों में भेजे जाने के बाद मामला और गरमा गया है। इसके विरोध में बंदियों ने भूख हड़ताल शुरू की है जो गुरुवार को भी जारी रही। प्रशासन की बदियों से कई बार वार्ता होने के बाद भी मामला सुलझ नहीं सका है।
बंदियों के एक समूह ने हमला बोल दिया
सुबह रूटीन के तहत बैरकों को खोलने का कार्य कराया जा रहा था। बंदियों की गणना हो रही थी। तभी बंदियों के एक समूह ने हमला बोल दिया। साथियों की वजह से जान बच गई।- जीतेंद्र कश्यप, डिप्टी जेलर।