Today Breaking News

UP लोक सेवा आयोग भर्ती परीक्षा 2010 में भयंकर फर्जीवाड़ा, फेल अभ्यर्थियों का कर दिया चयन; CBI ने दर्ज की FIR

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की अपर निजी सचिव (एपीएस) 2010 की भर्ती में मनमानी की इंतहा कर दी गई। जो अभ्यर्थी, हिंदी और शार्टहैंड की परीक्षा में फेल थे, उनका भी चयन लोक सेवा आयोग ने कर दिया। 

कंप्यूटर का फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थी तक नियुक्ति पा गए। इतना ही नहीं, आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि बीतने के बाद भी अभ्यर्थियों से कंप्यूटर प्रमाण पत्र स्वीकार किए गए। जांच में यह गड़बड़ियां प्रमाणित होने पर शुक्रवार को सीबीआइ ने आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ और आयोग के कुछ कर्मचारियों व निजी व्यक्तियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली। ये भी पढ़े: खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह की CM योगी को धमकी, 15 अगस्त को नहीं फहराने देंगे तिरंगा

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपर निजी सचिव के 250 पदों के लिए वर्ष 2010 में विज्ञापन निकाला था। तीन चरण में इसकी परीक्षा हुई। पहले चरण में वर्ष 2013 में हिंदी और जीएस (सामान्य अध्ययन) की परीक्षा हुई। इसका परिणाम 2014 में आया। उसके बाद सफल अभ्यर्थियों की वर्ष 2014 में ही शार्टहैंड और हिंदी टाइप की परीक्षा हुई, लेकिन रिजल्ट वर्ष 2016 में आया। फिर कंप्यूटर की परीक्षा के बाद अक्टूबर 2017 में फाइनल रिजल्ट आया। इसमें 249 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। ये भी पढ़े: रक्षाबंधन पर महिला पुलिस कर्मियों को मिलेगा बड़ा तोहफा, जानें- योगी सरकार की क्या है योजना

एक अन्य अभ्यर्थी का मामला कोर्ट में विचाराधीन था। इस बीच चयन से वंचित रह गए कुछ अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया में धांधली की जानकारी हुई तो वे हाई कोर्ट चले गए। हाई कोर्ट ने माना कि 26 अभ्यर्थियों के कंप्यूटर प्रमाणपत्र फर्जी हैं और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को आदेश दिया कि इसका परीक्षण कर फर्जी प्रमाणपत्र वालों का चयन निरस्त करें। इस आदेश के बाद भी आयोग ने कोई परीक्षण नहीं कराया। ये भी पढ़े: उत्तर प्रदेश में रोजगार भी उपलब्ध कराएंगे प्राइमरी स्कूल, गांव के श्रमिकों को मिलेगा मौका

इससे नाराज अभ्यर्थियों ने आयोग के खिलाफ कोर्ट आफ कन्टेम्ट किया। तब आयोग ने परीक्षण कराकर चार अभ्यर्थियों का चयन निरस्त कर दिया और अन्य को नियुक्ति दे दी। इस बीच अभ्यर्थी सीबीआइ की शरण में पहुंच गए थे। सीबीआइ ने प्रथम दृष्टया जांच में गड़बड़ी पाई और जांच के लिए शासन से अनुमति मांगी। अनुमति मिलने पर जांच शुरू कर दी। इस दौरान 222 अपर निजी सचिवों को उत्तर प्रदेश सचिवालय में ज्वाइनिंग मिल गई। इनके अलावा 28 चयनितों की ज्वाइनिंग सरकार ने सीबीआइ जांच पूरी होने तक रोक दी है।

इधर, सीबीआइ ने अभ्यर्थियों से पूछताछ व लोक सेवा आयोग के अनुभाग में जांच पड़ताल की तो व्यापक पर गड़बड़ी किए जाने का सिलसिलेवार मामला सामने आया। मनमाने तरीके से नियमों ढील देकर अनधिकृत तरीके से चयन कराया गया। कई अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका भी बदले जाने का मामला सामने आया है। सीबीआइ इंस्पेक्टर रवीश कुमार झा की जांच रिपोर्ट में है कि इन गड़बड़ियों के कारण योग्य अभ्यर्थी चयन से बाहर हो गए और अयोग्य अभ्यर्थी चयनित होने में सफल हो गए।

बरती गईं ये मुख्य अनियमितताएं...

  • आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव, परीक्षा नियंत्रक के साथ कार्यरत अभ्यर्थियों तथा उनके निकट के रिश्तेदारों का अनियमित चयन कराया गया।
  • उत्तर प्रदेश सचिवालय में कार्यरत अनेक अधिकारियों के निकट के रिश्तेदारों के अनियमित चयन कराए गए।
  • कंप्यूटर प्रमाण पत्र की निर्धारित शैक्षिक अहर्ता पूरी नहीं करने वाले अभ्यर्थियों के अनियमित चयन कराए गए और नियुक्ति के ढाई वर्ष बीतने के बावजूद अब तक शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन नहीं करा कर फर्जी प्रमाण पत्रों को संरक्षण दिया गया।
  • हिंदी शॉर्टहैंड की परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों को पांच प्रतिशत के बाद अवैध रूप से विवेकाधिकार के नाम पर तीन प्रतिशत गलतियों में अतिरिक्त छूट दी गई।
  • परीक्षकों से हिंदी शॉर्टहैंड और टाइप की परीक्षाओं के मूल्यांकन के दौरान फेल अभ्यर्थियों को पास कराकर अधिक अंक दिलाए गए
  • परीक्षकों से सामान्य हिंदी और कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में कतिपय अभ्यर्थियों को अधिक अंक दिलाकर चयनित कराया गया।
  • कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा में विज्ञापन नियमों के उल्लंघन को देखते हुए जब शासन द्वारा इसे निरस्त करके दोबारा कराए जाने की संस्तुति आयोग को भेजी गई, तो उसे अस्वीकार करके रिजल्ट जारी कर दिया गया
  • कई अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं बदली गई हैं।

'