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कहानी: मानिनी

पार्टी की वजह प्रतीक के इकलौते बेटे रवि का इंजीनियरिंग कालेज में ऐडमिशन होना था. वे अपनी पत्नी और 2 साल के बेटे रवि के साथ लगभग 18 साल पहले कैलिफोर्निया आए थे.

तनु रवि के दिल से उतर गई थी. विवाह करना चाहता था वह उस से लेकिन विदेश में रहते हुए भी धर्म, जाति, रिवाजों में जकड़े रवि के मातापिता विजातीय तनु को बहू बनाने के लिए हरगिज तैयार न थे. क्या रवि थोथी मान्यताओं के आगे  झुक गया?


उस दिन प्रतीक के परिवार ने एक धमाकेदार पार्टी दी थी. पूरा परिवार अपने दोस्तों और अमेरिका में बसे नजदीकी रिश्तेदारों के साथ जश्न मना रहा था. पार्टी घर पर ही रखी थी. लगभग 70 लोग थे. उन का घर भी तो आलीशान महल जैसा ही था. कैलिफोर्निया के फ्रीमौंट शहर की ऊंची पहाड़ी पर एक कालोनी में उन का बंगला था. पहाड़ी पर बीचबीच में कुछ जंगली पेड़ थे. डरहम रोड पर बसी थी उन की कालोनी. कभीकभी दिन में भी मेन रोड पर जंगल से निकल कर हिरण दौड़ते दिखता था.


पार्टी की वजह प्रतीक के इकलौते बेटे रवि का इंजीनियरिंग कालेज में ऐडमिशन होना था. वे अपनी पत्नी और 2 साल के बेटे रवि के साथ लगभग 18 साल पहले कैलिफोर्निया आए थे. कैलिफोर्निया अपने सिलिकौन वैली और हौलीवुड के लिए विख्यात है. यहां दोनों मियांबीवी सौफ्टवेयर इंजीनियर थे. रवि 20 साल का हो चुका था. उस के भी कुछ दोस्त पार्टी में आए थे. पार्टी के लिए कुछ खाना तो होटल से मंगवाया था, पर ज्यादातर घर पर ही बनवाया था. सभी लोग खाने की तारीफ कर रहे थे. नौर्थ इंडियन, साउथ इंडियन और गुजराती व्यंजन सभी का मिश्रण था खाने में. ‘इडली, ढोकला, खट्टामीठा भात, दूधपाक, मिठाइयां आदि विशेष आकर्षण थे.


रवि के अमेरिकी मित्र ने पूछा, ‘‘इतना सारा तुम लोग घर पर कैसे मैनेज कर लेते हो?’’


रवि बोला, ‘‘मेरे यहां 12 साल से एक गुज्जू (गुजराती) मेड है जो सभी प्रकार के इंडियन खाने बनाने में ऐक्सपर्ट हैं.’’


उसी समय एक बुजुर्ग महिला और एक युवती अपने हाथों में टे्र ले कर आईं. जो बाउल खाली हो चले थे उन में उन दोनों ने और पकवान ला कर भर दिए. रवि ने बुजुर्ग महिला की ओर इशारा कर मित्र को बताया कि हमारे यहां का ज्यादातर खाना यही बनाती हैं. तभी वे दोनों महिलाएं रवि के पास से गुजरीं. रवि ने बुजुर्ग महिला को रोक कर कहा, ‘‘आशा, बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाया है आप ने. मेरा अमेरिकी दोस्त भी काफी तारीफ कर रहा है.’’


आशा थैंक्स बोल कर जाने लगी तभी रवि ने उन से पूछा, ‘‘आप के साथ यह लड़की कौन है? आज पहली बार देख रहा हूं.’’


‘‘यह मेरी बेटी तनुजा है. हम इसे प्यार से तनु कह कर बुलाते हैं. यह स्कूल के फाइनल ईयर में है. कल से यही पार्टटाइम काम करेगी. यह भी बहुत अच्छा खाना बनाती है.’’


रवि तनुजा को ऊपर से नीचे तक देखता रहा. तनुजा उन दोनों को हाय कर के चली गई. रवि उसे जाते हुए देखता रहा. उस के मित्र ने कहा, ‘‘यार, कहां खो गए? वह तो गई. पर मैं भी इस टिपिकल इंडियन ब्यूटी को सैल्यूट करता हूं, यार.’’


रवि बोला, ‘‘कोई बात नहीं. वह तो कल से रोज ही आएगी.’’


तनु की मां प्रतीक के यहां 3 घंटे रोज काम करती थीं, 20 डौलर प्रति घंटे के रेट से. किसी दिन काम ज्यादा होता तो कुछ और देर तक काम करना होता था. वह खाना बनाने के अलावा लौंड्री करती (औटोमैटिक मशीन में कपड़े धोने और पूरी तरह सुखाने का काम. यहां खुले में या धूप में कपड़े डालने का चलन नहीं है), घर की सफाई का काम करतीं और किचन के बरतन डिशवाशर में रख देतीं और अगर मशीन भर गई होती थी तो उसे औन कर दिया करती थीं. वे सिर्फ खाना बनाने वाले बरतन ही डिशवाशर में डालती, जूठे बरतन धोना उन का काम नहीं था.


आशा ने तनु को पूरा काम सम झा दिया था. रवि की मां प्रभा को भी बोल गई थीं कि कल से तनु ही आएगी. इंडियन स्टोर के किचन में काम मिल गया, सो, वहां ज्यादा टाइम देना पड़ेगा. और तनु भी कुछ महीने बाद कालेज जाएगी तो खर्च भी बढ़ जाएगा.


तनु के पिता भी फ्रीमौंट में उसी इंडियन ग्रौसरी स्टोर में काम करते थे. पतिपत्नी दोनों की आमदनी मिला कर परिवार चलाने लायक हो जाती थी. तनु मातापिता की इकलौती संतान थी. तनु भी बहुत दुलारी बेटी थी. देखनेसुनने में अति सुंदर, लाखों में एक, लड़के तो लड़के, लड़कियां भी उस की सुंदरता पर मुग्ध थीं.


पार्टी के अगले दिन से तनु ही प्रतीक के यहां आने लगी थी. प्रतीक का परिवार कट्टर ब्राह्मण था, यहां तक कि घर में लहसुनप्याज भी नहीं आते थे. गुजराती को प्रतीक ने काम पर खासकर इसलिए रखा था कि उस का परिवार भी शुद्ध शाकाहारी था.


जब रवि छोटा था तो उस की मां उसे स्कूल में ड्रौप कर देती थी. तनु की मां आशा दोपहर में अपनी कार से ले कर आतीं, उसे खाना खिलातीं, उस के कपड़े बदलतीं और उसे कुछ ऐक्स्ट्रा क्लासेज, स्विमिंग आदि के लिए अपनी कार से ड्रौप कर देती थीं. शाम को मां ही पिक कर लेती थीं.


अब तनु सुबह में बस एक घंटे आती, फिर दोपहर स्कूल से लौट कर 2 घंटे बाकी काम करती थी. वह अपनी कार से ही आती थी. अभीअभी 18 वर्ष की हुई थी, तब उसे ड्राइविंग लाइसैंस मिला था. तनु के आने के बाद रवि उस से फरमाइश कर गुजराती खाना बनवाता था. वह उस की सुंदरता पर फिदा था. तनु उस के कमरे को काफी साफसुथरा और सजा कर रखती थी. रवि उस के काम से बहुत खुश था. रोज किसी न किसी बहाने तनु से कुछ बात कर लिया करता था.


तब समर वैकेशन था. अमेरिका में जून से अगस्त तक लगभग 3 महीने का समर वैकेशन होता है. एक दिन दोपहर में तनु आई. वह घर का वैक्यूम कर रही थी. रवि उस के पास जा कर बोला, ‘‘हाय, तुम बहुत सुंदर हो.’’


हालांकि वैक्यूम की तेज आवाज में भी वह सुन चुकी थी, फिर भी अनजान बनते हुए कहा, ‘‘व्हाट?’’


रवि बोला, ‘‘यू आर टू ब्यूटीफुल.’’


एक बार फिर अनजान बन कर धीमी मुसकराहट के साथ तनु ने कहा, ‘‘व्हाट?’’


इस बार रवि ने अपने पैर से वैक्यूम का बटन दबा कर औफ कर दिया और कहा, ‘‘तुम बेहद खूबसूरत हो.’’


‘‘यह तो मैं जानती हूं. सभी कहते हैं. और कोई बात?’’


‘‘तुम खाना भी अच्छा बनाती हो.’’


‘‘यह भी मैं जानती हूं.’’


तब उस के सिर पर धीरे से थपकी देते हुए रवि ने कहा, ‘‘और कुछ नहीं, मेरी नानी. जाओ, थोड़ी कौफी पिलाओ. तुम अपने लिए भी बना लाओ.’’


तनु बोली, ‘‘नहीं, मैं नहीं पिऊंगी.’’


थोड़ी देर में वह कौफी बना कर रख गई और काम में लग गई. रवि ने पूछा, ‘‘तुम्हारी मम्मी बोल रही थीं कि फौल सौमेस्टर में तुम कालेज जौइन कर रही हो.’’


तनु बोली, ‘‘हां, मैं यहीं फ्रीमौंट के ओलन कालेज में अकाउंटिंग का कोर्स करूंगी.’’


‘‘यह तो मिशन बुलवार्ड पर है. बिलकुल घर के पास, एक मील की दूरी पर. वैसे तुम्हारी अकाउंटिंग की चौइस अच्छी है,’’ रवि बोला.


‘‘कालेज पास में है, इसीलिए तो कालेज में पढ़ने का साहस किया है. वरना कहीं बाहर भेज कर पढ़ाने की हैसियत पापा की नहीं है.’’


इसी तरह इन दोनों में धीरेधीरे बातचीत बढ़ती गई. एक दिन रवि ने तनु से कहा, ‘‘मु झे तुम गैराज तक ड्रौप कर सकती हो? मेरी कार मेकैनिक के पास है. सुबह छोड़ कर आया था. उस समय मम्मी ने वापस घर पर ड्रौप कर दिया था. वैसे कोई प्रौब्लम है, तो रहने दो, मैं  कैब बुला लूंगा.’’


रवि बोला, ‘‘पर मैं ने मोनाली को उस नजर से कभी नहीं देखा. मैं ने मम्मी को बताया था कि मैं तनु से प्यार करता हूं.’’

सुजीत अगले दिन चले गए. मोनाली को 2 दिनों बाद रवि के साथ लौटना था. प्रतीक ने बेटे से कहा, ‘‘हम लोगों को मोनाली सब तरह से तुम्हारे योग्य लग रही है. हम तो बस सामाजिक औपचारिकतावश तुम से हां सुनना चाहते हैं.’’


रवि बोला, ‘‘पर मैं ने मोनाली को उस नजर से कभी नहीं देखा. मैं ने मम्मी को बताया था कि मैं तनु से प्यार करता हूं.’’


‘‘पर यह मु झे मंजूर नहीं है. तुम्हारे दादादादी ने मु झ से पूछ कर प्रभा की शादी मु झ से नहीं की थी.’’


‘‘पर वह देश और जमाना कुछ और था, पापा.’’


प्रतीक बोले, ‘‘मेरे जीतेजी ऐसा नहीं होगा. तनु का धर्म और परंपरा बिलकुल भिन्न हैं.’’


‘‘ओह, नो. मैं ड्रौप कर दूंगी, कोई प्रौब्लम नहीं है. मेरा काम तो खत्म हो गया है. अभी 4 बजे हैं. आप को कितने बजे जाना है?’’


‘‘अभी चलते हैं, वैसे साढ़े 4 बजे बुलाया है.’’


दोनों उसी समय कार से निकल गए. रास्ते में रवि ने कहा, ‘‘गैराज तो 10 मिनट के अंदर पहुंच जाएंगे, चलो, कैफे में कौफी पीते हैं तब तक.’’


दोनों ने कौफी के गिलास उठाए और खड़ेखड़े पीने लगे थे. फिर रवि ने उस से कहा, ‘‘चलो, बाकी कौफी कार में बैठेबैठे पीते हैं.’’


दोनों ने कार में कौफी पी. फिर तनु ने रवि को गैराज में ड्रौप किया. कार से उतर कर रवि बोला, ‘‘थैंक्स. तुम जितनी सुंदर देखने में हो, उतनी ही सुंदर ड्राइव करती हो.’’


तनु मुसकरा कर बोली, ‘‘मैं तुम्हें थैंक्स किस बात के लिए दूं? सुंदर कहने के लिए या ड्राइविंग के लिए?’’


‘‘सुंदर तो तुम्हें सभी कहते ही हैं. अभी ड्राइविंग के लिए सही,’’ रवि बोला.


तनु ने इस बार खुल कर हंसते हुए कहा, ‘‘चलो, थैंक्स फौर बोथ कौंप्लिमैंट्स.’’


और तनु चली गई. आजकल समर वैकेशन में रवि के पास कुछ खास काम नहीं था. सुबह में जिम जाता था और शाम को स्विमिंग, बाकी दिन घर में ही रहता था. घर में रोज 3 घंटे रवि और तनु ही होते थे. रवि उसे चाहने लगा था, पर अभी कुछ बोल नहीं पा रहा था. उसे पता था कि बिना दूसरे पार्टनर की सहमति के अमेरिका में किसी को छेड़ना मतलब जेल की हवा खाना है. किसी दुर्घटना या अनचाही छेड़छाड़ करने पर अमेरिका में कहीं भी 911 नंबर पर फोन करने से मिनटों में पुलिस हाजिर हो जाती है. अगर आप पता न भी बताएं तो भी पुलिस कौल ट्रैक कर आप के पास पहुंच सकती है.


एक दिन रवि ने तनु से कहा, ‘‘तुमअपना सैल नंबर दे सकती हो? कभी कोई खास जरूरत पड़े तो बात करने के लिए.


’’‘‘अरे, तो मम्मी का नंबर है ही आप लोगों के पास,’’ तनु बोली.


‘‘तो मैं तुम्हारी मम्मी से बात कर लूं?’’


‘‘इस में क्या हर्ज है? मम्मी को फोन करने से भी काम हो जाएगा.’’


रवि बोला, ‘‘नहीं, अगर तुम से बात करनी हो तो?’’


तनु बोली,‘‘कौन सी बात, जो मम्मी से नहीं बोल सकते आप?’’


‘‘प्यार की बातें,’’ अचानक दिल की बात रवि की जबां पर आ गई थी.


थोड़ी देर दोनों एकदूसरे को देख रहे थे. फिर तनु धीरे से मुसकरा पड़ी. पर रवि कुछ सीरियस ही था.


वह बोला, ‘‘इस मुसकान का क्या मतलब सम झूं मैं?’’


तनु कुछ न बोली थी, फिर भी उस के चेहरे पर वही मुसकराहट थी. तनु का हाथ पकड़ कर रवि ने कहा, ‘‘अब मेरे कालेज जाने में बस एक महीना रह गया है. लगभग 2 महीने से हम रोज 2-3 घंटे साथ बिता रहे हैं. क्या तुम्हें जरा सा भी आभास नहीं हो पाया कि मैं तुम्हें चाहने लगा हूं? सचसच बताना.’’


तनु ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा, ‘‘रवि, शायद आप को पता नहीं कि पत्नी अपने पति को माइक्रोस्कोप की नजर से परख लेती है और प्रेमिका अपने प्रेमी को टैलीस्कोप की नजर से.


‘‘जब इतनी परख है तो बताओ तुम ने मु झ में क्या देखा है?’’


‘‘एक सच्चा प्रेमी,’’ बोल कर तनु ने अपनी हथेलियों से अपना मुंह ढक लिया था.


रवि ने चेहरे से उस की हथेलियां हटाते हुए कहा, ‘‘चांद सा मुखड़ा क्यों शरमाया? अच्छा, कल सुबह मैं तुम्हें अपना कालेज दिखाने ले चलूंगा. चलोगी न?’’


‘‘कहां जाना है? मम्मी से क्या बोलूंगी?’’


‘‘तुम अमेरिकी हो. एडल्ट हो. 4-5 घंटे की बात है. तुम कहो तो मैं ही तुम्हारी मम्मी से बात करूं?’’


‘‘नहीं, तुम नहीं बात करोगे. मैं मैनेज कर लूंगी.’’


रवि ने तनु से उस का फोन नंबर ले लिया था. अगले दिन रवि और तनु फ्रीमौंट से सांताक्रूज के लिए निकल पड़े. करीब 40 मिनट की ड्राइव थी. रास्ते में एक ओर पहाड़ी थी. अच्छा दृश्य था. रवि के कालेज के आसपास भी सुंदर प्राकृतिक दृश्य थे. कालेज घूमने के बाद रवि ने उसे अपना एक बैडरूम का अपार्टमैंट दिखाया जहां वह रह कर पढ़ाई करता है. इस के बाद वे सांताक्रूज सी बीच पर गए.


कुछ देर वहां बिताने के बाद वे फ्रीमौंट लौट रहे थे. रास्ते में रवि ने कहा, ‘‘तुम भी मु झे चाहती हो, पहले क्यों नहीं कहा?’’


तनु बोली, ‘‘वैसे भी पहल लड़कों को करनी चाहिए. और हम अमेरिकी नागरिक भले ही हों, पर खून में भारतीय संस्कृति है. और सब से अहम अभी हम दोनों की पढ़ाई है. अभी तो हमारे बारे


में किसी को कुछ पता भी नहीं है. फिलहाल पढ़ाई खत्म होने तक हम दोस्त ही रहें तो बेहतर है.’’


रवि बोला, ‘‘सही कहा. पर तुम्हारी बोली में प्रेमिका के अंदाज से ज्यादा मां का उपदेश था.’’


तनु सिर्फ ‘धत्’ बोल सकी थी. दोनों फ्रीमौंट लौट आए थे. अब अकसर दोनों मिला करते थे, प्यार की बातें करते और भविष्य के सपने बुनते. देखतेदेखते रवि के जाने में 2 दिन रह  गए थे. एक दिन तनु और रवि पास के एक पार्क में बैठे थे. रवि ने बताया कि वह हर शुक्रवार की शाम को कालेज से घर आएगा और सोमवार सुबह सांताकू्रज चला जाएगा.


रवि ने आगे कहा, ‘‘मु झे तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगेगा. फोन पर, और स्काइप पर बातें होंगी पर तुम्हारा साथ तो नहीं होगा. तुम्हारे हाथों के स्पर्श मात्र से बहुत खुशी और सुकून मिलता है.’’


इतना बोल कर रवि ने तनु के हाथों को चूम लिया था. तनु ने कहा, ‘‘मु झे भी तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगेगा.’’


और वह भी रवि से लगभग सट कर बैठ गई. रवि ने धीरे से उस के गालों को सहलाया. तनु के शरीर में सिहरन सी हो उठी. फिर पहली बार रवि ने अपने होंठ उस के होंठों पर रख दिए और उसे अपनी बांहों में ले लिया. दोनों थोड़ी देर इसी स्थिति में रहे. तनु के गाल लाल हो गए थे. फिर जल्द ही स्वयं को व्यवस्थित करते हुए तनु उस से अलग हुई.


वह बोली, ‘‘याद करो, हम ने कहा था न कि पढ़ाई पूरी होने तक नो इश्क.’’


इसी बीच, तनु का कोई गुजराती पड़ोसी उन की बगल से गुजर रहा था. उस ने दोनों को देख लिया था. बात तनु की मां तक पहुंच गई. पर उन्हें मालूम था कि रवि तो अगले दिन बाहर जा ही रहा है. फिलहाल वह खामोश थीं.


अगले दिन रवि चला गया. तनु उस से मिलने गई थी. वह बहुत रोई. रवि के जाने के बाद तनु उदास रहने लगी थी. यह बात उस की मां और प्रभा दोनों ने गौर की थी. तनु की मां को संदेह था ही. तनु अब अपने कमरे में रात को धीरेधीरे रवि से बात करती थी. वह भी कालेज जाने लगी थी पर पार्टटाइम रवि के घर का काम भी करती थी.


तनु की मां ने उसे रवि के बारे में कहा भी था कि अगर बात सिर्फ दोस्ती की है, तब तो ठीक है, पर इस से आगे की नहीं सोचना.


तब तनु ने कहा, ‘‘आगे की सोचने में बुराई क्या है? रवि में क्या कमी है?’’


मां बोली, ‘‘कमी रवि में नहीं है. फासला हमारे और उस के स्टेटस में है. इस के अलावा हमारा धर्म, परंपरा और संस्कार अलग हैं.’’


‘‘क्या मां, वर्षों से अमेरिका में हैं और हमारी सोच में वही सो कौल्ड परंपरा और दकियानूसी भरी है. एनीवे, मैं अभी पढ़ाई पर ध्यान दूंगी. आगे की आगे देखेंगे.’’


उधर रवि के कालेज में एक ब्राह्मण लड़की मोनाली पढ़ने आई थी. वह रवि के पापा के दोस्त सुजीत की बेटी थी और कैलिफोर्निया की राजधानी सेक्रेमैंटो से आई थी. वर्षों पहले वह अपने पापा के साथ रवि के घर आई थी. वह देखने में आकर्षक और स्मार्ट थी. दोनों में धीरेधीरे दोस्ती हो गई थी. रवि उसे सिर्फ सहपाठी सम झता था पर मोनाली उस को मन ही मन चाहती थी. मोनाली ने रवि को तनु से अनेक बार बात करते देखा था और तनु का भी फोन आते देखा था. उस ने यह बात अपनी मां को बताई और उस की मां ने रवि की मां को.


एक दिन मोनाली की मां ने बेटी से पूछा, ‘‘तु झे रवि कैसा लगता है?’’


मोनाली बोली, ‘‘मु झे तो बहुत अच्छा लगता है. पर सिर्फ मेरे अच्छा लगने से क्या? वह तो अकसर किसी तनु नाम की लड़की की माला जपता है.’’


मां बोलीं, ‘‘मैं एक बार प्रतीक से चर्चा करूंगी. बहुत पहले ही उन्होंने कहा था कि हम लोग सजातीय हैं. क्यों न दोस्ती को रिश्ते में बदल लें.’’


इधर रवि और तनु का प्यार परवान चढ़ रहा था. वह जब भी घर आता, समय निकाल कर तनु से अकेले में जरूर मिलता. अब दोनों फाइनल ईयर में थे.


एक बार रवि की मां ने उस से पूछा, ‘‘तुम्हें मोनाली कैसी लगती है?’’


रवि बोला, ‘‘ठीक है, क्यों?’’


‘‘उस के मातापिता तेरे रिश्ते की बात कर रहे हैं.’’


रवि ने कहा, ‘‘नहीं, उस से बस दोस्ती मात्र है. और मैं इस से ज्यादा कुछ नहीं सोचता हूं उस के बारे में. तुम भी आगे कुछ बात नहीं करोगी.’’


‘‘मु झे पता है, तनु के साथ तेरा चक्कर चल रहा है.’’


रवि बोला, ‘‘चक्कर मत कहो. हम लोग एकदूसरे को पसंद करते हैं.’’


‘‘पर याद रखना, तेरे पापा कभी भी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं होंगे और मैं भी नहीं. अगर मैं कलेजे पर पत्थर रख कर मान भी लूं तो पापा तो नहीं मानने वाले,’’ मां बोलीं.


मां ने आगे कुछ नहीं कहा. पर इस बारे में पति से बात की. उन्होंने कहा कि रवि को अच्छी तरह सम झा दो कि मेरे जीतेजी ऐसा नहीं हो सकता, मैं दूसरे धर्म या जाति में रिश्ता नहीं होने दूंगा. रवि के पिता ने कहा कि अगले सप्ताह से 3 हफ्ते की छुट्टी है नए साल की. मोनाली को यहां बुला लेते हैं. शायद कुछ दिन दोनों साथ रहें तो कुछ बात बने. उधर मोनाली भी रवि पर डोरे डालने का प्रयास कर रही थी.


कुछ दिनों बाद मोनाली भी छुट्टियों में रवि के घर आई. यहां आने पर वह तनु से मिली. वह भी उस की सुंदरता पर मुग्ध थी. रवि की मां प्रभा के सिखाने पर उस ने तनु को रवि के कमरे में जाने से मना कर दिया था और कहा कि रवि के लिए हर चीज का खयाल वही रखेगी.


तनु घर में आती और काम कर के चली जाती. तनु या रवि का एकदूसरे से मिलना मुश्किल हो गया था. फोन पर भी बात करने के लिए रवि को घर से बाहर निकलना पड़ता था. एक दिन रवि ने फोन कर तनु को किसी जगह मिलने को कहा. दोनों मिले भी. तनु भी अंदर से दुखी थी. रवि ने उसे सम झाया कि मोनाली सिर्फ उस के पापा के दोस्त की बेटी है और उस के कालेज में पढ़ती है. वह जल्दी ही अपने मम्मीपापा से तनु और अपने रिश्ते की बात करेगा.


इधर, मोनाली के व्यवहार से रवि के मातापिता बहुत खुश थे. मोनाली भी हर वक्त रवि का ध्यान रखती और कोशिश करती कि साए की तरह रवि से चिपकी रहे. मां के कहने पर रवि ग्रौसरी लेने मोनाली को साथ ले जाता. एक दिन घर के दोनों बाथरूम बिजी थे. तो मोनाली रवि के बाथरूम में नहाने गई, पर अंदर से दरवाजा बंद करना भूल गई. रवि बाहर गया था. इसी बीच वह लौट कर आया. उस ने जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खोला, सामने मोनाली को सिर्फ लौंजरी में पाया.


मोनाली की भी नजर रवि पर पड़ी. वह जोर से चिल्लाई,‘‘तुम यहां कैसे?’’


रवि बोला ‘‘यह मेरा बाथरूम है. मु झे नहीं पता था तुम यहां हो?’’


तनु भी ठीक उसी समय, ‘मोनाली दी, नाश्ता रेडी है,’ बोलते वहां आई.


तनु, रवि और मोनाली तीनों ने एकदूसरे को देखा.


मोनाली ने तनु से कहा, ‘‘तुम कुछ और न सम झना, यह महज इत्तफाक है.’’


सुजीत बोले, ‘‘क्यों न हम नए साल के दिन नए रिश्ते की बात करें? हम लोगों को और मोनाली को तो रवि बहुत पसंद है. आगे आप लोगों की क्या राय है?’’

रवि कमरे से निकल गया. मगर उस की आंखों के पटल से मोनाली का वह दृश्य मिट नहीं पाया था. रवि ने भी फोन पर तनु को सम झाया कि जो कुछ उस ने देखा है वह ऐक्सिडैंटल एनकाउंटर मात्र था. एक दिन मोनाली ने रवि के कमरे में अपना मनपसंद रूम फ्रैशनर स्प्रे किया था. रवि कमरे में घुसते के साथ बोल पड़ा, ‘‘आज कोई स्पैशल खुशबू आ रही है कमरे में.’’


मोनाली वहीं कमरे में कुछ सजावट के सामान रख रही थी. उस ने कहा, ‘‘हां, मैं ने नया स्प्रे किया है. अच्छा नहीं लगा?’’


‘‘नो, नो. तुम्हारी चौइस लाजवाब है. बहुत अच्छा लगा.’’


उसी समय तनु वहां से गुजर रही थी और उस ने उन की बात सुनी. उसे पहली बार भय हुआ कि कहीं शायद अब वह रवि की प्रेमिका नहीं रही.


अगले दिन नए साल का पहला दिन था. नए मेहमान, मोनाली के पिता सुजीत अपनी पत्नी के साथ आए थे. प्रतीक ने रवि से उन का परिचय कराया. फिर प्रतीक और सुजीत दंपती आपस में बातें करने लगे.


सुजीत बोले, ‘‘क्यों न हम नए साल के दिन नए रिश्ते की बात करें? हम लोगों को और मोनाली को तो रवि बहुत पसंद है. आगे आप लोगों की क्या राय है?’’


प्रतीक बोले, ‘‘हम दोनों को तो मोनाली बहुत प्यारी लगी. एक बार रवि से बात कर सगाई की डेट रख लेते हैं.’’


उसी समय तनु चायनाश्ता ट्रे में ले कर आई और टेबल पर सजा गई. उस ने उन लोगों की बातें भी सुनी थीं. उस के दिल में बिजली सी कौंध गई. प्रतीक ने बेटे को आवाज दे कर बुलाया और सुजीत से परिचय करा उन के आने का मकसद बताया.


सुजीत ने रवि से कहा, ‘‘बेटे, तुम को पता है, हम लोग मोनाली के रिश्ते के बारे में तुम्हारी राय जानना चाहते हैं. सबकुछ तुम पर निर्भर करता है. निसंकोच बताना.’’


रवि बोला, ‘‘मु झे थोड़ा वक्त चाहिए.’’


सुजीत बोले, ‘‘हां, कोई जल्दी नहीं. सोच कर अपने पापा को बता देना. वैसे, शुभस्य शीघ्रं.’’


प्रतीक ने बेटे से कहा, ‘‘रात में न्यू ईयर की आतिशबाजी मोनाली को दिखा लाओ.’’


रवि का मन नहीं था, मगर सभी लोगों की जिद के आगे उसे  झुकना पड़ा था. आतिशबाजी की जगह तनु भी अपने मातापिता के साथ गई थी. दोनों ने एक दूसरे को देखा, पर कोई बात नहीं हुई थी.


रवि बोला, ‘‘तो क्या हुआ? हम अमेरिकी हैं. यहां कर्म ही धर्म है. और तनु का परिवार भी एक तरह से हिंदू ही है, वे सब शाकाहारी भी हैं.’’


‘‘तुम्हें पता है कि मोनाली भी पांडे की इकलौती संतान है. वह परिवार भी काफी धनी है. उस पूरे परिवार की संपत्ति भी तुम्हीं लोगों को मिलेगी.’’


‘‘वाह पापा, अब धर्म से धन पर उतर आए. मैं नहीं मानता यह सब.’’


प्रतीक चिल्ला उठे, ‘‘तुम मानो, न मानो. तनु से शादी के पहले तुम्हें अपने मातापिता का क्रियाकर्म करना होगा.’’


दूसरे दिन प्रभा ने तनु की मां आशा को बुला कर उस से कहा कि वह उसे सम झाए कि वह रवि के रास्ते से हट जाए. आशा ने कहा, ‘‘मैं खुद नहीं चाहती कि दोनों की शादी हो. हमारे धर्म, रीतिरिवाज बिलकुल अलग हैं. अपनी बिरादरी में ही हम लोग शादी करते हैं. तनु के पापा भी यही चाहते हैं. वैसे, आप हमारी ओर से क्या चाहती हैं?’’


‘‘आशा, कुछ दिनों के लिए तनु हमारे घर नहीं आए. तुम ही कुछ समय निकाल कर काम कर दिया करो.’’


आशा बोलीं, ‘‘मुश्किल वक्त में आप ने हमें काम दिया था. मैं पहले जितना काम तो नहीं कर सकती, पर आप के कुछ जरूरी काम कर दिया करूंगी.’’


आशा ने घर जा कर तनु को सारी बातें बताईं. उसे सुन कर बहुत बुरा लगा. रवि को अगले दिन लौटना था. उस ने फोन कर तनु से मिलने को कहा.


रवि ने उस से कहा, ‘‘जो कुछ हम दोनों के घर में हो रहा है, तुम्हें पता ही होगा. मेरे मातापिता का कहना है कि उन के जीतेजी मैं तुम से शादी नहीं कर सकता हूं. पर मैं तुम्हें भी खोना नहीं चाहता. मु झ पर भरोसा करो, मोनाली में मेरी कोई रुचि नहीं है. वह मु झ पर थोपी जा रही है.’’


तनु बोली, ‘‘हर प्यार करने वाले को मनचाहा अंजाम मिले, जरूरी नहीं.’’


‘‘पर मैं खोना नहीं चाहता. 4-5 महीनों में दोनों की पढ़ाई पूरी हो रही है. मु झे फ्रीमौंट के विश्वविख्यात इलैक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला में प्लेसमैंट मिल गया है. मेरा मन करता है विद्रोह कर तुम्हारे साथ घर बसा लूं. क्या तुम तैयार हो?’’


‘‘हरगिज नहीं. दोनों में से किसी परिवार में प्यार या आदर नहीं मिलेगा, न मु झे न तुम्हें. और तुम पुरुष हो, धनी भी हो, साहस कर सकते हो, पर मैं क्या करूं? मां ने मेड का काम कर के हमें पालपोस कर बड़ा किया है. उन की भी कुछ अपेक्षाएं होंगीं. और हम दोनों अपने परिवार की इकलौती संतान हैं. मैं मां की उपेक्षा नहीं कर सकती, भले ही अपने प्यार की बलि देनी पड़े.’’


रवि बोला, ‘‘तुम ने, तुम्हारे मातापिता ने संघर्ष किया है और इस की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, मैं मानता हूं. पर मेरे मम्मीपापा तो बस पुरानी सोच और रूढि़वादिता के शिकार हैं.’’


तनु ने कहा, ‘‘जैसे भी हों, हैं तो हमारे जन्मदाता. प्यार में जीतना ही हमारा लक्ष्य नहीं होना चाहिए. मेरे कुछ खोने से किसी को खुशी मिले, तो मु झे दोगुनी खुशी मिलती है.’’


रवि ने तनु का एक हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तुम अब उपदेश देने लगीं. मैं तो चाहता था कि यह हाथ कभी न छोड़ूं.’’


‘‘दोनों के परिवार की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए हमें कुछ त्याग करना होगा. विडंबना है कि हम अमेरिकी हो कर इतने दिनों बाद भी पुरानी सोच और ढोंग से उबर नहीं सके हैं. उम्मीद करो कि हम से आगे की पीढ़ी को ऐसी स्थिति का सामना न करना पडे़,’’ तनु बोली.


थोड़ी देर दोनों खामोश रहे. फिर तनु ने ही चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ‘‘एक खुशखबरी है. मेरा भी प्लेसमैंट टेस्ला के अकाउंट डिपार्टमैंट में हो गया है. पिछले वर्ष इंडियन प्राइम मिनिस्टर भी इस प्लांट में आए थे, तुम्हें याद होगा.’’


रवि बोला, ‘‘यह तो बहुत अच्छा है, तुम से मुलाकात तो होती ही रहेगी.’’


तनु बोली, ‘‘मैं कभी तुम्हारी मानिनी प्रियतमा थी, मानिनी पत्नी होने के सपने देखा करती थी. मौजूदा हालात में मु झे बहुत खुशी होगी अगर तुम मु झे आजीवन मानिनी मित्र सम झोगे. यह मेरे लिए सुकून की बात होगी.’’


तनु ने अपनी दोस्ती का दूसरा हाथ भी रवि की ओर बढ़ा दिया.

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