Ghazipur: बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली छोटी माता 'खसरा ' और रूबेला से बचाव के लिए माइक्रोप्लान तैयार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. स्वास्थ्य विभाग की ओर से बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली खसरा और रूबेला जैसी गंभीर बीमारी से निपटने को लेकर शुक्रवार को सीएमओ डा. जीसी मौर्या की उपस्थिती दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस दौरान इस बीमारी से निपटने के लिए माइक्रोप्लान तैयार किया गया है।
विभाग की ओर से मीजल्स-रूबेला (एमआर) बीमारी से निपटने के लिए सभी बच्चों को मुफ्त में एमआर का टीका लगाया जा रहा है। जिससे वायरस के दुष्परिणाम से बचा जा सके। पोलियो मुक्त भारत की तरह अब खसरा मुक्त भारत के लिए साल शासन की ओर से 2023 के लक्ष्य पर काम चल रहा है।
डब्ल्यूएचओ के प्रभारी डा. नकीब ने बताया खसरा को आम तौर पर छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। यह अत्यधिक संक्रामक होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है। इसमें निमोनिया, डायरिया व दिमागी बुखार होने की संभावना बढ़ जाती है। चेहरे पर गुलाबी-लाल चकत्ते, तेज बुखार, खांसी, नाक बहना व आंखें लाल होना इस बीमारी के लक्षण हैं। वहीं रूबेला गर्भावस्था के दौरान होने वाला संक्रमण है। संक्रमित माता से जन्मे शिशु को ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, बहरापन, मंद बुद्धि व दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। रूबेला से गर्भपात, समय पूर्व प्रसव व गर्भ में बच्चे की मौत भी हो सकती है।
यह वायरस एक बार वायरस शरीर में चला जाता है तो संक्रमण पूर्णत: नाक, सांस की नली और फेफड़ों, त्वचा और शरीर के अन्य अंगों में फैलता है। खसरे के साथ एक व्यक्ति लक्षण शुरू होने के एक से दो दिन पहले से लेकर बड़े लाल दाने (दोदरा) प्रकट होने के चार दिन बाद तक दूसरों तक खसरा फैला सकता है। खसरा आम तौर पर औसत दर्जे की बीमारी का कारण बनता है। छोटे बच्चों में, जटिलताओं में मध्य कान का संक्रमण (ओटिटिस मीडिया), निमोनिया, क्रूप और दस्त शामिल हैं।
वयस्कों में भी बीमारी और भी गंभीर होने की संभावना हो जाती है। पुराने रोगियों के लिए खसरे से संबंधित न्यूमोनिया के लिए अस्पताल के इलाज की आवश्यकता असामान्य नहीं है। खसरा के वायरस से दोदरा, खांसी, नाक का बहना, आंखों में जलन और तेज बुखार होता है। इसके साथ ही कानों में संक्रमण, निमोनिया, बच्चों को झटके आना, घूरती आंखे, दिमाग को नुकसान और अंत में मौत तक हो जाती है। इस दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व बाल रोग विशेषज्ञ डा. उमेश कुमार ने बताया मीजल्स-रूबेला गंभीर और जानलेवा बीमारी होती है। लेकिन इसकी रोकथाम टीकाकरण के जरिए की जा सकती है।
यह वैक्सीन बच्चों को तीन बीमारियों खसरा, रूबेला रोग से बचाती है। खसरे का असरकारी टीका लगाया जाता है। इसके बावजूद खसरा छोटे बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। यह सबसे अधिक संक्रामक बीमारियों में से एक है। इसके वायरस के संपर्क में आने से कई गैर-प्रतिरक्षक बच्चे इस श्वसन संबंधी बीमारी का शिकार हो जाते हैं। खसरा पैरामाइक्सोवाइरस परिवार के एक वायरस के कारण तेजी से फैलने वाली घातक बीमारी है। खसरे के लक्षण कई बार इतने सामान्य होते हैं कि यह बीमारी पकड़ में ही नहीं आती।
खासतौर पर बच्चों में इस बीमारी के लक्षणों की पहचान कर पाना कई बार बहुत ही मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी के लक्षण फौरन पकड़ में भी नहीं आते। वायरस के हमले के करीब दो से तीन हफ्ते के बाद ही इस बीमारी की पहचान सम्भव हो पाती है। इसके लक्षण दो से तीन दिन तक रहते हैं। कार्यशाला में एसीएमओ डा. केके वर्मा, डा. डीपी सिन्हा सहित आदि मौजूद रहें।