महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नंदन यति जी ने शुरु किया सिद्धपीठ हथियाराम मठ का 26वां चातुर्मास महायज्ञ
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जनपद के जखनियां तहसील अंतर्गत बेसो नदी के तट पर विद्यमान सिद्ध संतों की साधना स्थली सिद्धपीठ हथियाराम मठ के 26वें पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनन्दन यति जी महाराज इन दिनों अपना 26वां चातुर्मास महायज्ञ सम्पादित कर रहे हैं।
वृद्धाम्बिका (बुढ़िया माई) माता एवं भगवान शिव के अनन्य उपासक स्वामी भवानीनन्दन यति जी महाराज का यह चातुर्मास महायज्ञ श्रावण प्रतिपदा से आरम्भ होकर भाद्र पद पूर्णिमा तक चलेगा। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चल रहे चातुर्मास महायज्ञ में वैदिक ब्राह्मण प्रतिदिन षोडषप्रकार विधि से पार्थिव शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक कर रहे हैं।
सुबह सात बजे से पूजन-अर्चन, अभिषेक के बाद शाम को होने वाली भव्य उत्तर पूजा, महाआरती व भोग-प्रसाद में देश के कोने-कोने से आये शिष्य श्रद्धालु कोरोना गाइडलाइन के तहत शामिल होकर पुण्य लाभ के भागी बन रहे हैं। आचार्य सुरेश चन्द्र त्रिपाठी के नेतृत्व में वैदिक ब्राह्मणों के समूह द्वारा किये जा रहे मंत्रोच्चार की गूंज से समूचा अंचल गुंजायमान है। चातुर्मास के दौरान स्वामी भवानीनन्दन ने हरिहरात्मक पूजा के उपरांत प्रवचन करते हुए इसकी महत्ता बताते हुए कहा कि व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के चार महीने को हिन्दू धर्म में चातुर्मास कहा गया है।
ध्यान और साधना करने वालों के लिए यह मास महत्वपूर्ण होता है। इसमें एक ही स्थान पर रहकर ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस दौरान भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। गुरुवार को उपवास और विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना लाभकारी होता है। भगवान शिव को समर्पित चातुर्मास के पहले मास श्रावण में शिवोपासना करनी चाहिए।
कहा कि भगवान शिव के ललाट पर चन्द्रमा और जटा से गंगा का प्रवाह इस बात का प्रतीक है कि हम अपने मन-मस्तिष्क को चन्द्रमा के समान शीतल रखें, तभी हमारे अंदर श्रेष्ठ विचारों की गंगा का प्रवाह होगा। शिव की उपासना को सर्वथा कल्याणकारी बताते हुए उन्होंने प्राचीन ऐतिहासिक सिद्धपीठ को संतों की धरती बताते हुए इस महातीर्थ पर चातुर्मास महायज्ञ आयोजन को अपना सौभाग्य बताया। इस महानुष्ठान में बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर पुण्य-लाभ के भागी बन रहे हैं।