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गाजीपुर ब्लॉक प्रमुख चुनाव: सियासी दलों की बढ़ी सरगर्मी, बदलने लगे समीकरण

 गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. पंचायत चुनावों में गाजीपुर में सपा और बसपा के बीच जंग काफी लंगी चली है। अब अंतिम दौर में आज गाजीपुर में ब्‍लॉक प्रमुख का चुनाव होने के साथ ही पंचायत चुनाव की रात खत्‍म हो जाएगी। एक ओर उम्‍मीदवारों की रातें जहां बीडीसी प्रत्‍याशियों की रखवाली में बीती वहीं अंतिम समय तक सियासी दलों के लिए बीडीसी का पाला बदलना चुनौती साबित हुआ। 



जिले के सभी 16 ब्लाकों में से 13 पर प्रमुख चुनाव के कुल 26 प्रत्याशियों के भाग्य का आज शनिवार को फैसला होगा, जबकि तीन स्थानों पर निर्विरोध निर्वाचन तय है। मरदह में को छोड़ बाकी हर सीटों पर सीधी लड़ाई है। सुबह 11 से शाम तीन बजे तक मतदान होगा और इसके बाद मतों की गणना होगी। सभी ब्लाकों में कुल 42 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। इसमें एक का नामांकन रद कर दिया गया।


वहीं शुक्रवार को कुल 10 लोगों ने अपना-अपना नाम वापस ले लिया। रेवतीपुर में निर्दल अजिताभ उर्फ राहुल राय, भांवरकोल में भाजपा की श्रद्धा राय और देवकली ब्लाक में माधुरी देवी का निर्विरोध निर्वाचन तय है। प्रमुख चुनाव को लेकर जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सतर्क है। सभी ब्लाकों को चारों तरफ से बैरिकेड कर सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की गई है। संबंधित थानों की पुलिस के साथ ही आसपास के थानों के जवान भी मुस्तैद रहेंगे। वहीं क्षेत्राधिकारी व एएसपी चक्रमण करते रहेंगे। मरदह ब्लाक प्रमुख की सीट पर चार प्रत्याशी व शेष 12 ब्लाकों में दो-दो प्रत्याशी आमने-सामने हैं। ऐसे में इन ब्लाकों में काफी कांटे की लड़ाई है और गहमा-गहमी की स्थिति बनी हुई है। शुक्रवार को नामवापसी के दिन करंडा से रजावती देवी, जखनियां से मुन्नी देवी, देवकली से आशा देवी, मनिहारी से अजय कुमार, सैदपुर से विरेंद्र यादव, सादात से लल्लन राम, बाराचवर व मरदह से दो-दो प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस ले लिया।


बोले डीएम: आज सुबह 11 से शाम तीन बजे तक ब्लाक प्रमुख चुनाव के लिए मतदान होगा। सभी ब्लाकों में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। 500 मीटर पहले सभी के वाहन रोक दिए जाएंगे। कहीं किसी ने कोई तनिक भी शरारत या उपद्रव फैलाने की कोशिश की तो कड़ी कार्रवाई होगी। - एमपी सिंह, जिलाधिकारी।


शुक्रवार को दिन भर माथापच्‍ची : ब्लाक प्रमुख चुनाव जीतने के उद्देश्य से 317 क्षेत्र पंचायत सदस्यों को अनपढ़ घोषित करवाने का दावेदारों ने चाल चला। हालांकि जिलाधिकारी ने उनके इस चाल को सफल न होने दी। फिलहाल जिले के केवल नौ बीडीसी को हेल्पर प्रदान किए गए जो वास्तव में निरक्षर थे। कुछ निरक्षरों को इसलिए हेल्पर नहीं मिल सके क्योंकि उनके परिवार में भी कोई और पढ़ा-लिखा नहीं था। 

उधर, देवकली के 23 आवेदन इसलिए निरस्त मान लिए गए कि वहां से एक पर्चा उठा लिए जाने से निर्विरोध निर्वाचन हो गया। ब्लाक प्रमुख चुनाव में उन क्षेत्र पंचायत सदस्यों को हेल्पर दिए जाते हैं जो पढ़ना-लिखना बिल्कुल नहीं जानते हैं। यह इसलिए होता है कि यहां सिंबल के बजाय बैलेट पर नाम होेते हैं। ऐसे में उन्हें अपने मन मुताबिक प्रत्याशी को मतदान करने में कोई दिक्कत न हो। इसी वजह से आयोग ने यह व्यवस्था कर रखी है। 


इस व्यवस्था का चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी हथियार के रूप में इस्तेमाल की कोशिश किए। आश्वासन के बाद भी जिन मतदाताओं पर उन्हें भरोसा नहीं था वह उन्हें अनपढ़ घोषित कर अपने मन मुताबिक हेल्पर बनवाकर चुनाव जीतना चाहते थे। हालांकि हेल्पर वही हो सकता है जिसका संबंधित से खून का रिश्ता हो, लेकिन ऐसे लोग भी आए जिनका दूर-दूर तक कहीं कोई खून का संबंध नहीं था। चुनाव में अपनाए जा रहे हथकंडे और मामले की गंभीरता को समझते हुए जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने इसे खुद अपन हाथ में ले रखा था। पूरे दिन वह बैठकर इस मामले को निबटाते रहे। पिछली बार ब्लाक प्रमुख चुनाव में करीब आठ दर्जन लोगों को हेल्पर प्रदान किए गए थे।


आए अजब-गजब मामले : हेल्पर बनने के लिए भी अजब-गजब मामले आए। शक होने पर एक प्रत्याशी से डीएम ने पूछा कि पढ़ना आता है कि लिखना। उसने फौरन जवाब दिया कि साहब लिख नहीं पाता, पढ़ लेता हूं। इसी तरह से एक महिला क्षेत्र पंचायत सदस्य ने कहा कि साहब दस्तखत कर लेती हूं, पढ़ भी लेती हूं, लेकिन यह रहते तो ठीक रहता। इस पर उन्होंने इस आवेदन को निरस्त कर दिया। इसी तरह एक दूसरी महिला क्षेत्र पंचायत सदस्य का जिलाधिकारी ने आवेदन इसलिए निरस्त कर दिया कि हेल्पर बनने उनके साथ आए पति व बच्चे भी निरक्षर थे।


जब बिगड़ा मूड डीएम का : सुनवाई के दौरान उस समय जिलाधिकारी का मूड खराब हो गया जब उनके चेंबर में ऐसे तमाम लोग घुस गए जो न तो क्षेत्र पंचायत सदस्य थे न ही उन्हें किसी का हेल्पर बनना था। डीएम ने तुरंत हिदायत देते हुए न सिर्फ चेंबर बल्कि परिसर से भी बाहर चले जाने को कहा। मौके की नजाकत को भांपते हुए ऐसे लोग चलते बने। खास बात यह कि लक्जरी वाहनों से अपने लोगों के साथ पहुंचे तमाम नेता भी वहां से खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझे।


बोले डीएम : जिला पंचायत के अनुभव के आधार पर मैने खुद इसके निस्तारण का काम अपने हाथ में ले रखा था। ऐसे चुनाव में तमाम हथकंडे अपनाए जाते हैं, लिहाजा सारे पार्थना पत्रों की न सिर्फ बारीकी से निरीक्षण बल्कि बीडीसी व उनके द्वारा मांगे गए सहायकों को सामने खड़ा कर परीक्षण किया गया। यही कारण रहा कि 317 में से महज नौ लोगों को ही यह जारी हुआ। - मंगला प्रसाद सिंह, जिलाधिकारी।

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