क्यों हर बार गलत साबित हो रहा है मौसम विभाग का पूर्वानुमान, जानें क्या कहते हैं मौसम विज्ञानी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, नई दिल्ली. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि उत्तर भारत के कुछ इलाकों के लिए मौसम विभाग के पूर्वानुमान में गलत होने के पीछे पूर्वानुमान माडलों के गलत संकेत और पूर्वी व पश्चिमी हवाओं के बीच पारस्परिक प्रभाव के आकलन में कठिनाई जैसे कारण हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून देश के लगभग सभी हिस्सों में पहुंच गया है, लेकिन यह अभी तक उत्तर भारत के कुछ हिस्सों से दूर है जिनमें दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से और पश्चिम राजस्थान शामिल हैं।
जून तक पहुंचने का था अनुमान
मौसम विभाग ने इन इलाकों में मानसून जून तक पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया था। विभाग ने 13 जून को अनुमान व्यक्त किया था कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 15 जून तक दिल्ली पहुंच जाएगा, लेकिन एक दिन बाद ही विभाग का कहना था कि इस क्षेत्र में मानसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं हैं।
एक जुलाई को मौसम विभाग ने फिर कहा कि सात जुलाई तक मानसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल हो सकती हैं। उसका कहना था कि बंगाल की खाड़ी से आने वाली निम्नस्तरीय नमी वाली पूर्वी हवाओं के आठ जुलाई तक पूर्वी भारत पर अपना प्रभाव स्थापित करने की संभावना है। पांच जुलाई को विभाग ने कहा कि 10 जुलाई तक उत्तर-पश्चिम मानसून के पंजाब और उत्तर हरियाणा के ऊपर छा जाने की संभावना है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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केरल में मानसून पहुंचने को लेकर भी विभाग ने इसके 31 मई तक पहुंचने का अनुमान जताया था। 30 मई तक अपने दैनिक बुलेटिन में विभाग यही कहता रहा, लेकिन 31 मई को उसने अपने अनुमान में संशोधन करते हुए मानसून के तीन जून तक केरल पहुंचने की संभावना जताई थी।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि विभाग ने पूर्वानुमान माडल के संकेतों के मुताबिक दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में 15 जून तक मानसून छा जाने का अनुमान जारी किया था, लेकिन अगले ही दिन (14 जून) इसे बदल दिया था जब लगा कि उसके आगे बढ़ने के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पूर्वानुमान माडल ने दो प्रमुख हवा पैटर्नों पूर्वी और पश्चिमी हवाओं के प्रभाव में निरंतरता नहीं दिखाई। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव आर. राजीवन ने भी कहा कि पूर्वानुमान माडलों ने गलत संकेत दिए। राजीवन ने 35 साल से अधिक समय तक दक्षिण-पश्चिम मानसून का अध्ययन किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मौसम विभाग को पूर्वानुमान जारी नहीं करना चाहिए था, बल्कि कुछ समय इंतजार करना चाहिए था।