बनारस में कुत्तों की फौज सड़कों पर काट रही मौज, राहगीरों को दे रहे हर दिन जख्म
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. सड़कों पर इन दिनों कुत्तों की संख्या को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनकी तादाद किस कदर बढ़ रही है। यह नगर निगम की ओर से नियमित नसबंदी न होने का नतीजा है। निगम की बजट बैठक में कुत्तों की संख्या रोकने के लिए पार्षदों ने जोरदार आवाज उठाई। नसबंदी में बजट की कमी न होने की घोषणा भी की गई थी लेकिन अब तक नसबंदी की कवायद नहीं हुई। लिहाजा, कुत्तों की फौज सड़कों पर हमलावर होकर राहगीरों को जख्म दे रही है।
हालांकि, नसबंदी में देरी की बड़ी वजह कोरोना संक्रमण काल को बताया जा रहा है। नगर निगम के पशु कल्याण विभाग के कर्मचारियों को एंबुलेंस ड्यूटी में लगा दिया गया है। नगर में घूमते हुए कुत्ते महिलाओं, वृद्धों व बच्चों को काटकर घायल कर रहे हैं। इनके आतंक से सड़कों पर निकलना मुश्किल है। नगर निगम प्रशासन से लोग भी दिन कुत्तों-बंदरों को पकडऩे की मांग करते रहते हैं, लेकिन कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है।
कुत्तों की नसबंदी लिए हुआ था करार
आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए पूर्व में दो एजेंसी होप और आश्रय से करार किया गया था। एक कुत्ते की नसबंदी पर नगर निगम 750 रुपये एजेंसी को देता था। इसी तरह बंदरों को पकडऩे के लिए मथुरा से विशेषज्ञ बुलाए गए थे। एक बंदर पकड़ कर शहर के बाहर जंगल, पहाड़ पर जाकर छोडऩे पर नगर निगम 500 रुपये देता था।
जहां उठाएंगे, वहीं लाकर छोड़ेंगे
आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने को नसबंदी अभियान चलाया जाएगा। निगम के अनुसार नसबंदी के लिए जिस कुत्ते को जहां से उठाया जाएगा, उसे चार दिन बाद नसबंदी करने वाली एजेंसी फिर उसी जगह लाकर छोड़ देगी। इस पूरी प्रक्रिया की फोटोग्राफी भी होगा।