कहानी: पति पत्नी और वो
यों तो प्रीति अपने कुलीग सागर के करीब नहीं जाना चाहती थी, मगर उस दिन मसाज पार्लर से लौटने के बाद वह पूरी तरह मदहोश हो गई और फिर...
मैं एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी कर रही थी. अभी मुझे 2 साल भी नहीं हुए थे. कंपनी का एक बड़ा प्रोजैक्ट पूरा होने की खुशी में शनिवार को फाइव स्टार होटल में एक पार्टी थी. मुझे भी वहां जाना था. मेरे मैनेजर ने मुझे बुला कर खासतौर पर कहा, ‘‘प्रीति, तुम इस प्रोजैक्ट में शुरू से जुड़ी थीं, तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूं. पार्टी में जरूर आना… वहां और सीनियर लोगों से भी तुम्हें इंट्रोड्यूज कराऊंगा जो तुम्हारे फ्यूचर के लिए अच्छा होगा.’’
‘‘थैंक्यू,’’ मैं ने कहा.
सागर मेरा मैनेजर है. लंबा कद, गोरा, क्लीन शेव्ड, बहुत हैंडसम ऐंड सौफ्ट स्पोकन. उस का व्यक्तित्व हर किसी को उस की ओर देखने को मजबूर करता. सुना है वाइस प्रैसिडैंट का दाहिना हाथ है… वे कंपनी के लिए नए प्रोजैक्ट लाने के लिए कस्टमर्स के पास सागर को ही भेजते. सागर अभी तक इस में सफल रहा था, इसलिए मैनेजमैंट उस से बहुत खुश है.
मैं ने अपनी एक कुलीग से पूछा कि वह भी पार्टी में आ रही है या नहीं तो उस ने कहा, ‘‘अरे वह हैंडसम बुलाए और हम न जाएं, ऐसा कैसे हो सकता है. बड़ा रंगीन और मस्तमौला लड़का है सागर.’’
‘‘वह शादीशुदा नहीं है क्या?’’ मैं ने पूछा.
‘‘एचआर वाली मैम तो बोल रही थीं शादीशुदा है, पर बीवी कहीं और जौब करती है. सुना है अकसर यहां किसी न किसी फ्रैशर के साथ उस का कुछ चक्कर रहा है. यों समझ लो मियांबीवी के बीच कोई तीसरी वो. पर बंदे की पर्सनैलिटी में दम है. उस के साथ के लिए औफिस की दर्जनों लड़कियां तरसती हैं. मेरी शादी के पहले मुझ पर भी डोरे डाल रहा था. मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है, सिर्फ सगाई ही हुई है… एक शाम उस के नाम सही.’’
‘‘मतलब तेरा भी चक्कर रहा है सागर के साथ… पगली शादीशुदा हो कर ऐसी बातें करती है. खैर ये सब बातें छोड़ और बता तू आ रही है न पार्टी में?’’
‘‘हंड्रेड परसैंट आ रही हूं?’’
मैं शनिवार रात पार्टी में गई. मैं ने पार्टी के लिए अलग से मेकअप नहीं किया था. बस वही जो नौर्मल करती थी औपिस जाने के लिए. सिंपल नेवी ब्लू कलर के लौंग फ्रौक में जरा देर से पहुंची. देखा कि सागर के आसपास 4-5 लड़कियां पहले से बैठी थीं.
मुझे देख कर वह फौरन मेरे पास आ कर बोला, ‘‘वाऊ प्रीति, यू आर लुकिंग गौर्जियस. कम जौइन अस.’’
पहले सागर ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वाइस प्रैसिडैंट के पास ले जा कर उन से मिलवाया.
उन्होंने कहा, ‘‘यू आर लुकिंग ग्रेट. सागर तुम्हारी बहुत तारीफ करता है. तुम्हारे रिपोर्ट्स भी ऐक्सीलैंट हैं.’’
मैं ने उन्हें थैंक्स कहा. फिर अपनी कुलिग्स की टेबल पर आ गई. सागर भी वहीं आ गया. हाल में हलकी रंगीन रोशनी थी और सौफ्ट म्यूजिक चल रहा था. कुछ स्नैक्स और ड्रिंक्स का दौर चल रहा था.
सागर ने मुझ से भी पूछा, ‘‘तुम क्या लोगी?’’
‘‘मैं… मैं… कोल्डड्रिंक लूंगी.’’
सागर के साथ कुछ अन्य लड़कियां भी हंस पड़ीं. ‘‘ओह, कम औन, कम से कम बीयर तो ले लो. देखो तुम्हारे सभी कुलीग्स कुछ न कुछ ले ही रहे हैं. कह कर उस ने मेरे गिलास में बीयर डाली और फिर मेरे और अन्य लड़कियों के साथ गिलास टकरा कर चीयर्स कहा.
पहले तो मैं ने 1-2 घूंट ही लिए. फिर धीरेधीरे आधा गिलास पी लिया. डांस के लिए फास्ट म्यूजिक शुरू हुआ. सागर मुझ से रिक्वैस्ट कर मेरा हाथ पकड़ कर डांसिंग फ्लोर पर ले गया.
पहले तो सिर्फ दोनों यों ही आमनेसामने खड़े शेक कर रहे थे, फिर सागर ने मेरी कमर को एक हाथ से पकड़ कर कहा, ‘‘लैट अस डांस प्रीति,’’ और फिर दूसर हाथ मेरे कंधे पर रख कर मुझ से भी मेरा हाथ पकड़ ऐसा ही करने को कहा.
म्यूजिक तो फास्ट था, फिर भी उस ने मेरी आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘मुझे स्लो स्टैप्स ही अच्छे लगते हैं. ज्यादा देर तक सामीप्य बना रहता है, कुछ मीठी बातें करने का मौका भी मिल जाता है और थकावट भी नहीं होती है.’’
मैं सिर्फ मुसकरा कर रह गई. वह मेरे बहुत करीब था. उस की सांसें मैं महसूस कर रही थी और शायद वह भी मेरी सांसें महसूस कर रहा था. उस ने धीरे से कहा, ‘‘अभी तुम्हारी शादी नहीं हुई है न?’’
‘‘नहीं, शादी अभी नहीं हुई है, पर 6 महीने बाद होनी है. समरेश मेरा बौयफ्रैंड ऐंड वुड बी हब्बी फौरन असाइनमैंट पर अमेरिका में है.’’
‘‘वैरी गुड,’’ कह उस ने मेरे कंधे और गाल पर झूलते बालों को अपने हाथ से पीछे हटा दिया, ‘‘अरे यह सुंदर चेहरा छिपाने की चीज नहीं है.’’
फिर उस ने अपनी उंगली से मेरे गालों को छू कर होंठों को छूना चाहा तो मैं ‘नो’ कह कर उस से अलग हो गई. मुझे अपनी सहेली का कहा याद आ गया था.
उस के बाद हम दोनों 2 महीने तक औफिस में नौर्मल अपना काम करते रहे.
एक दिन सागर ने कहा, हमें एक प्रोजैक्ट के लिए हौंगकौंग जाना होगा.’’
‘‘हमें मतलब मुझे भी?’’
‘‘औफकोर्स, तुम्हें भी.’’
‘‘नहीं सागर, किसी और को साथ ले लो इस प्रोजैक्ट में.’’
‘‘तुम यह न समझना कि यह मेरा फैसला है… बौस का और्डर है यह. तुम चाहो तो उन से बात कर सकती हो.’’
मैं ने वाइस प्रैसिडैंट से भी रिक्वैस्ट की पर उन्होंने कहा, ‘‘प्रीति, बाकी सभी अपनेअपने प्रोजैक्ट में व्यस्त हैं. 2 और मेरी नजर में थीं, उन से पूछा भी था, पर दोनों अपनी प्रैगनैंसी के चलते दूर नहीं जाना चाहती हैं… मेरे पास तुम्हारे सिवा और कोई औप्शन नहीं है.’’
मैं सागर के साथ हौंगकौंग गई. वहां 1 सप्ताह का प्रोग्राम था. काफी भागदौड़ भरा सप्ताह रहा. मगर 1 सप्ताह में हमारा काम पूरा न हो सका. अपना स्टे और 3 दिन के लिए बढ़ाना पड़ा. हम दोनों थक कर चूर हो गए थे. बीच में 2 दिन वीकैंड में छुट्टी थी.
हौंगकौंग के क्लाइंट ने कहा, ‘‘इसी होटल में स्पा, मसाज की सुविधा है. मसाज करा लें तो थकावट दूर हो जाएगी और अगर ऐंजौय करना है तो कोव्लून चले जाएं.’’
‘‘मैं तो वहां जा चुका हूं. तुम कहो तो चलते हैं. थोड़ा चेंज हो जाएगा,’’ सागर ने कहा.
हम दोनों हौंगकौंग के उत्तर में कोव्लून द्वीप गए. थोड़े सैरसपाटे के बाद सागर बोला, ‘‘तुम होटल के मसाज पार्लर में जा कर फुल बौडी मसाज ले लो. पूरी थकावट दूर हो जाएगी.’’
मै स्पा गई. स्पा मैनेजर ने पूछा, ‘‘आप ने अपौइंटमैंट में थेरैपिस्ट की चौइस नहीं बताई है. अभी पुरुष और महिला दोनों थेरैपिस्ट हैं मेरे पास. अगर डीप प्रैशर मसाज चाहिए तो मेरे खयाल से पुरुष थेरैपिस्ट बेहतर होगा. वैसे आप की मरजी?’’
मैं ने महिला थेरैपिस्ट के लिए कहा और अंदर मसाजरूम में चली गई. बहुत खुशनुमा माहौल था. पहले तो मुझे ग्रीन टी पीने को मिली. कैंडल लाइट की धीमी रोशनी थी, जिस से लैवेंडर की भीनीभीनी खुशबू आ रही थी. लाइट म्यूजिक बज रहा था. थेरैपिस्ट ने मुझे कपड़े खोलने को कहा. फिर मेरे बदन को एक हरे सौफ्ट लिनेन से कवर कर पैरों से मसाज शुरू की. वह बीचबीच में धीरेधीरे मधुर बातें कर रही थी. फिर थेरैपिस्ट ने पूछा, ‘‘आप को सिर्फ मसाज करानी है या कुछ ऐक्स्ट्रा सर्विस विद ऐक्स्ट्रा कौस्ट… पर इस टेबल पर
नो सैक्स?’’
‘‘मुझे आश्चर्य हुआ कि उसे ऐसा कहने की क्या जरूरत थी. मैं ने महसूस किया कि मेरी बगल में भी एक मसाज चैंबर था. दोनों के बीच एक अस्थायी पार्टीशन वाल थी. जैसेजैसे मसाज ऊपर की ओर होती गई मैं बहुत रिलैक्स्ड फील कर रही थी. करीब 90 मिनट तक वह मेरी मसाज करती रही. महिला थेरैपिस्ट होने से मैं भी सहज थी और उसे भी मेरे अंगों को छूने में संकोच नहीं था. उस के हाथों खासकर उंगलियों के स्पर्श में एक जादू था और एक अजीब सा एहसास भी. पर धीरेधीरे उस के नो सैक्स कहने का अर्थ मुझे समझ में आने लगा था. मैं अराउज्ड यानी उत्तेजना फील करने लगी. मुझे लगा. मेरे अंदर कामवासना जाग्रत हो रही है.’’
तभी थेरैपिस्ट ने ‘‘मसाज हो गई,’’ कहा और बीच की अस्थायी पार्टीशन वाल हटा दी. अभी मैं ने पूरी ड्रैस भी नहीं पहनी थी कि देखा दूसरे चैंबर में सागर की भी मसाज पूरी हो चुकी थी. वह भी अभी पूरे कपड़े नहीं पहन पाया था.
दूसरी थेरैपिस्ट गर्ल ने मुसकराते हुए कहा ‘‘देखने से आप दोनों का एक ही हाल लगता है, अब आप दोनों चाहें तो ऐंजौय कर सकते हैं.’’
मुझे सुन कर कुछ अजीब लगा, पर बुरा नहीं लगा. हम दोनों पार्लर से निकले. मुझे अभी तक बिना पीए मदहोशी लग रही थी. सागर मेरा हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले गया. मैं भी मदहोश सी उस के साथ चल पड़ी. उस ने रूम में घुसते ही लाइट औफ कर दी.
सागर मुझ से सट कर खड़ा था. मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच रहा था और मैं उसे रोकना भी नहीं चाहती थी. वह अपनी उंगली से मेरे होंठों को सहला रहा था. मैं भी उस के सीने से लग गई थी. फिर उस ने मुझे किस किया तो ऐसा लगा सारे बदन में करंट दौड़ गया. उस ने मुझे बैड पर लिटा दिया और कहा, ‘‘जस्ट टू मिनट्स, मैं वाशरूम से अभी आया.’’
सागर ने अपनी पैंट खोल बैड के पास सोफे पर रख दी और टौवेल लपेट वह बाथरूम में गया. मैं ने देखा कि पैंट की बैक पौकेट से उस का पर्स निकल कर गिर पड़ा और खुल गया. मैं ने लाइट औन कर उस का पर्स उठाया. पर्स में एक औरत और एक बच्चे की तसवीर लगी थी.
मैं ने उस फोटो को नजदीक ला कर गौर से देखा. उसे पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हुई. मैं ने मन में सोचा यह तो मेरी नीरू दी हैं. कालेज के दिनों में मैं जब फ्रैशर थी सीनियर लड़के और लड़कियां दोनों मुझे रैगिंग कर परेशान कर रहे थे. मैं रोने लगी थी. तभी नीरू दी ने आ कर उन सभी को डांट लगाई थी और उन्हें सस्पैंड करा देने की वार्निंग दी थी. नीरू दी बीएससी फाइनल में थीं. इस के बाद मेरी पढ़ाई में भी उन्होंने मेरी मदद की थी. तभी से उन के प्रति मेरे दिल में श्रद्धा है. आज एक बार फिर नीरू दी स्वयं तो यहां न थीं, पर उन के फोटो ने मुझे गलत रास्ते पर जाने से बचा लिया. मेरी मदहोशी अब फुर्र हो चली थी.
सागर बाथरूम से निकल कर बैड पर आया तो मैं उठ खड़ी हुई. उस ने मुझे बैड पर बैठने को कहा, ‘‘लाइट क्यों औन कर दी? अभी तो कुछ ऐंजौय किया ही नहीं.’’
‘‘ये आप की पत्नी और साथ में आप का बेटा है?’’
‘‘हां, तो क्या हुआ? वह दूसरे शहर में नौकरी कर रही है?’’
‘‘नहीं, वे मेरी नीरू दीदी भी हैं… मैं गलती करने से बच गई,’’ इतना बोल कर मैं उस के कमरे से निकल गई.
जहां एक ओर मुझे कुछ आत्मग्लानि हुई तो वहीं दूसरी ओर साफ बच निकलने का सुकून भी था. वरना तो मैं जिंदगीभर नीरू दी से आंख नहीं मिला पाती. हालांकि सागर ने कभी मेरे साथ कोई जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं की.
इस के बाद 3 दिन और हौंगकौंग में हम दोनों साथ रहे… बिलकुल प्रोफैशनल की तरह
अपनेअपने काम से मतलब. चौथे दिन मैं और सागर इंडिया लौट आए. मैं ने नीरू दी का पता लगाया और उन्हें फोन किया. मैं बोली, ‘‘मैं प्रीति बोल रही हूं नीरू दी, आप ने मुझे पहचाना? कालेज में आप ने मुझे रैगिंग…’’
‘‘ओ प्रीति तुम? कहां हो आजकल और कैसी हो? कालेज के बाद तो हमारा संपर्क ही टूट गया था.’’
‘‘मैं यहीं सागर की जूनियर हूं. आप यहीं क्यों नहीं जौब कर रही हैं?’’
‘‘मैं भी इस के लिए कोशिश कर रही हूं. उम्मीद है जल्द ही वहां ट्रांसफर हो जाएगा.’’
‘‘हां दी, जल्दी आ जाइए, मेरा भी मन लग जाएगा,’’ और मैं ने फोन बंद कर दिया. हौंगकौंग के उस कमजोर पल की याद फिर आ गई, जिस से मैं बालबाल बच गई थी और वह भी सिर्फ एक तसवीर के चलते वरना अनजाने में ही पतिपत्नी के बीच मैं ‘वो’ बन गई होती.