Ghazipur: वाराणसी-मऊ रेलखंड के दोहरीकरण रेलवे ट्रैक बिछने से एक दर्जन गांव का रास्ता बंद
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. वाराणसी-मऊ रेलखंड के दोहरीकरण के लिए मिट्टी गिराए जाने से हुरमुजपुर गांव के दक्षिण छोर पर स्थित रेलवे फाटक तक जाने वाला मार्ग बंद हो गया है। इससे करीब एक दर्जन गांवों का आवागमन बाधित हो गया है। ग्रामीणों को आने-जाने के लिए अब कोई रास्ता नहीं बचा है। ऐसे में ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
खलीलपुर, बृंदावन, हुरमुजपुर, बरहा की यादव बस्ती, चौहान बस्ती, मुसहर बस्ती, साधापुर, बखारीपुर मौज सहित एक दर्जन गांवों का संपर्क टूट गया है। दोहरीकरण के चलते इन गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को आवागमन के लिए कोई रास्ता नहीं रह गया है। रेलवे लाइन के किनारे बसे इन गांवों के लोगों को हुरमुजपुर रेलवे हॉल्ट के पास बने अंडरपास तक जाने के लिए पैदल और वाहन से कोई रास्ता नहीं है। इन गांवों से प्राइमरी और माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने जाने वाले बच्चों और छात्र-छात्राओं के लिए भी परेशानी बढ़ गई है।
बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीणों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। खलीलपुर गांव के पास आने जाने के लिए एक रेलवे फाटक बना है, लेकिन दोहरी लाइन बनने से इसके किनारे से होकर आने-जाने का रास्ता बंद होने से यह भी बेकार साबित हो रहा है। इस फाटक के भी भविष्य में बंद करने की योजना है। हुरमुजपुर हॉल्ट के पास बने अंडरपास से हुरमुजपुर गांव के दक्षिणी छोर पर बने रेलवे फाटक के बीच लगभग चार किलोमीटर तक रेलवे लाइन के किनारे किनारे रास्ता था, जो अब दोहरी लाइन की मिट्टी पटने से समाप्त हो गया है।
इससे लगभग पांच हजार की आबादी वाले इन गांवों में आवागमन को लेकर संकट पैदा हो गया है। दोहरीकरण से पूर्व ग्रामीणों ने डीआरएम वाराणसी, गोरखपुर और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर इस समस्या से अवगत कराया था। बावजूद इसके समस्या पर रेलवे विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया। बृंदावन के ग्राम प्रधान रमेश यादव, खलीलपुर ग्राम प्रधान राम प्रकाश यादव और हुरमुजपुर की ग्राम प्रधान मंशा गोड़ ने बताया कि रेलवे मंत्री सहित जिला प्रशासन एवं सरकार का ध्यान इस समस्या की ओर आकृष्ट करते हुए रेलवे लाइन के किनारे आवगमन के लिए सड़क बनाने की मांग की है। अब तक रेलवे लाइन के किनारे से ही होकर आवगमन होता रहा है।
जब से रेलवे के दोहरीकरण के लिए ट्रैक बिछाने के लिए मिट्टी डालने का काम शुरू हुआ है, तब से किनारे का रास्ता समाप्त हो गया है। उन्होंने बताया कि इन गांवों के पश्चिम तरफ रेलवे लाइन है। इसके पूरब तरफ अर्द्धवृताकार क्षेत्र में बेसों और उदंती है। एक दर्जन गांव दो नदियों और रेलवे लाइन के बीच हैं। दोनों नदियों पर छोटा बड़ा कोई पुल भी नहीं है, जिससे पूरब की तरफ निकला जा सके। चेताया कि इसका समाधान शीघ्र नहीं किया जाता है तो ग्रामीण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।