गाजीपुर जिले में गायब होने के बाद भी डॉक्टरों को बंट गयी सैलरी, अब नकेल कसने की होगी चुनौती
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर पिछड़े इस गाजीपुर जनपद में नवागत मुख्य चिकित्साधिकारी डा. हरगोविंद सिंह की कई मोर्चों पर परीक्षा होनी है। स्वास्थ्य सुविधाओं को पटरी पर लाते हुए कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पार पाने के लिए न सिर्फ बेहतर योजना बनानी होगी बल्कि यह तभी साकार हो सकेगा जब वह लापरवाह, गायब व बेलगाम चिकित्सकों की नकेल कस सकेंगे जो इतना आसान नहीं है।
कई साल तक सीएमओ के पद पर जिले में जमे रहे डा. जीसी मौर्या का कोई ऐसा उल्लेखनीय कार्य नहीं है जनपद के लिए जिसकी चर्चा की जा सकी। अलबत्ता स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर उनकी भद्द पिटती रही है।कभी चिकित्सक उनकी बातों को अनसुनी करते तो कभी उनसे लड़ झगड़ने के लिए भी तैयार रहते। हद तो तब हो गई जब गायब चिकित्सकों को वेतन देने के मामले में वह फंसे। इस मामले में हद यह कि जिलाधिकारी ने चिकित्सकों की सूची मांगी तो उन्होंने डिप्टी सीएमओ मनमोहन मिश्रा से लेकर उन पांच चिकित्सकों के नाम ही नहीं दिए जो काफी अरसे से गायब होते हुए भी वेतन ले रहे थे।
जिलाधिकारी ने ट्रेजरी से वेतन की सूची तलब की जिसमें इस मामले का राजफाश हुआ था। इसमें जिलाधिकारी के सख्त रुख पर डा. जीसी मौर्या ने कैबिनेट मंत्री तक का इसमें हस्तक्षेप की बात खुद डीएम से कही। जिलाधिकारी ने नाम जानना चाहा तो वह आनाकानी करने लगे। बहरहाल, उन गायब पांच में से तीन तो वापस हुए, लेकिन अभी भी इनमें से कुछ चिकित्सक वापस नहीं हुए हैं। इसके इतर कोरोना काल में जिलाधिकारी एमपी सिंह कई बार खुद उनके कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए चेतावनी दिए थे।