Ghazipur: आंधी-पानी से जिले में मची तबाही, उखड़े पेड़ बिजली आपूर्ति बाधित
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. बदलते मौसम के बीच मंगलवार को फिर बादलों ने आसमान में डेरा डाला। खिली धूप के बाद मौसम ने ऐसी करवट ली तो दिन में रात का नजारा हो गया। आंधी के साथ पानी आया तो आसमान में काले बादलों ने धरती पर अंधेरा सा कर दिया। बादल झूमकर बरसे और झमाझम बारिश से हर ओर सराबोर किया।
दिन में वाहनों की लाइट जलने लगी तो तेज आंधी काफी कुछ उड़ा ले गई। जनपद के कई जगहों पर टिनशेड उड़ गये, तो ईंट-भट्ठों पर पड़े कच्चे ईंट गल कर नष्ट हो गये। वहीं कई जगहों पर पेड़ भी उखड़ गये। जगह-जगह जल जमाव से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यह आंधी और बारिश कुछ ही देर के लिए थी, लेकिन इतने में ही अपने रौद्र रूप दिखाकर सभी को परेशान कर दिया। तेज बारिश से सड़कों पर जहां जलमग्न हो गया, वहीं खेत-खलिहानों में लगी सब्जी की खेती करने वाले किसानों को फिर से झटका लगा।
चक्रवात यास को लेकर हुई बारिश के बाद लोग जहां एक बार फिर से कड़ी धूप का सामना कर ही रहे थे कि मंगलवार की दोपहर आयी आंधी व बारिश ने जहां मौसम को सुहाना बना दिया। बीते 27 मई से 29 तक रुक-रुककर बारिश होती रही थी। इससे लगातार कई दिनों से भीषण गर्मी का सामना कर रहे लोगों को काफी राहत मिली थी। इसके बाद 30 व 31 मई को लोग फिर से कड़ी धूप का सामना करना शुरू कर दिये थे। बारिश के बाद अचानक कड़ी धूप होने से तपिश भी ज्यादा महसूस होने लगी थी। तभी मंगलवार की दोपहर मौसम ने फिर करवट बदली और अचानक एक बजे के आस-पास आसमान में काले बादल छा गये।
देखते ही देखते तेज हवा चलने लगी और करीब दो बजे के आस-पास बूंदाबांदी के बीच तेज बारिश शुरू हो गयी। यह बारिश ज्यादा देर तक तो नहीं हुई, लेकिन जितनी देर हुई उतने समय में शहर से लेकर गांव की सड़कों व गलियों में हर तरफ जल जमाव का नजारा बन गया। बारिश शुरू होते ही बाजारों में खरीदारी के लिए निकले लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागे। वहीं कई जगह दुकानों में पानी प्रवेश करने लगा, जिसे दुकानदार बाहर निकलाने के प्रयास में जुटे रहे। तो वहीं कुछ लोग छाता व गमछा लगाकर बारिश के बीच अपने घरों व गन्तव्य तक जाते-आते रहे। कड़ी धूप के बीच अचानक हुई बरसात ने सभी को काफी राहत दिलायी। आसमान में बादल देर तक छाया रहा। बारिश ने एक तरफ लोगों को गर्मी से राहत तो दिलायी, लेकिन सब्जी की खेती करने वाले किसानों के माथे पर एक बार फिर से चिंता की लकीर खिंच गयी। अभी यास चक्रवत की बारिश के चलते हुए नुकसान से उबर भी नहीं पाये थे कि अचानक फिर बरसात ने दोहरी मार दे दी।