शनि जयंती 10 जून को, शनि देव की आराधना से होगा कष्टों का शमन और पूजा से मिलेगी खुशहाली
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सृष्टि के संचालक प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य देव के सुपुत्र श्री शनिदेव जी की आराधना की विशेष महिमा मानी गई है। वैसे तो शनिदेव की पूजा प्रत्येक शनिवार को विधि विधान पूर्वक की जाती है परंतु शनि जयंती पर की गई आराधना विशेष फलदाई मानी गई है। प्रत्येक वर्ष जेष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन धूमधाम से मनाने की परंपरा रही है। इस बार शनि जयंती 10 जून गुरुवार को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार ऋषिकेश पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 9 जून बुधवार को दिन में 1:19 पर लगेगी जून गुरुवार को दिन में 3:16 तक रहेगी। जयंती का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा, इस दिन पूजन से पितृ दोष का निवारण भी होता है।
पूजा का विधान : ज्योतिष आचार्य विमल जैन के अनुसार शनि जयंती के पावन पर्व पर व्रत उपवास रखकर शनिदेव की पूजा अर्चना करने से कठिनाइयों का निवारण होता है। साथ ही सुख समृद्धि और खुशहाली भी मिलती है। श्रद्धालु व्रत करता को प्रातः काल स्नान ध्यान वह अपने आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना के बाद शनि व्रत का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही संपूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिए। सायं काल पुनः स्नान कर शनिदेव का श्रंगार कर उनकी विधि-विधान पूर्वक पूजा करने के बाद काले रंग की वस्तुएं जैसे -काला वस्त्र काला साबुत उड़द, काला तिल, सरसों का तेल या तिल का तेल, काला छाता, लोहे का बर्तन एवं अन्य काले रंग की वस्तुएं अर्पित करना लाभकारी रहता है।
इस दिन शनि देव के मंदिर में सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करना तथा तेल की अखंड ज्योत जलाना उत्तम माना गया है। सायं काल शनिदेव के मंदिर में पूजा करके दीपक प्रज्वलित करना चाहिए। सायं काल शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करने का विधान माना गया है। पूजा अर्चना और दान करने से शनि जनित कष्टों का निवारण होता है। शनि देव शीघ्र प्रसन्न होकर व्रत की मनोकामना को पूर्ण कर सुख सौभाग्य में अभिवृद्धि करते हैं। जिन्हें जन्म कुंडली के अनुसार शनि ग्रह प्रतिकूल हो या शनि ग्रह की महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा शनि ग्रह की लड़ाई अथवा साढ़ेसाती हो उन्हें आज के दिन व्रत रखकर शनिदेव की पूजा का संकल्प लेकर शनिदेव की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करके लाभान्वित होना चाहिए।
मंत्रों का जाप : ओम शं शनिश्चराय नमः, ओम प्रां प्रीं प्रौं सह शनए नमः, ओम प्रां प्रीं प्रौं शं शनिश्चराय नमः, ओम नमो भगवते शनैश्चराय सूर्यपुत्राय नमः, ओम एं ह्रीं श्रीं शनिश्चराय नमः, शनि भगवान से संबंधित राजा दशरथ कृत शनि स्त्रोत शनि चालीसा का पाठ व शनि देव जी की आरती करनी चाहिए।
काले रंग का अधिक मान : इस दिन काले उड़द की दाल की खिचड़ी गरीबों में अवश्य वितरित करनी चाहिए साथ ही काले रंग की वस्तुओं का दान भी किया जा सकता है। विमल जैन के अनुसार वर्तमान समय में शनि ग्रह मकर राशि में विराजमान है जिसके फलस्वरूप धनु मकर एवं कुंभ राशि वालों को शनि की साढेसाती तथा मिथुन एवं तुला राशि वालों को शनि ग्रह की अढैया चल रही है। जिनको शनि ग्रह की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव हो या शनि ग्रह का उत्तम फल प्राप्त ना हो रहा हो उन्हें शनि जयंती के दिन शनिदेव की प्रसन्नता के लिए व्रत उपवास रखकर की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।