राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की करुणा और दोस्ती का कायल हुआ कानपुर
गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर. शनिवार को कानपुर ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की करुणा और दोस्ती की मिसालें देख लीं। शहर उनका कायल हो गया। यह मिसालें लंबे समय तक याद रखी जाएंगी। करुणा की मिसाल तब दिखी जब जाम में फंसी महिला उद्यमी की मौत ने महामहिम को झकझोर दिया। उन्होंने जिम्मेदार अफसरों को तलब किया। उन्हें अपनी ओर से शोक व्यक्त करने के लिए महिला के घर और घाट तक भेजा। सख्त कार्रवाई को कहा और अपनी यात्रा के दौरान अनावश्यक ट्रैफिक न रोकने का आदेश दिया। दूसरी घटना दोस्ती के प्रति उनके जज्बे की है। राष्ट्रपति सारे प्रोटोकाल तोड़ बीमार दोस्त कृष्णकुमार अग्रवाल को देखने उनके घर पहुंच गए।
वंदना की मौत पर देर तक असहज रहे
शुक्रवार को शाही ट्रेन गुजरते वक्त रोके गए ट्रैफिक में फंस कर महिला उद्यमी वंदना मिश्रा की मौत हो गई थी। इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया। उन्होंने अफसरों को तलब कर लिया। जब पता चला कि पुलिस कमिश्नर असीम अरुण पहले ही वंदना के घर जाकर पुलिस की लापरवाही पर क्षमा मांग चुके हैं, तब वह सहज हो सके। उन्होंने पुलिस कमिश्नर और डीएम को अपनी ओर से शोक व्यक्त करने अंतिम संस्कार स्थल भैरोघाट तक भेजा। दोनों अफसर राष्ट्रपति का संदेश लेकर वंदना के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। महामहिम की इसी संवेदनशीलता से प्रेरित पुलिस कमिश्नर ने ट्वीट करके इस घटनाक्रम पर वंदना मिश्रा के परिवार से क्षमा याचना की। उन्होंने प्रण किया कि आगे से रूट व्यवस्था ऐसी होगी कि नागरिकों को न्यूनतम समय के लिए रोका जाए। लापरवाही पर एक दरोगा व तीन हेड कांस्टेबिल सस्पेंड किए गए।
अफसरों से कहा- मेरी वजह से न हो दिक्कत
राष्ट्रपति ने अफसरों से कहा कि मेरी वजह से किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उनके आदेश के बाद शनिवार को सर्किट हाउस के सामने की मुख्य सड़क पर यातायात नहीं रोका गया। जबकि पूरे दिन राष्ट्रपति सर्किट हाउस में ही थे। बेरीकेडिंग भी हटा ली गई। शाम को अपने मित्र के घर राष्ट्रपति के रवाना होने से पांच मिनट पहले तक ट्रैफिक को रोका नही गया। अंदर से निर्देश आने के बाद लगातार एनाउंसमेंट होता रहा कि ट्रैफिक न रोका जाए।
बीमारी की खबर मिली, तभी से बेचैन था
जबसे आपकी तबीयत खराब होने की जानकारी मिली, मिलने के लिए बैचेन था। आज देखकर खुशी हुई और संतुष्टि भी मिली....। एक दोस्त ने दूसरे दोस्त से यह कहा। इनमें बीमार थे कृष्णकुमार अग्रवाल। और देखने पहुंचे थे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। कृष्ण कुमार महामहिम को देख कुछ असहज हुए तो वे बोल पड़े- यहां राष्ट्रपति की हैसियत से नहीं, एक दोस्त की हैसियत से आया हूं।
शनिवार शाम 6 बजे राष्ट्रपति का काफिला कृष्ण कुमार अग्रवाल उर्फ मुन्नाबाबू के घर के लिए निकला। कैंट स्थित उनके आवास में अपने दो मित्रों को देख राष्ट्रपति मुस्करा उठे। वहां कोविंद के एक और अभिन्न मित्र मधुसूदन गोयल भी मौजूद थे। तीनों दोस्तों ने एक दूसरे का हालचाल लिया। मुन्नाबाबू के बेटे विकास ने बताया कि राष्ट्रपति ने पूरे परिवार का हालचाल लिया। मुन्ना बाबू से कहा- मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा और उसे अपने जीवन में लागू भी किया है। दोस्तों ने भावुक होकर हाथ जोड़ लिए। कहा-यह आपकी महानता है कि राष्ट्रपति होकर इतना सम्मान दे रहे हैं।