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खेत और तालाब की जियो टैगिंग अनिवार्य, किसानों को होगा यह लाभ

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने निर्देश दिए हैं कि खेतों व तालाबों की जियो टैगिंग अनिवार्य रूप से किया जाए। इसके साथ ही स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए खेती भूमि की अधिकतम सीमा पांच हेक्टेयर को कम कर दो हेक्टेयर किया जाए, जिससे अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके।मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत गठित राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा प्रस्तुत स्प्रिंकलर एवं ड्रिप इरीगेशन की फर्मों को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन किया जाए। इस समिति में वित्त, नियोजन, एमएसएमई तथा कृषि के प्रतिनिधियों को शामिल किा जाए।

उन्होंने उद्यान विभाग को यह भी निर्देश दिए कि जो पंजीकरण एवं आवेदन शुल्क प्राप्त हुआ है, उसमें से एक वर्ष की प्रभावी कार्ययोजना तैयार कर अनुमोदित कराया जाए। इस बैठक में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि तथा राज्य सरकार के अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया। अपर मुख्य सचिव कृषि डा. देवेश चतुर्वेदी द्वारा बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मुख्यतः चार घटक त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), हर खेत को पानी, पर ड्राप मोर क्राप तथा जलागम विकास के तहत कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।


उन्होंने बताया कि एआईबीपी घटक के तहत सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा तीन परियोजनायें सरयू (राष्ट्रीय नहर), अर्जुन सहायक नहर, मध्य गंगा नहर (फेज-दो) संचालित की जा रही है, जिस पर 2020-21 में 2,026 करोड़ रुपये व्यय किया गया है। इन परियोजनाओं का कार्य मार्च 2022 तक पूरा किया जाना प्रस्तावित है। इन योजनाओं से अब तक 13.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचन क्षमता सृजित हो चुकी है। इनके पूरा होने पर इन परियोजनाओं से 15.94 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हो जाएगी। 


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