Ghazipur: महंगाई के कारण 6 माह में 10 हजार उपभोक्ताओं ने गैस लेना किया बंद
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. कोरोना काल से बढ़ी दुश्वारियों व महंगाई के कारण बीते छह माह में जिले में लगभग 10 हजार उपभोक्ताअें ने गैस लेना बंद कर दिया है। यह लोगों की परेशानी को दर्शाता एक बड़ा आंकड़ा है। अब रसोई गैस के दाम बढ़ने के बाद एक बार फिर लोग लकड़ी व ईंधन से चूल्हे पर खाना बनाने की ओर लौटने लगे हैं।
आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। तीनों गैस एजेंसी में पंजीकृत छह लाख 27 हजार 392 उपभोक्ताओं में से लगभग आठ हजार उज्जवला व दो हजार सामान्य कनेक्शन मिलाकर कुल 10 हजार उपभोक्ता रसोई गैस नहीं ले जा रहे हैं।
यह हैं एजेंसीवार कनेक्शन
एजेंसी उज्जवला सामान्य
एचपी 43745 90707
इंडेन 127395 234305
भारत 52002 80161
उपभोक्ताओं को समय-समय पर किया जाता है जागरूक
जिलापूर्ति अधिकारी कुमार निर्मलेंदु ने बताया कि उज्जवला गैस कनेक्शन के उपभोक्ताओं की जानकारी लेकर समय-समय पर उन्हें फोन से जागरूक किया जाता है। सभी पूर्ति निरीक्षक को निर्देशित किया गया है कि जो उपभोक्ता गैस नहीं ले पा रहे हैं, उन्हें छोटे सिलेंडर लेने के लिए जागरूक करें, जिससे महिलाओं को धुएं से होने वाली तमाम बीमारियों से बचाया जा सके।
पेट्रोल के भाव में आग लगते जा रही है। एक ओर जहां सोना-चांदी गोते लगा रहे हैं वहीं पेट्रोलियम पदार्थों के भाव आसमान की ओर बढ़ते जा रहे हैं। पेट्रोल अपनी पिच पर बैटिंग करते हुए शतक से बस चंद कदम ही दूर है। अगर ऐसे ही रेट के बढ़ाव में गति जारी रही तो जल्द ही पेट्रोल का भाव 100 रुपये तक पहुंच सकता है जैसा के राजस्थान, दिल्ली जैसे राज्यों में तीन-चार माह पहले ही हो गया था।
वैसे कोरोना की दूसरी पहल से पहले पिछले कई माह से पेट्रोल का भाव 89 रुपये कुछ पैसे प्रति लीटर पर ही अटका रहा। इसके बाद इसके बढ़ाव जारी रहा। भले ही किसी दिन भाव स्थिर रहा हो लेकिन घटा नहीं। पेट्रोलियम पदार्थाें का भाव हाल के कुछ दिनों में बढ़ना शुरू हुआ है। इससे पहले फरवरी से मई की शुरूआत तक पेट्राल का भाव लगभग स्थिर हो गया था। अब जिस तरह से मूल्य में बढ़ाव रहा है इससे लग रहा है कि पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच सकता है। हालांकि पेट्रोल का भाव फरवरी से ही कई राज्यों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक में बिक रहा है। उधर, पेट्रोलियम पदार्थों के भाव बढ़ने से अन्य सभी पदार्थों के दाम भी बढ़ गये हैं। कारण कि ट्रांपोटेशन भी बढ़ गया है।