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योगी सरकार का बड़ा फैसला, अब बेसिक शिक्षकों के स्नातक योग्यता रखने वाले मृतक आश्रित बनेंगे क्लर्क

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सेवाकाल के दौरान मृत शिक्षकों के उन आश्रितों को जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण नहीं हैं लेकिन स्नातक की शैक्षिक योग्यता रखते हैं, सरकार उन्हें विभाग में अधिसंख्य पद सृजित कर लिपिक (कनिष्ठ सहायक) की नौकरी देगी। यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोविड से संक्रमित होकर जान गंवाने वाले शिक्षकों के मामले के बाद सरकार ने यह फैसला किया है और संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार की संवेदनाएं उनके साथ है। इस बारे में शासनादेश मंगलवार को जारी होने की संभावना है। 

उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर शिक्षक की नौकरी दी जाती थी। निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद शिक्षकों की नौकरी के लिए स्नातक और बीटीसी (अब डीएलएड) की योग्यता के साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया।


उसके बाद से स्नातक व बीटीसी के साथ टीईटी उत्तीर्ण मृतक आश्रितों को शिक्षक की नौकरी दी जाती है। स्नातक होने के बावजूद जो मृतक आश्रित टीईटी उत्तीर्ण नहीं है, उन्हें चतुर्थ श्रेणी की नौकरी दी जाने लगी। यह कहा गया कि विभाग में तृतीय श्रेणी के पद रिक्त नहीं हैं। उधर मृतक आश्रितों की ओर से लगातार यह मांग की जा रही थी कि उनमें से जो तृतीय श्रेणी की नौकरी की योग्यता रखते हैं उन्हें लिपिक के पद पर नौकरी दी जाए।


बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि राज्य सरकार के अन्य विभागों में निर्धारित शैक्षिक योग्यता रखने वाले मृतक आश्रितों को तृतीय श्रेणी की नौकरी देने की व्यवस्था पहले से लागू है लेकिन सेवाकाल के दौरान जान गंवाने वाले परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के आश्रितों के मामले में इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका था।


डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि उच्च शिक्षित युवाओं के साथ यह नाइंसाफी थी जिसे विभाग अब दूर कर रहा है। उन्होंने बताया कि अब परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के मृतक आश्रित जो तृतीय श्रेणी की नौकरी की शैक्षिक योग्यता रखते हैं उन्हें विभाग में अधिसंख्य पद (पद न हों तो भी) सृजित करते हुए कनिष्ठ सहायक की नौकरी दी जाएगी। कार्मिक और वित्त विभागों ने इस बारे में सहमति दे दी है।


बता दें कि शैक्षिक योग्यता के आधार पर खुद को तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्त किए जाने की मांग करने वाले मृतक आश्रितों की संख्या लगभग दो हजार है। हाल ही में कोरोना संक्रमण से भी बड़ी संख्या में शिक्षकों की मृत्यु हुई है। पंचायत चुनाव के दौरान कोविड से संक्रमित होकर जान गंवाने वाले शिक्षकों के मामले ने खूब तूल पकड़ा था। लिहाजा ऐसे समय में यह फैसला लेकर सरकार ने मृत शिक्षकों के आश्रितों को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है।


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