पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की हुई मौत - उप्र सरकार
गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. शिक्षक संगठनों के दावे को गलत ठहराते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मृत्यु हुई है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगे 1621 शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने का दावा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस बारे में पत्र भेजा था।
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मंगलवार को कहा गया कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी गाइडलाइंस के मुताबिक निर्वाचन अवधि की मतदान, मतगणना, मतगणना संबंधी प्रशिक्षण और इस कार्य के लिए कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने व ड्यूटी समाप्त कर निवास स्थल तक पहुंचने की अवधि तक मान्य है। इस अवधि में किसी भी कारण से हुई मृत्यु की दशा में अनुग्रह राशि दी जाएगी।
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से बताया गया है कि गाइडलाइन के अनुसार जिलाधिकारियों की ओर से राज्य निर्वाचन आयोग को अभी तक तीन शिक्षकों की मृत्यु की प्रमाणित सूचना मिली है। मृतकों के परिवारीजनों को अनुग्रह राशि का भुगतान जल्द ही कराया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से अपील की गई है कि भ्रामक सूचनाओं से भ्रमित न हों।
बेसिक शिक्षा विभाग के इस वक्तव्य पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा है कि सरकार का यह रवैया गैर जिम्मेदाराना होने के साथ संवेदनहीनता को दर्शाता है। यह वास्तविकता से परे है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मौत होने पर अनुग्रह राशि देने की व्यवस्था की है। सरकार से उन्होंने सवाल किया कि यदि पंचायत चुनाव के प्रशिक्षण या मतदान व मतगणना में ड्यूटी के दौरान किसी कार्मिक की अचानक कोविड से मौत हो जाती है तो क्या यह माना जाए कि सरकार ने इस ड्यूटी के लिए किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति का चयन किया था?
शिक्षक संघ यह भी सवाल उठाया है कि यदि चुनाव में ड्यूटी के बाद घर लौटने पर उसकी संक्रमण से मौत होती है तो क्या यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह चुनाव के दौरान संक्रमित हुआ? संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा है कि इस तरह पल्ला झाड़ने से सरकार का पीछा छूटने वाला नहीं है। मृत शिक्षक साथियों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के आश्रितों को उनका हक दिलाने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ी जाएगी।
शिक्षक संघ के मुताबिक आजमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है। गोरखपुर में 50, लखीमपुर में 47, रायबरेली में 53, जौनपुर में 43, इलाहाबाद में 46, लखनऊ में 35, सीतापुर में 39, उन्नाव में 34, गाजीपुर में 36, बाराबंकी में 34 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई है। दिनेश चंद्र शर्मा ने को बताया कि प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं, जहां 25 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप जान गंवाने वाले सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य कर्मचारियों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाए।