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पिता की मौत के बाद दोनों बेटियों ने दिया कंधा, छोटी बेटी सपना ने दी पिता को मुखाग्नि

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों के कारण कुछ परिवार अंतिम संस्कार करने में भी मजबूर और असहाय हो जा रहे हैं। किसी का कोई वारिस या परिवार नहीं है तो किसी के पास पैसे की मजबूरी।अब ऐसे लोगों के लिए काशी में आरएसएस उनका वारिस और सहारा बनकर कफ़न, कंधा के लेकर अंतिम संस्कार की रस्में निभाएगा। दुद्धी ,सोनभद्र के रहनेवाले वाले उमाशंकर तिवारी (65) वर्ष की दुर्घटना के 8 महीने तक बिस्तर पर रहने के बाद इंफैक्शन से तबियत बिगड़ी तो शनिवार को ट्रामा सेंटर में भर्ती हुए जिनकी रविवार की सुबह मौत हो गई। मौत के बाद सिर्फ दो बेटी रत्ना और रचना उर्फ सपना तथा पत्नी सरोजा देवी का रो रो कर बुरा हाल था। मृतक पेंटर का काम करते थे। बेटियां और लाचार पत्नी यही सोच रहे थे कि कोरोना के नाम पर कोई आएगा नहीं। आखिर कौन करेगा अंतिम संस्कार।

इसकी जानकारी आरएसएस काशी दक्षिण, सेवा भारती को हुई जिन्होंने सौरभ सिंह और मिथिलेश तिवारी को इनके परिवार के साथ खड़े होकर शव यात्रा की तैयारी और दाहसंस्कार की जिम्मेदारी सौंपी। अंतिम यात्रा के सामान लेकर कार्यकर्ता ट्रामा सेंटर पहुंच गए और उसके पहले सामनेघाट मदरवां स्थित अस्थाई शवदाह स्थल पर चिता लगवाई।


बेटियों ने दिया कंधा, छोटी बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि

कोरोना काल ने लोगों से रिश्ते की भी पहचान कराई। मौत की सूचना के बाद सिर्फ बड़ी बेटी का पति अपने दो दोस्तों के साथ पहुंचा बाकि के रिश्तेदार और पड़ोसियों ने मुंह मोड़ लिया। ऐसे समय में जिनसे पहचान तक नहीं थी उन्होंने रिश्ते निभाये। आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने ट्रामा सेंटर से एम्बुलेंस द्वारा अंत्येष्टि स्थल तक शव को पहुंचाया और अंतिम संस्कार की रस्मे निभाई। बेटी रत्ना और सपना ने कंधा दिया जबकि छोटी बेटी सपना ने पिता को मुखाग्नि दिया।

टिम्बर एशोसिएशन ने सामनेघाट में बनाया लकड़ी बैंक

मदरवां सामनेघाट के रहनेवाले मिथिलेश तिवारी टिम्बर एसोसिएशन के पदाधिकारी होने के साथ ही आरएसएस के कार्यकर्ता भी हैं।आरएसएस की पहल पर मिथिलेश तिवारी ने एसोसिएशन के लोगों से बात करके जरुरतमंदों के लिए लकड़ी बैंक खोलने की बात पर सभी लोगों ने सहमति जताई।मिथिलेश तिवारी ने बताया कि अन्य व्यापारियों और वन विभाग के अधिकारियों से भी इस कार्य के लिए मदद मांगी गई है। इस कार्य को आगे भी चालू रखा जाएगा और हर गरीब, जरूरतमंद, असहाय और लावारिस लाशों के लिए लकड़ी बैंक से लकड़ी दिया जाएगा। लकड़ी के लिए श्मशान के पास में ही खाली प्लाट भी मिल गया है जहां से रविवार को शुरुआत कर दी गई। मिथिलेश और सौरभ ने कहा कि अब इस संकल्प को पूरा किया जाएगा।

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