Today Breaking News

कहानी: हमदर्दों से दूर

जब से अखिलेश और सरला ने शादी करने की सोची, उन का मजाक उन के बच्चों ने ही उङाना शुरू कर दिया था। एक उम्र के बाद दोनों अकेलेपन के शिकार तो थे मगर शादी कोई गुड्डेगुड़िया का खेल भी तो नहीं था.

“हैलो अखिलेशजी, आप फ्री हों तो आज शाम मिलें?” “जी जरूर, मैं तो खाली ही हूं. मगर कहां?” हड़बड़ाते हुए अखिलेश ने पूछा. “जी वही बंजारा रेस्तरां में ठीक 6 बजे मिलते हैं,” सरला ने जवाब दिया.


“ओके…” अखिलेश सरला से खुद मिलना चाहता था. वह खुश था कि सरला ने ही फोन कर के मिलने बुला लिया. दरअसल, जब से उस ने मैट्रिमोनियल साइट में अपनी प्रोफाइल बनाई थी सरला पहली महिला थी जो उसे एक ही नजर में ही पसंद आ गई थी.


समय 6 बजे का था मगर अखिलेश 2 घंटे पहले ही तैयार हो गया. आखिर सरला से जो मिलने जाना था. हलके ग्रे कलर की शर्ट और पैंट पहन कर वह आईने में ठीक से अपना मुआयना करने लगा. हर ऐंगल से खुद को जांचापरखा. कान के पास


किनारेकिनारे झांक रहे सफेद बालों को छिपाने की कोशिश की. 4 दिन पहले ही डाई लगाई थी मगर सफेदी फिर सामने आ गई थी. आंखों का चश्मा और माथे की सिलवटें वह चाह कर भी छिपा नहीं सकता था. खुद ही दिल को यह सोच कर दिलासा देने लगा कि 60 साल की उम्र में इतना फिट और आकर्षक भला कौन नजर आता है? जेब में पर्स और हाथ में मोबाइल ले कर वह चल दिया.


अखिलेश की पत्नी का करीब 10 साल पहले देहांत हो गया था. उस वक्त बच्चे साथ थे इसलिए ज्यादा पता नहीं चला. मगर धीरेधीरे बच्चों की शादी हो गई और वे अपनीअपनी दुनिया में मशगूल हो गए. बेटी ब्याह कर दूसरे शहर चली गई और


छोटे बेटे ने भी जौब के चक्कर में यह शहर छोड़ दिया. बड़ा बेटा पहले ही शादी के बाद मुंबई में बस चुका था. इस तरह मेरठ के घर में वह नितांत अकेला रह गया था.


अब पत्नी की याद ज्यादा ही आने लगी थी. नौकरानी घर संभाल जाती. नाश्ताखाना भी बना देती. मगर पत्नी वाली केयर कैसे कर सकती थी. यही वजह थी कि अखिलेश ने फिर से शादी करने का फैसला लिया ताकि अपनी बची जिंदगी इस तरह अकेलेपन और उदासी के साथ गुजारने के बजाय किसी विधवा से पुनर्विवाह कर के गुजार सके.


इस के लिए उस ने मैट्रिमोनियल साइट में अपनी प्रोफाइल बना डाली. 3-4 दिनों के अंदर ही बहुत सारी महिलाओं ने उन्हें इंटरैस्ट भेज दिया. इन सबों में सरला सब से ज्यादा पसंद आई थी. रेस्तरां की मेज पर सरला और अखिलेश आमनेसामने बैठे थे. सरला की उम्र करीब 50 साल थी. वह भी विधवा थी. एक बेटी थी जिस की शादी हो चुकी थी.


गोरा रंग, तीखे नैननक्श और चेहरे की चमक बता रही थी कि किसी जमाने में वह बला की खूबसूरत रही होगी. सरला ने साफ शब्दों में अपनी बात रखी,” करीब 5 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मेरे पति की मौत हो गई. आप को पता ही होगा कि पति के जाते ही औरत की


जिंदगी से सारी रौनक चली जाती है. मेरी बेटी भी मायके चली गई. अब बिलकुल दिल नहीं लगता है. बस इसी अकेलेपन की वजह से शादी का फैसला लिया है.”


“सरलाजी, मेरे साथ भी बिलकुल यही बात है. मेरा भी खयाल रखने के लिए कोई अपना मेरे पास नहीं. अकेलापन खाने को दौड़ता है. क्यों न हम एकदूसरे के साथी बन कर इस अकेलेपन को हमेशा के लिए दूर कर दें. मुझे आप की जैसी


समझदार और सरल महिला की ही जरूरत है.” सरला ने हौले से मुसकरा कर अपनी सहमति दे दी. दोनों 1-2 घंटे वहीं बैठे बातें करते रहे. अगले दिन फिर मिलने का वादा कर अपनेअपने घर लौट आए.


आते ही अखिलेश ने मैट्रिमोनियल साइट से अपनी प्रोफाइल हटा दी. उसे जिस की तलाश थी वह मिल चुकी थी. देर रात बेटे का फोन आया तो अखिलेश ने बेटे से अपनी खुशी शेयर की. सुन कर बेटा एकदम चुप हो गया.


कुछ देर बाद समझाते हुए बोला,”पापा, यह क्या करने जा रहे हो? क्या जरूरत है इस उम्र में शादी की? वह औरत पता नहीं कैसी हो? किस मकसद से शादी कर रही हो?”


“बेटा तमीज से बात कर, वह औरत तेरी होने वाली मां है. मैं जो यहां अकेलापन महसूस करता हूं उसे मिटाने के लिए शादी कर रहा हूं.” “यार पापा, अकेलापन मिटाने के सौ तरीके हैं. इस के लिए शादी कौन सा


रास्ता है?” झुंझलाए स्वर में बेटे ने कहा. “शादी ही सही रास्ता है बेटा. मुझे जो उचित लगा वही कर रहा हूं.तुम लोग तो मेरे साथ नहीं रहते न. फिर मेरी समस्या कैसे समझोगे?”


“पापा, इस बार मैं कोशिश करूंगा कि अपना ट्रांसफर दिल्ली करा लूं. फिर पास रहूंगा तो हर वीकेंड आ जाया करूंगा. डोंट वरी पापा.”


“देख 5 साल से तू यही कह रहा है बेटे. पर क्या हुआ? तू आया यहां? ” अखिलेश ने बेटे से सवाल किया. “पापा आप तो समझ ही नहीं रहे.” “तू भी नहीं समझ रहा है सुजय. ”


बेटे ने गुस्से में फोन काट दिया. अखिलेश थोड़ी देर उदास पड़ा रहा फिर सहसा ही उस की आंखों में चमक उभरी. मोबाइल उठा कर सरला का नंबर लगाने


लगा. फिर देर रात तक दोनों बातें करने में मशगूल रहे. कुछ दिनों तक दोनों के बीच इसी तरह बातों और मुलाकातों का दौर चलता रहा. इधर अखिलेश के बच्चे उसे शादी न करने की सलाह देते रहे मगर सही समय देख अखिलेश ने बहुत सादगी के साथ सरला को अपना जीवनसाथी बना लिया.


शादी के लिए अखिलेश ने बहुत सादा समारोह रखा था. अखिलेश का छोटा बेटा और सरला की बेटी और भाई विवाहस्थल पर मौजूद थे. अखिलेश की बेटी नहीं आ पाई थी. उसने वीडियो कौल के जरीए अपने पिता की शादी देखी. बड़ा बेटा औफिस के काम में फंसा होने का बहाना बना कर नहीं आया. अखिलेश के बच्चे अपने पिता की दूसरी शादी से बिलकुल भी खुश नहीं थे.


उस दिन अखिलेश बेटे से बात कर रहा था. सरला बाहर गई हुई थी. अचानक वह लौट आई पर अखिलेश को इस की खबर नहीं थी. अखिलेश फोन स्पीकर पर रख कर बातें करता था क्योंकि उसे कम सुनाई देता था. हमेशा की तरह बेटा सरला के खिलाफ जहर उगल रहा था. मगर अखिलेश लगातार उस की हर बात का प्रतिकार सही दलीलों के साथ पूरे विश्वास से करता रहा. अखिलेश का अपने प्रति यह विश्वास देख कर सरला को बहुत अच्छा लगा.


उम्र की परवाह किए बिना नए जीवन की शुरुआत दोनों ने शिमला की वादियों में जा कर किया. उन्होंने वहां साथ में बहुत खूबसूरत वक्त बिताया. दोनों काफी खुश थे.


अखिलेश बोलना तो बहुत चाहता था पर चुप रहा. सुजय के बाद अखिलेश की बेटी भी फोन पर पिता को सावधान करने लग गई," पापा, ध्यान रखना.

अकेलेपन का दर्द एकदूसरे का साथ पा कर कहीं गायब हो चुका था. मगर उन के बच्चों को अभी भी यह शादी रास नहीं आ रही थी. खासकर अखिलेश के बच्चों को डर था कि कहीं सरला उनकी जमीनजायदाद न हड़प ले.


एक दिन बड़ा बेटा सुजय बिना बताए अखिलेश से मिलने चला आया. आते ही उस ने सरला के प्रति रूखा व्यवहार दिखाना शुरू कर दिया. सरला और अखिलेश दोनों


ही जानते थे कि वह सरला को पसंद नहीं करता. सरला बहाना बना कर कुछ दिनों के लिए अपने मायके चली गई. इधर सुजय को पिता से अकेले में बात करने का पूरा मौका मिल गया.


उस ने अखिलेश को समझाने की कोशिश की, “पापा, आप इस बात से अनजान हो कि इस उम्र में विधवा औरतें सिर्फ इसलिए किसी रईस पुरुष से शादी करती हैं ताकि उस की सारी संपत्ति पर अपना हक जमा सके. पापा वह आप की दौलत ले कर गायब हो जाएगी फिर क्या करोगे ? उस की नजर सिर्फ और सिर्फ आप के पैसों पर है.”


“पर तुम ऐसा कैसे कह सकते हो सुजय?” “क्यों नहीं पापा, यदि ऐसा नहीं तो उस ने आप से शादी क्यों की ?” सुजय ने सवाल किया. “तुम ने अपनी बीवी से शादी क्यों की थी?” अखिलेश ने उलटा सवाल किया.


“अरे पापा, यह तो हर कोई जानता है, परिवार बनाने और परिवार बढ़ाने के लिए. पर शादी की भी एक उम्र होती है. आप को कौन सा अब बच्चे पैदा करने हैं जो शादी करनी थी,” सुजय की आवाज में चिढ़ थी.


“ठीक है, बच्चे नहीं पैदा करने पर तुम्हें शादी के बाद बच्चों के अलावा और क्या मिला? पत्नी का साथ नहीं मिला? उस का प्यार नहीं मिला?” “पापा, अब इस उम्र में आप को कौन से प्यार की जरूरत है?”


“जरूरत हर उम्र में होती है बेटा, भले ही रूप बदल जाए और फिर एक साथ भी तो जरूरी है न,” अखिलेश ने उसे समझाने की कोशिश की. “पापा, आप चाहे कितनी भी दलीलें दे लो पर याद रखना, इस औरत की नजर सिर्फ और सिर्फ आप के पैसों पर है,” कहता हुआ सुजय उठ गया.


अखिलेश बोलना तो बहुत चाहता था पर चुप रहा. सुजय के बाद अखिलेश की बेटी भी फोन पर पिता को सावधान करने लग गई,” पापा, ध्यान रखना। ऐसी औरतें जमीनजायदाद अपने नाम करवाती हैं या फिर गहने और कैश लूट कर फरार हो जाती हैं. कई बार अपने पति की हत्या भी कर डालती हैं.”


“बेटे, ऐसी औरतों से क्या मतलब है तुम्हारा?” “मतलब विधवा औरतें जो बुढ़ापे में शादी करती हैं. मैं ने बहुत से मामले देखे हैं, पापा इसलिए समझा रही हूं,” बेटी ने कहा. बच्चों ने अखिलेश के मन में सरला के विरुद्ध इतनी बातें भर दीं कि अब उसे भी इस बात को ले कर शक होने लगा था कि कहीं ऐसा ही तो नहीं?


मैट्रिमोनियल साइट के अपने प्रोफाइल में उस ने इस बात का जिक्र भी काफी अच्छे से किया था कि उस के पास काफी संपत्ति है. इधर सरला मायके गई तो उस के घर वाले और बेटी उस का ब्रैनवाश करने के काम में लग गए. यह तो सच था कि सरला एक साधारण परिवार से संबंध रखती थी जबकि अखिलेश के पास काफी दौलत थी.


सरला की बेटी बहाने से मां को कहने लगी,”मां, तुम्हारे दामाद का काम ठीक नहीं चल रहा. पिछले महीने उन की बाइक भी बिक गई. मां हो सके तो अपने नए पति से कह कर इन के लिए बाइक या गाड़ी का इंतजाम करा दो न और एक दुकान भी खुलवा दो. वे तो बहुत पैसे वाले हैं न.”


“मगर वे तुम्हारे पति के लिए यह सब क्यों करेंगे?” सरला ने पूछा. “अरे मां क्यों नहीं करेंगे? आखिर मैं उन की बेटी ही हुई न भले ही सौतेली सही.””देख बेटी, तू ब्याहता लड़की है. तेरा अपना घरपरिवार है. तेरी देखभाल करना उन की जिम्मेदारी नहीं,” सरला ने दोटूक जवाब दिया.


तब तक भाई बोल पड़ा,”क्या दीदी, तुम तो ऐसे शब्द बोल रही हो जैसे यह तुम्हारी नहीं तुम्हारे पति की जबान हो. अरे दीदी, बच्ची के लिए नहीं तो अपने लिए तो सोचो. सुनहरा मौका है. रईस बुड्ढे से शादी की है. थोड़ा ब्लैकमेल करोगी तो मालामाल हो जाओगी. वरना बुड्ढे ने तो पहले से ही अपने तीनों बच्चों के नाम सब कुछ कर रखा होगा. कल को वह नहीं रहेगा तब तुम्हारा क्या होगा? अपने बुढ़ापे के लिए रुपए जोड़ कर रखना तो पड़ेगा न.


“जब पैसे आ जाएं तो थोड़ीबहुत मदद मेरी या अपने दामाद की भी कर लेना. आखिर हम तो अपने ही हैं न. तुम्हारे भले के लिए ही कह रहे हैं. “अब देखो न, पुराने जीजाजी के साथ तुम ने सारी जवानी गुजार दी मगर वह मरे तो तुम्हें क्या मिला? सब कुछ उन के भाइयों में बंट गया. इसलिए कह रहा हूं कि दीदी कि अपने पति की संपत्ति पर अपना कानूनी हक रखो फिर चाहे कुछ भी हो.”


“भाई मेरे तू ठीक कह रहा है. मैं सोचूंगी. अब ज्यादा नसीहतें न दे और अपने काम पर ध्यान दे,” कह कर सरला ने बात खत्म कर दी. 2-3 दिनों में सुजय चला गया. इधर सरला भी घर वापस लौट आई. दोनों ही थोड़े गुमसुम से थे. अपने बच्चों की बातें उन्हें रहरह कर याद आ रही थी.


इस बीच अखिलेश की तबीयत खराब हो गई. उसे ठंड लग कर तेज बुखार आया. सरला घबरा गई. उस ने जल्दी से डाक्टर को बुलवाया. डाक्टर ने दवाएं लिख दीं और खयाल रखने की बात कह कर चला गया. इधर सरला के भाई को पता चला कि अखिलेश को बुखार है तो वह उसे सलाह देने लगा,” यह बहुत सही समय है दीदी, अपना जाल फेंको ताकि अखिलेश हमेशा के लिए


ऊपर चला जाए. फिर तुम उस की सारी दौलत की अकेली मालकिन बन जाओगी.” सरला ने उसे झिड़का,” बेकार की बातें मत कर. वह मेरे पति हैं और मैं किसी भी तरह उन्हें ठीक कर के रहूंगी.”


इधर दवा खाने के बावजूद अखिलेश का माथा बुखार से तप रहा था. सरला ने जल्दी से उस के माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखनी शुरू कीं. पूरी रात वह पति के सामने बैठी पट्टियां बदलती रही. अखिलेश बेहोश सा सोया हुआ था. बीचबीच में आंखें खुलती तो पानी मांगता. सरला जल्दी से उसे पानी पिलाती और साथ में कुछ खिलाने की भी कोशिश करती. मगर वह खाने से साफ इनकार कर देता.


सुबह होतेहोते अखिलेश का बुखार कम हो गया. खांसी भी कंट्रोल में आ गई. मगर इस बीच सरला को बुखार महसूस होने लगा. पति का बुखार उस ने अपने सिर ले लिया था. अगले दिन दोनों की भूमिका बदल गई थी. अब सरला बेड पर थी और अखिलेश उस की देखभाल कर रहा था.


अगले ही दिन अखिलेश ने घर बेचने के कागज तैयार करा लिए. काफी समय से उस का एक दोस्त घर खरीदने की कोशिश में था.

इस तरह एकदूसरे का खयाल रखतेरखते दोनों ठीक हो गए. अब एक अलग तरह का बंधन दोनों एकदूसरे के लिए महसूस करने लगे थे.


एक दिन शाम में अखिलेश ने सरला से कहा,” मेरी सारी संपत्ति दोनों लड़कों के नाम की हुई है. यह मकान भी बड़े बेटे के नाम है. मैं चाहता हूं कि हम दोनों कहीं दूर जा कर एक नई जिंदगी की शुरुआत करें. क्या तुम इस के लिए तैयार हो?”


“हां ठीक है. इस में समस्या क्या है? हम सब कुछ छोड़ कर कहीं दूर चलते हैं. बस रहने और खाने का प्रबंध हो जाए फिर हमें किस चीज की जरूरत? दोनों आराम से एक छोटा सा घर ले कर रह लेंगे. वैसे भी मेरे पहले पति ने मेरे लिए बैंक में थोड़ीबहुत रकम रख छोड़ी है. जरूरत पड़ी तो उस का भी उपयोग कर लेंगे.”


सरला की बात सुन कर अखिलेश की आंखें भीग गईं. एक तरफ बच्चे जिस महिला को दौलत का लालची बता रहे थे वही इस गृहस्थी में अपनी सारी जमापूंजी लगाने को तैयार थी. अखिलेश को यही सुनने की इच्छा थी.


उस ने सरला को गले से लगा लिया और बोला,” ऐसा कुछ नहीं है सरला. सारी संपत्ति अभी भी मेरे ही नाम है. मैं तो तुम्हारा रिएक्शन देख कर तुम्हें


परखना चाहता था. तुम से अच्छी पत्नी मुझे मिल ही नहीं सकती. वैसे कहीं दूर जाने का प्लान अच्छा है. यह घर बेच कर किसी खूबसूरत जगह घर लिया जा सकता है. ” “सच, मैं भी सब से दूर कहीं चली जाना चाहती हूं,”सरला ने कहा.


अगले ही दिन अखिलेश ने घर बेचने के कागज तैयार करा लिए. काफी समय से उस का एक दोस्त घर खरीदने की कोशिश में था. अखिलेश ने बात कर अपना घर उसे बेच दिया और मिलने वाली रकम से देहरादून के पास एक छोटा सा खूबसूरत मकान खरीद लिया.


उस ने अपना नया पता किसी को भी नहीं दिया था. फोन भी स्विच औफ कर दिया. अपना बैंकबैलेंस भी उस ने दूसरे बैंक में ट्रांसफर करा लिया और पूर्व पत्नी के गहने भी लौकर में रखवा दिए. सरला ने भी अपने घर में किसी को नया पता नहीं बताया.


सारे हमदर्द रिश्तेदारों से दूर दोनों ने अपना एक प्यारा सा आशियाना बना लिया था. यहां वे अपनी जिंदगी दूसरों की हर तरह की दखलंदाजी से दूर शांतिपूर्वक एकदूसरे के साथ बिताना चाहते थे.

'