Today Breaking News

कहानी: दाग

जिस सुंदरता पर श्रुति को गरूर था उस में दाग लग गया था. लेकिन फिर सुबह के उजास की तरह श्रुति की जिंदगी में दाखिल हुए प्रहर ने क्या उस के आंतरिक सौंदर्य से सच्चा प्यार किया था या उस का प्यार भी मात्र छलावा था?

प्रहर अभी कुरसी पर बैठ भी नहीं पाया था कि श्रुति ने टोका, ‘‘प्रहर, तुम्हें कल छुट्टी लेनी थी तो अपने कंप्यूटर का पासवर्ड ही बता जाते. तुम्हारा मोबाइल भी आउट औफ कवरेज बता रहा था.’’


‘‘शायद आप ने ईशा से पूछा नहीं,’’ अपनी सीट पर बैठते हुए प्रहर ने कंप्यूटर के मौनीटर का स्विच औन करते हुए कहा, ‘‘आप तो आते ही सिर्फ काम की बात करने लगती हैं. यह भी नहीं पूछतीं कि आखिर मैं आया क्यों नहीं था.’’


‘‘ओके, सौरी,’’ अपनी टेबल के नजदीक पहुंच कर श्रुति ने कहा, ‘‘क्या प्रौब्लम थी जो कल नहीं आए?’’


‘‘पिताजी की तबीयत खराब हो गई थी, उन्हें अस्पताल ले कर चला गया था.’’


‘‘अब ठीक हैं न?’’


‘‘ठीक हैं, तभी तो आया हूं.’’


‘‘कल का सारा पैंडिंग काम हो गया है प्रहर, इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. अगर आज जल्दी जाना हो तो चले जाना.’’


‘‘थैंक्यू श्रुति, आप मुझे हमेशा टैंशन फ्री रखती हैं. लेकिन हमें परमानैंट टैंशन देने वाले औफिस मैनेजर मिस्टर शिंदे के बेटे की शादी की रिसैप्शन पार्टी में कल शाम को चलेंगी या नहीं?’’


प्रहर की इस बात के जवाब में श्रुति आहिस्ता से बोली, ‘‘तुम्हें तो पता है प्रहर, कि मैं इस तरह की किसी पार्टी में जाना पसंद नहीं करती.’’


‘‘तो फिर कल तुम्हें किस पार्क में जाना है, यह बता दो तो मैं वहीं पहुंच जाऊंगा.’’


‘‘मुझे इस तरह का मजाक बिलकुल पसंद नहीं है प्रहर.’’


‘‘नाराजगी तुम्हारे चेहरे पर जरा भी अच्छी नहीं लगती श्रुति.’’


‘‘मेरे चेहरे पर जो है इस के अलावा अब दूसरा कुछ अच्छा भी कैसे लगेगा,’’ कांपते स्वर में श्रुति ने कहा.


‘‘ऐसा क्यों कहती हो, श्रुति?’’


‘‘सफेद दाग से कुरूप हुए मेरे चेहरे को क्यों याद दिलाते हो प्रहर?’’


‘‘श्रुति, तुम खुद ही नहीं भूलना चाहतीं,’’ प्रहर ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘शायद तुम इसे भूलना भी नहीं चाहतीं. चेहरे और शरीर के दाग ही व्यक्ति या व्यक्तित्व का रूपस्वरूप नहीं हैं.’’


श्रुति ने प्रहर की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया तो बात खत्म हो गई. लेकिन रात को वह देर तक जागती रही. 3 साल इंपैक्ट आईटी में सौफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने वाला प्रहर इधर कुछ दिनों से उस के नजदीक आने की कोशिश कर रहा था. उसी तरह श्रुति भी उस की ओर खिंचती हुई सी महसूस कर रही थी. लेकिन जबरदस्ती वह इन बातों को दिमाग से बाहर धकेलती थी. सफेद दाग वाले चेहरे का प्रतिबिंब आंखों के सामने रख कर वह धीरेधीरे दिल को अच्छे लगने वाले खयालों को दिमाग से दूर रखने की कोशिश कर रही थी.


मम्मीपापा को किसी तरह मना कर अपनी इच्छा से वह दिल्ली आ कर नौकरी कर रही थी. शेयर बाजार में किंग माने जाने वाले अविनाश सर्राफ का ‘सर्राफ एसोसिएट्स’ का कारोबार इस तरह चल रहा था कि उन की कई पीढि़यों को कहीं बाहर जा कर कुछ करने की जरूरत नहीं थी. इस के बावजूद श्रुति दूसरे शहर में जा कर नौकरी कर रही थी. अच्छे नंबर आने और सहेलियों के कहने पर उस ने मां से सलाह कर के एक प्रतिष्ठित संस्थान में एमबीए करने के लिए ऐडमिशन ले लिया था. अविनाश सर्राफ को यह बात नागवार गुजरी थी. उन्होंने कहा था, ‘क्या जरूरत थी यह सब करने की. तुम्हें सीधेसीधे ग्रेजुएशन कर लेना था, बस.’


श्रुति जितना अपने लुक के प्रति सजग रहती थी उतना ही पढ़ाई के प्रति भी. गोरा चेहरा, सुगठित शरीर, औसत से अधिक लंबाई, हंसती थी तो गालों में डिंपल पड़ जाते थे. यही उस की सुंदरता की चुंबकीय आभा थी. साथ पढ़ने वाले लड़के ही नहीं, उसे पढ़ाने वाले कुछ प्रोफैसर भी उस से बात कर के स्वयं को धन्य समझते थे. उम्र का एक ऐसा पड़ाव, उस पर रूप की यह छटा, कालेज का 1 साल उन्मादी नशे में कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला. साथ के तमाम लड़के उस से परिचय बढ़ाने के लिए तरहतरह के पैंतरे रचते रहे लेकिन उन की दाल नहीं गली. उस की अल्हड़ता और बेफिक्री उन्हें बहुत खलती. तभी तो उस के सब से करीबी माने जाने वाले अशेष ने उस के मुंह पर कहा था, ‘श्रुति, इस दुनिया में जो भी आया है उसे अपने पैर जमीन पर ही रखने चाहिए.’


‘मुझे पता है अशेष,’ श्रुति ने उस की इस बात को जरा भी महत्त्व न देते हुए गर्व से कहा था.


यही श्रुति एक दिन सुबह कालेज के लिए तैयार हो कर ड्रैसिंग टेबल के शीशे में अपने मोहक चेहरे को देख कर मुसकरा रही थी कि अचानक उसे लगा, माथे की त्वचा का रंग कुछ अलग सा हो रहा है. मन का वहम मान कर बालों को ठीक किया और बाहर निकल गई. क्योंकि कालेज जाने का समय हो गया था. कुछ दिनों बाद उसे लगा कि अलग सा लगने वाला माथे का वह रंग लाल हो रहा था. उसी के साथ बाएं कान के नीचे सफेद चकत्ता सा दिखाई दे रहा था. वह एकदम से घबरा गई और जोर से चिल्लाई, ‘मम्मी?’


लगभग दौड़ते हुए साधना उस के पास पहुंचीं, ‘क्या हुआ बेटा, इतने जोर से क्यों चिल्लाई?’


आईने से नजर हटाए बगैर कान के नीचे पड़े चकत्ते पर उंगली रख कर घबराई आवाज में श्रुति ने कहा, ‘समथिंग इस गोइंग रौंग विद माई फेस, मम्मी?’


साधना ने उस के चेहरे पर हाथ फेर कर देखा. इस के बाद बालों में उंगलियां फेरते हुए पीठ पर हलकी सी धौल जमा कर कहा, ‘चिंता जैसी कोई बात नहीं है बेटा, एलर्जी रिऐक्शन है.’


‘बट मम्मी, आज तक तो मुझे?’


‘ठीक है भई, डा. सक्सेना से अपौइंटमैंट ले लेते हैं, ओके.’


अगले दिन शाम को अविनाश और साधना अपनी लाड़ली बेटी श्रुति के साथ शहर के जानेमाने स्किन स्पैशलिस्ट डा. सक्सेना के यहां जा पहुंचे. डाक्टर ने माथे और कान के नीचे पड़े चकत्तों को गौर से देखा, इस के बाद कुछ कहे बगैर प्रिस्क्रिप्शन पर लिख दिया. श्रुति ने उन की ओर सवालिया नजरों से देखा तो उन्होंने कहा, ‘चिंता जैसी कोई बात नहीं है, ये दवाएं खाओ और मरहम लगाओ, चकत्ते खत्म हो जाएंगे, फौरगेट इट.’


शेयर बाजार के दिग्गज अविनाश सर्राफ, जो सेंसैक्स के गिरने पर भी परेशान नहीं होते थे, वे बेटी के इस निर्णय से परेशान हो ग

तीनों उठ कर बाहर निकलने लगे तो डा. सक्सेना ने अविनाश को रोका, ‘सर्राफ साहब, एक मिनट.’


कुछ गड़बड़ होने का यह पहला मौका था. उस के बाद रोजरोज माथे और कान के नीचे की त्वचा का रंग बदलने लगा. महंगीमहंगी ट्यूब्स, क्रीम के बाद तमाम घरेलू उपचार, जड़ीबूटी, तरहतरह के लेप, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. जब पहली बार श्रुति को पता चला कि उसे सफेद दाग हुआ है तो वह चीख उठी थी, साधना भी फफक पड़ी थीं. अभी तो बेटी की जिंदगी शुरू ही हुई थी और उस के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया. अब इस का क्या होगा? खूबसूरती का खजाना श्रुति को न जाने किस की नजर लग गई थी.


जिस सुंदरता पर श्रुति को गरूर था, उस में दाग लग गया था. सफेद दाग फैलने लगा. धीरेधीरे चेहरे, गले और फिर हाथों तक फैल गया था. वह समय अभी कहां दूर गया था जब उस के चेहरे पर पड़ने वाली नजर हटती नहीं थी. वही श्रुति अब आईने में अपना चेहरा देख कर कांप उठती थी. भविष्य के लिए देखे गए सपने सफेद दाग के इस तूफान में उड़ गए थे. अब उस पर डिप्रैशन की सुनामी आ गई थी. बाहर के सारे संपर्क उस ने खत्म कर दिए थे. वह अपने कमरे में अकेली पड़ी रहती थी. कालेज का फाइनल सैमेस्टर का परिणाम आया तो उस का पहला नंबर था. लेकिन वह किसी भी फौरमैलिटी के लिए कालेज नहीं गई थी. उस ने अपने सभी दोस्तों और सहेलियों से मिलने से भी मना कर दिया था. अब श्रुति का क्या होगा, इस चिंता में उस के मांबाप की नींद उड़ गई थी.


परिणाम आने के 6-7 महीने के बाद अचानक एक रात डाइनिंग टेबल पर श्रुति ने कहा, ‘पापा, मैं नौकरी करना चाहती हूं. मैं यह शहर छोड़ कर दिल्ली जाना चाहती हूं.’


‘क्या?’ अविनाश ने हैरानी से पूछा. जबकि साधना कुछ बोल नहीं पाई. अविनाश की आवाज सहज भारी होती गई, ‘यह तुम क्या कह रही हो बेटी. तुम्हें नौकरी करने की क्या जरूरत…’


पापा को बीच में ही रोकते हुए श्रुति ने कहा, ‘मेरा डिसीजन फाइनल है पापा, मैं अब बच्ची नहीं रही, कुछ भी करने को स्वतंत्र हूं. जौब के लिए मैं ने औनलाइन अप्लाई किया था, मेरा सलैक्शन हो गया है. इंपैक्ट आईटी कंपनी का हैडक्वार्टर दिल्ली में है. कंपनी रहने के लिए होस्टल भी दे रही है और आनेजाने के लिए गाड़ी भी.’


अविनाश ने थोड़ा चिढ़ कर कहा, ‘मेरी समझ में नहीं आता कि तुम्हें नौकरी करने की जरूरत क्या है?’


साधना ने उन्हें आगे कुछ कहने से मना कर दिया. थोड़ी देर बाद वह श्रुति के कमरे में गई तो उन की दलीलों के जवाब में उस ने अपने मन की सारी बातें रख दीं, ‘मम्मी, यह शहर, कालेज, दोस्त और सगेसंबंधी जिस खूबसूरत श्रुति को जानते हैं वह अब रही नहीं. रोतेरोते मेरे आंसू सूख चुके हैं. अब मेरी समझ में आया है कि अब मैं अनजान शहर में अनजान लोगों के बीच अनजान व्यक्ति के रूप में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करूं. मैं ने काफी सोचविचार कर यह निर्णय लिया है. प्लीज, आप लोग मुझे रोकिए मत. मेरे चेहरे का यह दाग मुझे यहां चैन से रहने नहीं दे रहा है.’


शेयर बाजार के दिग्गज अविनाश सर्राफ, जो सेंसैक्स के गिरने पर भी परेशान नहीं होते थे, वे बेटी के इस निर्णय से परेशान हो गए. सफेद दाग से कुरूप हुई अपनी इकलौती बेटी के लिए उन के मन में सब से बड़ा सवाल यह था कि उस से शादी कौन करेगा. 7 साल का समय दिल वालों की नगरी दिल्ली में कैसे बीत गया, श्रुति को पता ही नहीं चला. श्रुति अब तक 27 साल की हो चुकी थी. अपनी इस कुरूपता के साथ उस ने जीना सीख लिया था. उस ने नौकरी नहीं बदली थी, इसलिए कंपनी में अब तक वह वहां सीनियर मैनेजर हो गई थी. साधना और अविनाश ने न जाने कितनी जगहों पर अपने से गरीब परिवारों में भी श्रुति के विवाह की कोशिश की थी, लेकिन उस के सफेद दाग की वजह से सभी ने मना कर दिया था. पतिपत्नी परेशान रहते थे कि वे बेटी की शादी के लिए क्या करें.


एक रविवार की शाम को श्रुति के फ्लैट की घंटी बजी तो उस की तंद्रा भंग हुई. श्रुति ने दरवाजा खोला तो बाहर प्रहर खड़ा था. उसे अंदर आने की जगह देते हुए उस ने हैरानी से कहा, ‘‘प्रहर, तुम यहां?’’


‘‘हां, आज पहली बार यहां आया हूं और पहली बार एक बात भी कहना चाहता हूं.’’


‘‘मोस्ट वैलकम, प्रहर. लेकिन ऐसी कौन सी बात है जिसे तुम औफिस के बदले यहां कहने चले आए?’’


‘‘घर बसाने की बात, यह बात औफिस में नहीं कही जा सकती थी न?’’


‘‘क्या?’’ श्रुति ने हैरानी से पूछा.


‘‘हां श्रुति, यह सच है कि मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’


अपनी इस पहली एनिवर्सरी को यादगार बनाने के लिए प्रहर ने जो प्रोग्राम बनाया था, श्रुति को उस की भनक तक नहीं थी. प्रहर एनिवर्सरी विश कर के बाहर चला गया था.

‘‘यह तुम क्या कह रहे हो, प्रहर?’’ श्रुति का दिल धड़क उठा, ‘‘तुम होश में तो हो?’’


‘‘मैं पूरी तरह होश में हूं और जो कह रहा हूं वह खूब सोचसमझ कर कह रहा हूं.’’


श्रुति का चेहरा शर्म से सुर्ख हो गया. उस ने नजरें झुका कर कहा, ‘‘लेकिन मैं किसी से शादी के लिए तैयार नहीं हूं. मैं अपनी इस एकाकी जिंदगी से संतुष्ट हूं.’’


‘‘तुम्हें किसी दूसरे से नहीं, मुझ से शादी करनी है. तुम्हारी इसी संतुष्टि में मैं सुख भरना चाहता हूं.’’


‘‘मुझ पर इस तरह अचानक दया दिखाने की कोई वजह?’’


‘‘मेरे प्रेम को दया कह कर उस का अपमान मत करो श्रुति,’’ प्रहर ने उस के कंधे पर हाथ रख कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें प्यार करता हूं श्रुति. मैं तुम्हारे शरीर से नहीं, तुम्हारे पूरे व्यक्तित्व और अस्तित्व से प्यार करता हूं. मेरी इस चाहत को किसी भी तरह के दाग का ग्रहण नहीं लग सकता, यह खोखली नहीं है.’’


श्रुति ने तमाम दलीलें दीं, लेकिन प्रहर ने उसे मना ही लिया. इस के बाद श्रुति ने मम्मीपापा से बात की. वे तो चाहते ही थे कि उन की बेटी की शादी हो जाए. बड़ी ही सादगी से श्रुति और प्रहर का विवाह हो गया. इस तरह दोनों ने वैवाहिक जीवन का नया अध्याय शुरू किया.


नया घर, नया वातावरण और ताजाताजा प्रेमसंबंध. श्रुति के मन में अब तक अपने प्रति जो नफरत और कुंठा थी वह देखतेदेखते गायब हो गई. प्रहर की मम्मी का प्रेम उसे अपनी मम्मी की याद दिला देता था. पापा अवधेश अपने में ही मस्त रहते थे. उन्हें किसी बात की चिंता नहीं रहती थी. वे दोस्तों के साथ ताश खेलते रहते थे. घर में आने वाला पैसा वे जुए में उड़ा देते थे. नौकरी में श्रुति प्रहर के साथ थी ही, घर में भी हर तरह से उस का साथ निभा रही थी. श्रुति के जीवन में देर से ही सही, लेकिन सुख का सूरज उदय हो चुका था.


‘‘हैपी मैरिज एनिवर्सरी,’’ सो रही श्रुति के कान के नजदीक मुंह ले जा कर प्रहर ने कहा तो श्रुति के आंखें खोलते ही सुख और आनंद के उन्माद में उस ने श्रुति का चेहरा अपनी दोनों हथेलियों में ले कर चूम लिया. शादी की पहली सालगिरह थी, इसलिए दोनों ने औफिस से छुट्टी ले रखी थी. श्रुति ने उठ कर खिड़की का परदा हटाया तो सुबह का उजास बैडरूम में इस तरह दाखिल हुआ जिस तरह उस के जीवन में प्रहर दाखिल हुआ था.


अपनी इस पहली एनिवर्सरी को यादगार बनाने के लिए प्रहर ने जो प्रोग्राम बनाया था, श्रुति को उस की भनक तक नहीं थी. प्रहर एनिवर्सरी विश कर के बाहर चला गया था. श्रुति वाशरूम गई और बाहर आ कर हाथमुंह पोंछते हुए किचन की ओर जा रही थी कि तभी उस की सासूमां के ये शब्द उस के कानों में पड़े. वे ड्राइंगरूम में बैठी पति से कह रही थीं, ‘‘प्रहर और श्रुति की शादी को 1 साल हो गया. दोनों एकदूसरे से कितना प्यार करते हैं. मैं चाहती हूं कि दोनों एकदूसरे को हमेशा इसी तरह प्यार करते रहें. लेकिन अगर कहीं से बहू को पता चल गया कि प्रहर ने उस से शादी करने के लिए उस के पापा से 50 लाख रुपए लिए थे तो क्या वह प्रहर को इसी तरह उसे प्यार कर पाएगी?’’


‘‘आज के बाद कभी गलती से भी इस बात को मुंह से मत निकालना. जानती ही हो, दीवारों के भी कान होते हैं. अगर बहू के कानों में यह बात पड़ गई तो वह प्रहर को कतई माफ नहीं करेगी. हो सकता है, वह हम सब को छोड़ कर चली जाए,’’ प्रहर के पापा ने कहा.


आखिर वही हुआ, जिस की आशंका प्रहर के पापा ने व्यक्त की थी. श्रुति ने सासूमां की यह बात सुन ली थी कि प्रहर ने उस से शादी के लिए  उस के पापा से 50 लाख रुपए लिए थे. इस रहस्य के खुलने के बाद श्रुति आगे कुछ नहीं सुन सकी थी. उसे सारा कुछ घूमता नजर आने लगा था. उस की देह में आग सी लग गई थी. किचन से वह सीधे नहाने की तैयारी कर रहे प्रहर के पास पहुंची. उस के बदले रूप को देख कर प्रहर उस से कुछ पूछता, उस के पहले ही वह धीमी, लेकिन तीखी आवाज में बोली, ‘‘प्रहर, एक बात पूछूं, सचसच बताना?’’


‘‘पूछो,’’ प्रहर ने कहा, ‘‘वैसे भी मैं ने कब तुम से झूठ बोला है?’’‘‘बोला है, तभी तो कह रही हूं,’’ श्रुति ने उसी तरह तीखे लहजे में कहा, ‘‘मुझे पता चला है कि तुम ने मुझ से शादी के लिए मेरे पापा से 50 लाख रुपए लिए थे?’’


‘‘कौन कह रहा था?’’ प्रहर ने हैरानी से पूछा.


‘‘कौन कह रहा था, यह मेरी बात का जवाब नहीं हुआ. तुम मुझे यह बताओ कि तुम ने रुपए लिए थे या नहीं, सिर्फ हां या न में जवाब दो?’’


प्रहर सन्न रह गया. वह हां करता था तो श्रुति के तेवर साफ बता रहे थे कि वह उसे माफ करने वाली नहीं है. वह झूठ भी नहीं बोल सकता था. इसलिए सिर झुका कर बोला, ‘‘हां, लिए थे.’’


प्रहर आगे भी कुछ कहना चाहता था, लेकिन आगे की बात सुने बगैर ही श्रुति बैडरूम की ओर भागी. सुबह से शाम हो गई, घर के किसी सदस्य ने न कुछ खाया न पिया. श्रुति ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया तो खोला ही नहीं. इस बीच प्रहर ने ही नहीं, उस के मम्मीपापा ने भी न जाने कितनी बार श्रुति को मनाने की कोशिश की, मगर उस ने न किसी की कोई बात सुनी और न दरवाजा खोला. रोरो कर उस की आंखें सूज गई थीं. प्रहर ने आखिरी कोशिश की, ‘‘प्लीज, श्रुति मुझे माफ कर के सिर्फ एक बार मेरी बात सुन लो, उस के बाद तुम्हारे मन में जो आए वह करना.’’


श्रुति ने दरवाजा खोल कर कहा, ‘‘मुझे अब तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी प्रहर, कल सुबह मैं यहां से चली जाऊंगी. डिवोर्स के पेपर तैयार करवा कर भिजवा दूंगी, उन पर दस्तखत कर देना. सचाई जान लेने के बाद मैं तुम्हारे साथ बिलकुल नहीं रह सकती. कल सुबह मैं नौकरी से भी इस्तीफा दे दूंगी. अब मैं तुम से फिर कभी मिलना नहीं चाहती.’’


प्रहर ने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘श्रुति, मैं तुम से कह रहा हूं न, कि एक बार मेरी बात सुन लो, अगर मेरी बात सुनने के पहले तुम ने कोई निर्णय ले लिया तो शायद मैं जी न पाऊं, उस के बाद तुम भी पूरी जिंदगी पछताओगी.’’


‘‘अब कहने को बचा ही क्या है?’’


‘‘अभी ही तो कहने का मौका आया है. मैं यह सब कहना नहीं चाहता था, लेकिन तुम ने कहने को मजबूर कर दिया है तो सुनो श्रुति, मैं ने इंपैक्ट आईटी कंपनी जौइन की थी, तब मैं भी तुम से उतनी ही नफरत करता था, जितनी अन्य लोग करते थे. लेकिन तुम्हारी प्यारभरी बातें और व्यवहार का मैं कुछ इस तरह कायल हुआ कि मुझे लगा कि तुम नफरत नहीं, प्यार के काबिल हो. सफेद दाग तो किसी को भी हो सकते हैं. अगर किसी को शादी के बाद सफेद दाग हो जाएं तो आदमी क्या करेगा? छोड़ तो नहीं देगा?’’


इतना कह कर प्रहर पलभर के लिए रुका. उस के बाद लंबी सांस ले कर बोला, ‘‘बस, यही सोच कर मुझे तुम से प्यार हो गया और मैं तुम्हारे नजदीक आने की कोशिश करने लगा. मेरी उसी कोशिश का नतीजा था कि तुम्हें भी मुझ से प्यार हो गया. लेकिन दिल की बात न तुम मुझ से कह सकीं और न मैं ही तुम से कह सका. उसी बीच तुम्हारे पापा आ कर मुझ से मिले.


‘‘किसी बुद्धिशाली ने उन्हें यह युक्ति बताई थी. उसी के बताए अनुसार, उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों के बारे में पता किया. किसी से उन्हें हमारी नजदीकियों के बारे में पता चल गया. इस के बाद वे मुझ से मिले और एक बिजनैसमैन की तरह मेरे सामने प्रपोजल रखा. मैं ने उन का प्रपोजल स्वीकार कर लिया. लेकिन मैं ने उन का प्रपोजल इसलिए नहीं स्वीकार किया था कि मुझे उन के पैसों का लालच था. मैं ने उन का प्रपोजल इसलिए स्वीकार किया था कि उन्हें यह न लगे कि मैं उन की विरासत पाने के लिए उन की सफेद दाग से कुरूप हुई उस बेटी से शादी कर रहा हूं जिस से कोई शादी करने को तैयार नहीं है. यही नहीं, उन के मन में यह विचार भी आ सकता था कि बिना पैसे लिए अगर मैं तुम से शादी कर लेता हूं तो शादी के बाद तुम्हें परेशान कर सकता हूं और छोड़ भी सकता हूं.


‘‘उन की भावनाओं को ध्यान में रख कर ही मैं ने उन से पैसे लिए हैं. लेकिन उन पैसों में से एक भी पैसा मैं ने अपने पास नहीं रखा. वे सारे पैसे मैं ने तुम्हारे पापा की सर्राफ एसोसिएट में तुम्हारे नाम जमा करा दिए हैं. इस बात की जानकारी मेरे अलावा किसी और को नहीं है, तुम्हारे पापा को भी नहीं,’’ इतना कह कर प्रहर ने दुछत्ती में रखे एक पुराने कार्टून से एक फाइल निकाल कर श्रुति की ओर बढ़ा कर कहा, ‘‘अगर तुम्हें विश्वास न हो तो सर्राफ एसोसिएट में जमा पैसों के सारे पेपर इस फाइल में रखे हैं, तुम खुद देख लो.’’


श्रुति ने एक नजर फाइल पर डाल कर अपनी नजरें प्रहर पर जमा दीं. प्रहर ने देखा, थोड़ी देर पहले श्रुति की जिन आंखों में नफरत की आग दहक रही थी, अब उन्हीं आंखों में पछतावे का समुद्र हिलोरे ले रहा है. प्रहर श्रुति की नम आंखों में आंखें डाल कर बोला, ‘‘श्रुति, शरीर के ये दाग मात्र एक परिस्थिति हैं, कलंक नहीं. तुम्हारा आंतरिक सौंदर्य बहुत अच्छा है, उसी को परख कर मैं ने तुम से प्यार किया और शादी की. तुम्हें पता होना चाहिए कि प्यार दिल से होता है, जिसे पैसों से नहीं खरीदा जा सकता. एक साल से साथ रहते हुए खुद तुम्हें इस बात का एहसास हो गया होगा कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं. पैसे मैं ने तुम से शादी के लिए नहीं, तुम्हारे पापा को संतुष्ट करने के लिए लिए थे. तुम जाना चाहती हो न, जाओ लेकिन तुम्हें पता होना चाहिए कि अब मैं तुम्हारे बिना जी नहीं पाऊंगा, अगर तुम मुझे छोड़ कर चली गईं तो…’’


यह कहतेकहते प्रहर की आंखें भर आईं और गला रुंध गया, इसलिए उस की बात पूरी होने से पहले ही श्रुति ने आगे बढ़ कर अपना सिर उस के सीने पर रख दिया.

 
 '