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गाजीपुर जिले में चक्रवाती तूफान 'यास' से गर्मी में आई नर्मी, झमाझम हुई बारिश

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. गाजीपुर जिले भर में चक्रवाती तूफान 'यास' का असर गुरुवार को दिनभर बरसात के रूप में देखने को मिला। बुधवार से ही हल्की हवाओं के साथ आसमान पर मंडराते बादल गुरुवार को रुक रुककर बूंदाबांदी के साथ शुरू हुए तो फिर झमाझम भी बरसे। इस बरसात ने जहां गर्मी से राहत दी वहीं जगह-जगह जलजमाव हो गया, जिससे लोगों को आवागमन करने में परेशानी हुई। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश एवं हवा से आम की फसलों को काफी नुकसान हुआ। उधर, किसान धान की बेहन डालने के लिए अपने खेतों को तैयार करते रहे।

बारिश से नगर में लंका, स्टेशन, मिश्र बाजार, रौजा आदि क्षेत्रों में जलजमाव हो गया जिससे लोगों को आवागमन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आम की फसलों को नुकसान हुआ। कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक कपिल देव शर्मा ने बताया कि मौसम का तापमान काफी कम हो गया है। अधिकतम तापमान 26 एवं न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।


तापमान में गिरावट, नौतपा रहा बेअसर

खानपुर : 'यास' तूफान की वजह से तापमान में भारी गिरावट रही, जिससे दूसरे दिन गुरुवार को भी नौतपा बेअसर रहा। नौतपा में सूर्य नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होते हैं और इस दौरान गर्मी अपने चरम सीमा पर होती है। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में पंद्रह दिनों के लिए आते है तो पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले दिन 26 मई से दो जून तक नौतपा का ताप रहता है। गुरुवार को 'यास' से होने वाले नुकसान से बचने के लिए सुबह से ही ग्रामीण अंचल में लोग अपनी मड़ई- छप्पर के साथ टिन एवं सीमेंट के बने शेड को संभालने बांधने में जुट गए। घरों से बाहर रखे अनाज, भूसा आदि को जल्दी जल्दी अंदर रखने की होड़ मची थी। बारिश को देखते हुए धमवल, अनौनी, नेवादा, गहिरा, नासिरुद्दीनपुर, इशोपुर आदि गांवों के किसानों ने धान का बीज डालना शुरू कर दिया। दरवेपुर के चंद्रिका राजभर कहते है कि पहले आंधी तूफान गुजर जाने के बाद लोग बचे सामानों को समेटते थे। आजकल मौसम विज्ञान की सटीक भविष्यवाणी की वजह से आंधी तूफान बरसात की जानकारी मिलते ही लोग अपने साथ पशुओं और सामानों का बेहतर बचाव कर लेते हैं।


गंगा घाट जाने वालों की हुई फजीहत

मुहम्मदाबाद : रिमझिम बारिश से नगर में जगह जगह कीचड़ से लोग फिसल कर गिर रहे थे। वहीं बारिश से गंगा घाट तक जाने वाली सड़कें कीचड़ में तब्दील हो गईं। 

इससे शवदाह के लिए बच्छलपुर, हरिहरपुर, सुल्तानपुर आदि गंगा तट जाने वाले लोगों को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा। बारिश के चलते नियमित मजदूरी करने वाले लोगों का काम ठप रहा।

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